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विपक्ष के गुरिल्ला हमले की उम्मीद नहीं थी योगी सरकार को
प्रदेश में लगातार हुई बलात्कार की कई घटनाओं के बाद जहां विपक्ष आक्रामक मूड में आ गया है वहीं सत्ता पक्ष बचाव के हर तरीके अपना रही है। योगी सरकार को इस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि उन्नाव में हुई बलात्कार की यह घटना बिखरे हुए विपक्ष को एक कर देगी।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: पिछले ढाई साल से अधिक का कार्यकाल पूरा कर चुकी योगी सरकार पहली बार विपक्ष के सीधे निशाने पर है। प्रदेश में लगातार हुई बलात्कार की कई घटनाओं के बाद जहां विपक्ष आक्रामक मूड में आ गया है वहीं सत्ता पक्ष बचाव के हर तरीके अपना रही है। योगी सरकार को इस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि उन्नाव में हुई बलात्कार की यह घटना बिखरे हुए विपक्ष को एक कर देगी।
कानून व्यवस्था को लेकर भी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व मेंं चल रही प्रदेश की भाजपा सरकार अपने विकास कार्यो एवं धार्मिक एजेंडे को लेकर जनता के बीच लोकप्रियता की सीढी दिन प्रति दिन चढ जा रही थी। कानून व्यवस्था को लेकर भी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी। कुछ घटनाएं हुई भी तो विपक्ष के लचर रवैये के चलते मामला तूल नहीं पकड़ सका। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समय -समय पर सोशल मीडिया पर ही सरकार को घेरते रहते थें।
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कई घटनाएं हुई भी तो वह कभी सड़क पर नहीं उतरे। यही हाल बसपा सुप्रीमों मायावती का भी था। पर लोकसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी की ओर अपने कदम बढ़ाए तो मृत पड़ी कांग्रेस को मानो संजीवनी मिल गयी हो। इस चुनाव में प्रियंका गांधी की उपस्थिति ने भले ही कांग्रेस की सीटे न बढाई हों पर यूपी में खाली पडे़ विपक्ष के एक बडे़ नेतृत्व की कमी को जरूर पूरा कर दिया।
लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में जब कानून व्यवस्था अथवा जनहित से जुड़ा जब भी कोई मामला आया तो सरकार पर सबसे तेज हमला प्रियंका गांधी ही करती रही। फिर चाहे वह सोनभद्र का मामला हो बिजली कर्मियों के फंड का मामला हो अथवा मैनपुरी में एक स्कूली छात्र के रहस्यमय तरीके से मौत का मामला क्यों न हो।
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उन्नाव की बेटी के साथ हुए बलात्कार और फिर जलाने की घटना में भी यही हुआ। वैसे तो प्रियंका गांधी यहां पार्टी संगठन की बैठक में आई थी लेकिन इस घटना के बाद उन्होंने सारे कार्यक्रम निरस्त कर उन्नाव कूच कर दिया। यह खबर जैसे ही अन्य विपक्षी दलों सपा-बसपा को लगी, दोनो दल सक्रिय हो गये। जहां सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव विधान भवन के गेट पर पहुंचकर धरना देने लगे वहीं आनन-फानन बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी राजभवन में अपनी दस्तक दे दी।
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राज्य सरकार को इस बात की उम्मीद नही थी
राज्य सरकार को इस बात की उम्मीद नही थी कि आनन फानन विपक्ष उसे एक साथ घेर लेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के अचानक गुरिल्ला शैली में हुए हमले को जवाब देने के लिए अपने दो मंत्रियों स्वामी प्रसाद मौर्य और कमल रानी वरूण को उन्नाव रवाना किया ।
स्वामी प्रसाद मौर्या ने युवती के परिजनों को 25 लाख देने की घोषणा कर विपक्ष की धार को कम करने की कोशिश भी की है लेकिन पिता के सहयोग राशि लेने से मना कर देने के बाद विपक्ष के पास अभी भी सरकार को घेरने का मौका बना हुआ है।