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यूपी में सर्पंदंश से मरने वालों को मिलेगा 4 लाख का मुआवजा

सांप के काटने से मरने वाले लोंगों को बचाने के लिए अब यूपी और महाराष्ट्र की सरकारें मिलकर काम करेंगी। जल्द ही ही सर्पदंश को लेकर महाराष्ट्र सरकार के साथ एक एमओयू के तहत सर्प विष पर अनुसंधान किया जायेगा।

Aditya Mishra
Published on: 1 July 2019 10:36 PM IST
यूपी में सर्पंदंश से मरने वालों को मिलेगा 4 लाख का मुआवजा
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लखनऊ: सांप के काटने से मरने वाले लोंगों को बचाने के लिए अब यूपी और महाराष्ट्र की सरकारें मिलकर काम करेंगी। जल्द ही ही सर्पदंश को लेकर महाराष्ट्र सरकार के साथ एक एमओयू के तहत सर्प विष पर अनुसंधान किया जायेगा।

पहले चरण में यह काम उत्तर प्रदेश से आरम्भ होगा। राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सांप के काटने से होने वाली मृत्यु को दैवीय आपदा की श्रेणी में घोषित किया है तथा पीड़ित परिवार को राहत के तौर पर रूपये 4 लाख मुआवजा देने की बात कही है।

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स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने दी ये जानकारी

इस विषय को लेकर आज राजभवन में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह तथा वन मंत्री दारा सिंह चैहान ने राज्यपाल से अलग-अलग भेंट की। संस्थान की निदेशक डाॅ. निशिगंधा नाईक राज्यपाल की पुत्री हैं। राज्यपाल ने कहा कि सर्पदंश उत्तर प्रदेश जैसे कृषि प्रधान प्रदेश से जुड़ा हुआ महत्वपूर्ण मामला है।

वर्षा ऋतु, बाढ़ एवं खेतों में कार्य करते समय अनेक लोग सांप के काटने के शिकार होते हैं। हर वर्ष विश्व में 1.25 लाख तथा केवल भारत में लगभग 50 हजार से ज्यादा मौत सांप के काटने से होती हैं, जिसमें से उत्तर प्रदेश में ही 12 हजार लोग हर वर्ष सर्पदंश के शिकार होते हैं।

इस प्रोजेक्ट से यह जानकारी मिलेगी कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न प्रजातियों के सांपों में जहर की कितनी अलग-अलग किस्म अलग-अलग मौसम व स्थान में होती है। सांप के जहर की कौन प्रजाति कितनी घातक है, उसी प्रकार उस पर अनुसंधान कर जहर से बचाव किया जा सकता है।

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ऐसे होगा एण्टी वेनम’ का होगा निर्माण

हाफकिन संस्थान की निदेशक ने कहा कि संस्थान के प्रस्ताव के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य सरकार से सांप पकड़ने की अनुमति चाही है। सांप को पकड़कर उसका जहर निकाला जायेगा जिससे ‘एण्टी वेनम’ का निर्माण होगा।

इस प्रक्रिया में सांप को कोई नुकसान नहीं होगा और बाद में उसको वही सुरक्षित छोड़ा जायेगा जहाँ से वह पकड़ा गया था। सांप का जहर उसी प्रजाति, स्थान और मौसम के लिहाज से अलग-अलग होता है।

उन्होंने कहा कि संस्थान ‘वेनम मैपिंग एण्ड इस्टेबलिशमेंट आफ स्नेक रेस्क्यु सेंटर’ परियोजना पर भी कार्य करना चाहता है जिसमें आर्थिक सहयोग की भी आवश्यकता पड़ेगी।



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Aditya Mishra

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