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योगी का ये रूप: जिसे देख दंग रह गये थे पिता, परिवार से छिपाई थी बात
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता का 20 अप्रैल यानी आज सुबह 10:44 मिनट पर दिल्ली के एम्स हास्पिटल में देहांत हो गया। योगी जी के पिता रविवार सुबह से ही उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
नई दिल्ली: यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता का 20 अप्रैल यानी आज सुबह 10:44 मिनट पर दिल्ली के एम्स हास्पिटल में देहांत हो गया। योगी जी के पिता रविवार सुबह से ही उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। देश भर में महामारी का संकट और इस शोक संदेश से गमगीन हो गया है माहौल। हम आज आपको सीएम योगी और उनके पिता के बारे में एक कुछ बेहद खास कहानी बताएंगे, जिसमें वे अपने बेटे को संन्यासी रूप में देखकर कैसे चौंक गए थे और क्या व्यवहार किया था।
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बेटा शायद नौकरी के लिए जा रहा
तो यह बात 1992 की है, जब सीएम योगी ने अपनी मां से गोरखपुर जाने की बात कही और घर से चल दिए। उस समय मां ने सोचा था कि बेटा शायद नौकरी के लिए जा रहा है लेकिन यहां कहानी दूसरी थी।
सीएम योगी को अपने गांव पंचूर से गोरखपुर निकले लगभग छह महीने से अधिक का समय हो गया था लेकिन उनके बारे में उनके घर वालों के पास कोई सूचना नहीं थी। वह कौन सी नौकरी कर रहे हैं, किस जगह कर रहे हैं।
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फिर इस बात को लेकर सीएम योगी के पिता परेशान हो गए। इस दौरान सीएम योगी की बड़ी बहन पुष्पा ने अपने पिता को बताया कि गोरखनाथ मंदिर जाइए, वहां आपको सारी सूचना मिल जाएगी।
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अपने उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा कर दी
बड़ी बहन पुष्पा शादी के बाद दिल्ली शिफ्ट हो गई थीं, उन्होंने हिंदी अखबार में छोटी सी खबर पढ़ी थी कि गोरखपुर के सांसद और गोरक्षपीठाधीश्वर ने दो महीने पहले अपने उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा कर दी है। वह योगी आदित्यनाथ हैं और पौड़ी के रहने वाले हैं।
मिली इस जानकारी के बाद सीएम योगी के पिता गोरखपुर के लिए चल दिए। गोरखपुर पहुंचते ही वह सीधे गोरखनाथ मंदिर पहुंच गए। वहां पहुंचते ही उन्होंने देखा कि भगवा धारण किए सिर मुड़ाए एक युवा संन्यासी फर्श की सफाई का मुआयना कर रहा था।
इसके बाद वह जब उनके पास पहुंचे तो हकीकत उनके सामने आ गई, वह उनका अपना बेटा था। अपने पुत्र को सन्यासी के रूप में देखकर वह अवाक रह गए। उन्होंने तो इसकी कल्पना भी नहीं की थी। उनके अंदर का पिता जाग उठा। उन्होंने कहा कि बेटा यह क्या हाल बना रखा है, यहां से तुरंत चलो।
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योगी जी के पिता आए
अपने पिता को अचानक देखकर सीएम योगी आश्चर्य हो गए थे। अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए उन्हें अपने साथ मंदिर स्थित कार्यालय ले गए। उस समय महंत अवैद्यनाथ कहीं बाहर थे। फोन के माध्यम से अवैद्यनाथ जी को बताया गया कि योगी जी के पिता आए हैं।
पीठाधीश्वर ने उनके पिता से बात की और कहा,'आप के पास चार पुत्र हैं, उनमें से एक को समाज सेवा के लिए नहीं दे सकते हैं।' उनके पास कोई जवाब नहीं था। उस समय उनके सामने उनका बेटा नहीं, योगी आदित्यनाथ दिखाई दे रहे थे। इसके बाद सीएम योगी के पिता कुछ समय मंदिर में व्यतीत करने के बाद पंचूर लौट गए।
आपको बता दें कि यह कहानी योगी आदित्यनाथ की जीवन यात्रा पर लिखी किताब योद्धा योगी से लिया गया है, इसे प्रवीण कुमार ने लिखा है। जिसे हमने आपके साथ साझा किया है।
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