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यूपी में दस्तक अभियान शुरू: घर-घर पहुंचेंगे हेल्थ वर्कर्स, संक्रामक रोगों पर देंगे ज्ञान
दिमागी बुखार, कोविड-19 एवं अन्य संक्रामक रोगों को लेकर व्यापक जन-जागरूकता के लिए आज से दस्तक अभियान शुरू हो गया, जो 24 मार्च तक चलेगा।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ। प्रदेश में दिमागी बुखार, कोविड-19 एवं अन्य संक्रामक रोगों को लेकर व्यापक जन-जागरूकता के लिए आज से दस्तक अभियान शुरू हो गया जो 24 मार्च तक चलेगा। जिसमें प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर संक्रामक बीमारियों से बचाव और उपचार कि सम्बन्ध में जानकारी देंगे। अभियान में आशा तथा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा घर-घर जाकर जागरूकता फैलाने का कार्य किया जायेगा।
संक्रामक रोगों को लेकर आज से दस्तक अभियान शुरू
यह जानकारी देते हुए महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि इस बार दस्तक अभियान में प्रंट लाइन वर्कर्स आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के द्वारा घर-घर जाकर किए जाने वाले संवेदीकरण तथा सर्वेक्षण कार्य में कुछ नई जिम्मेदारियों को भी शामिल किया गया है। आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री प्रत्येक घर में क्षय रोग के संभावित रोगियों के विषय में भी जानकारी प्राप्त करेंगी। ऐसे किसी व्यक्ति की सूचना प्राप्त होने पर उसका विवरण एएनएम के माध्यम से ब्लाॅक मुख्यालय भेजेंगी।
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24 मार्च तक स्वास्थ्य कार्यकर्ता जाएंगे घर-घऱ
उन्होंने बताया कि आशाएं जन्म-मृत्यु के पंजीकरण से छूटे शिशु और व्यक्तियों का पंजीकरण तथा दिमागी बुखार से विकलांग हुए लोगों की जानकारी एकत्र करने का कार्य भी करेंगी। उन्होंने बतया आशा और आंगनबाड़ी प्रतिदिन कार्य समाप्ति पर पाँच सूचियाँ ब्लाक मुख्यालय पर उपलब्ध कराएंगी, जिसमें बुखार के रोगी, क्षय रोग के लक्षण वाले लोगों की सूची, जन्म मृत्यु पंजीकरण की सूची, कुपोषित बच्चों की सूची तथा दिमागी बुखार से विकलांग लोगों की सूची शामिल है।
आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां करेंगी जागरुक
ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार द्वारा दस्तक अभियान के माध्यम से व्यापक स्वास्थ्य शिक्षा, जागरूकता तथा सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन संचार की क्रन्तिकारी रणनीति अपनायी गयी है। इसके माध्यम से लोगों को बचाव और सही समय पर उपचार के संदेश पहुँचा कर दिमागी बुखार की समस्या पर प्रभावी नियंत्रण प्राप्त किया गया है। दस्तक का शाब्दिक अर्थ है दरवाजा खटखटाना।
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दिमागी बुखार से सम्बन्धित शिक्षा को परिवारों तक पहुंचाने का लक्ष्य
इस अभियान के जरिये दिमागी बुखार से सम्बन्धित शिक्षा एवं व्यवहार परिवर्तन के संदेश गाँव के हर एक घर और परिवार तक पहुँचाने का लक्ष्य है। अभियान को प्रभावी बनाने में क्षेत्रीय कार्यकर्ता जैसे आशा, आंगबाड़ी, एएनएम के साथ-साथ स्कूल शिक्षक और प्रधान तथा विविध विभागों की अहम भूमिका है।