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AK-47 से जवाहर पंडित की हुई थी हत्या! करवरिया बन्धुओं पर आया बड़ा फैसला
कोर्ट ने मामले में करवरिया बंधुओं सहित एक अन्य को हत्या का दोषी करार दिया है, हत्याकांड में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया, और उनके भाई पूर्व विधायक उदय भान करवरिया, पूर्व एमएलसी सूरज भान करवरिया के साथ रामचंद्र त्रिपाठी दोषी करार दिए गए हैं।
प्रयागराज: बहुचर्चित सपा विधायक जवाहर यादव पंडित हत्याकांड मामले में ट्रायल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने मामले में करवरिया बंधुओं सहित एक अन्य को हत्या का दोषी करार दिया है, हत्याकांड में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया, और उनके भाई पूर्व विधायक उदय भान करवरिया, पूर्व एमएलसी सूरज भान करवरिया के साथ रामचंद्र त्रिपाठी दोषी करार दिए गए हैं।
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बताते चलें कि अब 4 नवंबर को 4 नवंबर को ट्रायल कोर्ट दोषियों को सजा सुनाएगी, ज्ञात हो कि जवाहर पंडित की 13 अगस्त 1996 की शाम 7 बजे गोलियों से भूनकर हत्या हुई थी, सिविल लाइंस में पैलेस सिनेमा और काफी हाउस के बीच एके-47 राइफल से इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया
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था।18 अक्टूबर को रखा था फैसला सुरक्षित...
इसके साथ ही बताते चलें कि मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से 18 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए थे, वहीं करवरिया बंधुओं को निर्दोष साबित करने के लिए बचाव पक्ष की ओर से 156 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया था।
बता दें मामले में सभी पक्षों की बहस और दलीलें सुनने के बाद ट्रायल कोर्ट ने 18 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था। एडीजे कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 31 अक्टूबर की तारीख तय की थी।
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हत्याकांड के थे आरोपी...
जवाहर पंडित हत्याकांड में पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई पूर्व विधायक उदय भान करवरिया, पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया और राम चंद्र त्रिपाठी आरोपी हैं।
ज्ञात हो कि 23 साल पहले 13 अगस्त 1996 को सिविल लाइन्स में पैलेस सिनेमा और कॉफी हाउस के बीच एके 47 रायफल से करवरिया बन्धुओं ने झूंसी विधानसभा से सपा विधायक जवाहर यादव
पंडित की हत्या कर दी थी।
इसके साथ ही करवरिया बन्धुओं ने सपा विधायक जवाहर पंडित के साथ ही उनके ड्राइवर गुलाब यादव और एक राहगीर कमल कुमार दीक्षित की भी गोली लगने से मौत हो गई थी, जबकि विधायक पर हुए हमले में पंकज कुमार श्रीवास्तव और कल्लन यादव घायल हो गए थे।
विधायक की पत्नी ने दर्ज कराया था मुकदमा...
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बता दें हत्याकांड में विधायक की पत्नी की ओर से सिविल लाइंस थाने में करवरिया बंधुओं के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया था। सिविल लाइन्स थाने के बाद मुकदमे की विवेचना सीबीसीआईडी ने भी की और आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया था, मुकदमे के दौरान कुछ साल तक हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के चलते मुकदमे की सुनवाई भी नहीं हो सकी थी।
योगी सरकार ने लिया था यह फैसला...
इस बीच प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद सरकार ने करवरिया बंधुओं से मुकदमा वापस ले लिया था, जिसका विरोध पूर्व विधायक विजमा यादव ने किया और अदालत में कानूनी लड़ाई भी लड़ी।
कोर्ट ने लौटाया था वापस...
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इसके बाद कोर्ट ने सरकार के फैसले को यह कहते हुए वापस लौटा दिया था कि ट्रायल कोर्ट में चल रहे मुकदमे की सुनवाई फैसले के करीब है, मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपियों को सजा दिलाने के लिए अभियोजन की तरफ से जहां 18 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए थे, वहीं करवरिया बंधुओं को निर्दोष साबित करने के लिए बचाव पक्ष की ओर से 156 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया है।
कलराज मिश्रा...
इस मामले भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे और मौजूदा समय में राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्रा की भी गवाही हो चुकी है, फिलहाल दोनों ही पक्षों को 23 साल चली इस लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद अब फैसले का बेसब्री से इंतजार है।