×

UP Board Result: अंक से नहीं, अपने अंदर की प्रतिभाओं से करें खुद का आंकलन

वर्तमान परिवेश में छात्र-छात्राओं पर अधिक अंक लाने का दबाव है। यह दबाव सिर्फ अपने शिक्षकों और सहपाठियों का ही नहीं अभिभावकों का भी है। इस दबाव में कई बार प्रतिभाएं बिखर जाती हैं।

Rahul Joy
Published on: 27 Jun 2020 4:56 AM GMT
UP Board Result: अंक से नहीं, अपने अंदर की प्रतिभाओं से करें खुद का आंकलन
X

गोरखपुर। कोरोना के संक्रमण काल में शनिवार (27 जून) को यूपी बोर्ड के 10 वीं और 12 वीं के परिणाम आ रहे हैं। जाहिर है किसी को मेहनत के अनुरूप अंक मिलेंगे, किसी को कुछ कम अंक भी मिल सकते हैं। वर्तमान परिवेश में छात्र-छात्राओं पर अधिक अंक लाने का दबाव है। यह दबाव सिर्फ अपने शिक्षकों और सहपाठियों का ही नहीं अभिभावकों का भी है। इस दबाव में कई बार प्रतिभाएं बिखर जाती हैं। बिना सोचे-समझे ऐसा निर्णय ले लेती हैं, जिसका पक्षतावा अभिभावक को ही नहीं उन्हें भी होता है, जो समझते हैं कि जिंदगी में परीक्षा में बेहतर अंक लाना ही सबकुछ नहीं है, उसके आगे भी बहुत कुछ है।

कापियों में अधिक नंबर पाने वाले ही जिंदगी में सफल नहीं होते हैं, सफलता की बुलंदियां वह भी चूमते हैं, जिनमें अन्य तरीके की काबलियत और प्रतिभा होती है। इसी को देखते हुए देश के अग्रणी न्यूजपोर्टल 'न्यूजट्रैक' और 'अपना भारत' ने मनोविज्ञानियों, काउंसलर से लेकर सामाजशास्त्र के जानकारों से बात की। सभी कहते हैं कापियों में मिले नंबर नहीं, अपने अंदर छुपी प्रतिभा का आंकलन करें। मंजिलें कदम चूमेंगी।

कोराना को लेकर राहुल का मोदी सरकार पर निशाना, कहा- PM ने कर दिया सरेंडर

बोर्ड परीक्षा जिंदगी का पड़ाव मात्र, जीवन नहीं-डॉ.प्रेमलता

मनोचिकित्सक और काउंसलर डॉ.प्रेमलता वर्मा कहती हैं कि परीक्षा तथा परीक्षा के परिणाम विद्यार्थी और माता पिता सभी के लिए चिंता के कारण होते हैं। हम सब अपने जीवन में लक्ष्य बना कर तैयारी करते हैं। परिणाम यदि हमारी प्रत्याशा के अनुरूप हो तो निश्चय ही प्रसन्नता और संतोष होगा। परन्तु परिणाम यदि आपकी प्रत्याशा से भिन्न हो तो भी याद रखें कि बोर्ड परीक्षा जीवन का एक पड़ाव मात्र है, जीवन नहीं।

यह आपमें छुपी असीम संभावनाओं का मापदंड नहीं है। कोरोना महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मनुष्य के समक्ष कब कौन सी नई चुनौती आ कर खड़ी हो जाएगी, इसकी भविष्यवाणी करना असम्भव है। परन्तु मनुष्य ने अपनी जिजीविषा से सदैव ही विजय पाया है।

चीन का अड़ियल रुख: एलएसी पर तनाव बरकरार, फैसलों पर अमल नहीं कर रहा ड्रैगन

बोर्ड भी अन्य रेगुलर एग्जाम की तरह, नंबर का तनाव न लें-डॉ.निशा

मनोविज्ञान में शोध करने वाली छात्रा डॉ.निशा सिंह का कहना है कि इस वैश्विक महामारी के दौरान शैक्षणिक गतिविधियों की अनिश्चितता और अप्रत्याशितता को लेकर छात्रो में पहले से ही गंभीर मानसिक तनाव है। ऐसे वक़्त में दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम घोषित होना जो कि छात्रों के जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होता है। उसमे बेहतर प्रदर्शन कर अच्छे अंकों से पास होने के तनाव से कई बार बच्चे चिंताजनक विकारों की चपेट में आ जाते है। जिसके परिणामस्वरुप कुछ बच्चों में घबराहट, फोबिया और अवसाद की प्रवृति पाई जाती है। इस अवस्था में मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याए हो सकती हैं।

