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UP विधानसभा उपचुनाव: काम नहीं आयी बसपा सुप्रीमों की रणनीति, मिली करारी हार

यूपी के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने जहां सात सीटों में से 6 सीटों पर चुनाव जीत कर अपनी प्रतिष्ठा बचा ली तो वहीं सपा भी अपने कब्जे वाली मल्हनी विधानसभा सीट पर जीत हासिल करके अपनी सियासी हैसियत को कायम रखने में कामयाब रही।

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Published on: 10 Nov 2020 5:28 PM GMT
UP विधानसभा उपचुनाव: काम नहीं आयी बसपा सुप्रीमों की रणनीति, मिली करारी हार
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UP विधानसभा उपचुनाव: काम नहीं आयी बसपा सुप्रीमों की रणनीति, मिली करारी हार

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: यूपी के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने जहां सात सीटों में से 6 सीटों पर चुनाव जीत कर अपनी प्रतिष्ठा बचा ली तो वहीं सपा भी अपने कब्जे वाली मल्हनी विधानसभा सीट पर जीत हासिल करके अपनी सियासी हैसियत को कायम रखने में कामयाब रही। बुलंदशहर में सपा के समर्थन से चुनाव लड़ रही रालोद मुख्य लड़ाई में भी नहीं दिखी तो इस उपचुनाव में बसपा को कोई सफलता नहीं मिली वह केवल बुलंदशहर सदर में ही मुख्य लड़ाई में रही।

जातिगत आधार पर समीकरण बैठाने का निर्देश

अमूमन उपचुनाव न लड़ने वाली बसपा ने उपचुनाव की सातों सीटों पर चुनाव लड़ा। इसके लिए बसपा सुप्रीमों मायावती काफी समय से तैयारी कर रही थी। उन्होंने चुनाव से करीब दो माह पूर्व ही दिल्ली में उपचुनाव विधानसभा क्षेत्र वाले मुख्य सेक्टर प्रभारियों के साथ कई दौर की बैठकें की और विधानसभा उपचुनाव को ध्यान में रखते हुए जातिगत समीकरण के आधार पर कुछ सेक्टर प्रभारियों की जिम्मेदारियां भी बदली। मुख्य सेक्टर प्रभारियों को जातिगत आधार पर समीकरण बैठाने का निर्देश भी दिया।

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2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को इन सीटों पर मिली हार

दरअसल, लगातार घटती सियासी हैसियत से परेशान बसपा सुप्रीमों मायावती की रणनीति उन सीटों पर थी, जिन पर वह पूर्व में काबिज रह चुकी है। बसपा सुप्रीमों की रणनीति थी कि अगर इन चार सीटों पर फोकस करके इनमे से दो या तीन सीटें भी हासिल कर लेगी तो आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में उसकी दावेदारी और मजबूत हो जायेगी। इन सीटों में उन्नावं की बांगरमऊ, फिरोजाबाद की टूंडला, बुलंदशहर की सदर तथा कानपुर देहात की घाटमपुर विधानसभा सीट शामिल थी। हालांकि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा इन चारो सीटों पर हार गई थी लेकिन इससे पूर्व के चुनावों में बसपा ने यहां बेहतर प्रदर्शन किया था।

घाटमपुर में वर्ष 2017 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी सरोज कुरील दूसरे स्थान पर रही थी। बुलंदशहर की सदर विधानसभा सीट पर भी बसपा के हाजी अलीम वर्ष 2007 तथा 2012 में यहां से विधायक बने थे लेकिन वर्ष 2017 में भाजपा ने बसपा से यह सीट छीन ली थी। इसी तरह टूंडला विधानसभा पर बसपा का वर्ष 2007 व 2012 दोनों ही विधानसभा चुनावों में कब्जा रहा था और वर्ष 2017 के चुनाव में भी वह दूसरे स्थान पर रही थी।

इसी तरह जबकि उन्नावं की बांगरमऊ सीट पर भाजपा के कुलदीप सिंह सेंगर के मैदान में न होने से बसपा को यहां से उम्मीदे थी। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां बसपा के इरशाद खां काफी अच्छा चुनाव लड़े थे। हालांकि बसपा सुप्रीमों की रणनीति उपचुनाव में परवान नहीं चढ़ पाई और केवल बुलंदशहर सदर में ही उसका प्रत्याशी मुख्य लड़ाई में रहा।

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