इस चुनौतीपूर्ण समय में अभिभावकों को चाहिए कि वे रिजल्ट्स को लेकर बच्चों पर अधिक दबाव न डालें बल्कि बहुत ही समझदारी तथा सकरात्मकता के साथ यह समझाएं की बोर्ड एग्जाम भी उनके किसी भी अन्य रेगुलर एग्जाम की तरह ही होते है। तथा आगे और मेहनत कर के वे बेहतर परिणाम पा सकते है तथा कामयाब बन सकते है। क्योंकि समस्या की शुरूआत तब होती है जब बच्चों के मन में अपने माता-पिता की अपेक्षाओं के पूरा न हो पाने से भय उत्पन्न होने लगता है। साथ ही साथ छात्रों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने मस्तिष्क को नियंत्रित करें और इसे स्वस्थ एवं शांत रखें क्योकि ये मस्तिष्क ही है जो कठिन परिस्थितियों में चीजों को अतिरंजित करने की कोशिश करता है।

Live: कोरोना का तहलका, एक दिन में 18,552 नए केस, मरीजों का आंकड़ा 5 लाख पार

अपने अंदर छुपी प्रतिभा को देंखे, परीक्षा के अंक को नहीं-डॉ.मनीष

दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग में शिक्षक डॉ.मनीष पांडेय कहते हैं कि किसी भी छात्र-छात्रा के जीवन में मूल्यांकन का आधार सिर्फ बोर्ड परीक्षा में मिले नम्बर नहीं होना चाहिए। जिनके परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आते हैं, वे भी अपनी दूसरी प्रतिभा के चलते बुलंदियों को पाते हैं। खेल, सिनेमा, राजनीति के मैदान में कई ऐसे उदाहरण हैं, जहां परीक्षा में अच्छा नहीं करने वाले भी सफल हैं। बच्चा जिस क्षेत्र में जाने की रुचि रखता है उसे उसी क्षेत्र में जाने की आजादी मिलनी चाहिए। हमें नम्बर का आकलन नहीं बल्कि उसकी प्रतिभा का आंकलन करना चाहिए कि वह क्या सर्वश्रेष्ठ कर सकता है। अभिभावकों और शिक्षकों को नम्बर लाने के लिए दबाव बनाने के बजाय उसके जीवन को सफल बनाने के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभानी चाहिए ।

घर से मानसिक दबाव की होती है शुरूआत, ऐसा न करें-प्रो.सुषमा

दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक विभाग में अध्यक्ष प्रो . सुषमा पाण्डेय कहती हैं कि बोर्ड परीक्षा में बच्चे हमेशा से ही दबाव में रहते हैं यह उनके घर से ही शुरू होता है। अपनी पहचान और भविष्य के ढांचे के निर्माण के लिए छात्र अपनी मूल प्रतिभा से भटक जाता है। वह जो काम ज्यादा बेहतर तरह से कर जीवन में कामयाबी पा सकता था वह उस काम से हटकर सिर्फ अच्छे प्रतिशत लाने की होड़ में लग जाता है। ये होड़ प्रतिभा को दबाने और मानसिक तनाव विकसित करने का काम करती है। कामयाबी का पैमाना सिर्फ अच्छे नम्बर नहीं हो सकते हैं। निश्चित रूप से नम्बर अच्छे हैं तो बहुत अच्छा है लेकिन जिनके नम्बर कम है इसका मतलब ये नहीं कि वे कुछ बड़ा नहीं कर पायेंगे।

रिपोर्टर- पूर्णिमा श्रीवास्तव, गोरखपुर

UP Board 10th Result 2020: हो जाएं बेफिक्र, फोन पर ऐसे आ जाएंगा तुरंत रिजल्ट

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Rahul Joy

Rahul Joy

Next Story