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कोरोना का टीका लगवाने जाएं तो रहे सावधान, बचें मरीज बनने से
टीकाकरण केंद्रों में अभी तक सरकार के निर्देशों के अनुरूप काम नहीं हो रहा है। इसकी एक बानगी कल राजधानी लखनऊ में देखने को मिली। जब सरकारी टीकाकरण केंद्र पर अव्यवस्था का आलम दिखा साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं दिखा।
रामकृष्ण वाजपेयी
कोरोना महामारी के इस दौर में जब कोरोना की दूसरी लहर कई राज्यों को अपनी चपेट में ले चुकी है। उत्तर प्रदेश में भी इसके फैलने का खतरा मंडराने लगा है। इसे देखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने टीकाकरण के कार्यक्रम में तेजी लाने के निर्देश दिये हैं। जिसमें यहां तक कहा गया है कि अब कोविड-19 का टीका लगवाने के लिए सिर्फ आधार कार्ड को दिखाना पर्याप्त होगा।
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं दिखा
लेकिन टीकाकरण केंद्रों में अभी तक सरकार के निर्देशों के अनुरूप काम नहीं हो रहा है। इसकी एक बानगी कल राजधानी लखनऊ में देखने को मिली। जब सरकारी टीकाकरण केंद्र पर अव्यवस्था का आलम दिखा साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं दिखा।
गौरतलब है कि यह संवाददाता एप पर अपना टीकाकरण चुनने व समय लेने के बाद निर्धारित समय पर टीका लगवाने नवल किशोर रोड पर सीएचसी पर पहुंचा तो अस्पताल में प्रवेश करने के बाद टीका लगवाने के लिए नौ नंबर कक्ष में जाने को कहा गया। जहां बिना लाइन लगाए लोग जमावड़ा लगाए एक दूसरे से सटकर खड़े थे। अंदर तीन व्यक्ति बैठे थे।
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आधार कार्ड दिखाने पर एक व्यक्ति जो कार्ड ले रहा उसने कहा इसे फोटो स्टेट करा कर लाएं। फोटो स्टेट कराकर देने पर उसने कहा इस पर अपना मोबाइल नंबर डालें और लिखें कहां से आए हैं। इतना करने पर उसने फोटो कापी ले ली। थोड़ी देर बाद उसने फिर आवाज दी और कहा आपको टीका नहीं लगेगा।
60 साल से ऊपर वालों के ही लग रहा
कारण पूछने पर उसने कहा 60 साल से ऊपर वालों के ही लग रहा है। ये बताने पर कि टीका लगवाने का इच्छुक व्यक्ति शुगर व उच्च रक्तचाप का मरीज है और उसे कोरोना भी हो चुका है। यह कहा गया कि डाक्टर के पर्चे लाइए। डाक्टर के पर्चे देने पर इंतजार करने को कहा गया इसके कुछ देर बाद टीका लगवाने के लिए कार्ड दिया गया।
टीका फर्स्ट फ्लोर पर लग रहा था। वहां जाना चाहा तो चैनल गेट बंद था। गेट के बाहर काफी लोग खड़े थे कारण पूछने पर बताया गया कि ऊपर बहुत भीड़ है। कुछ देर इंतजार करने के बाद चैनल से जब करीब दो दर्जन लोग निकल गए तब ऊपर जाने को कहा गया। ऊपर फिर से कार्ड के डिटेल नोट कराए गए इसके बाद फिर सब लोगों से लाइन लगाने को कहा गया जिसमें तकरीबन 50 लोग थे।
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यहां टीका लगाने के लिए सिर्फ एक काउंटर था जिसमें एक महिला फोन पर एप के जरिये विवरण दर्ज कर रही थी और दूसरी इंजेक्शन लगा रही थी। इस प्रक्रिया में सात- आठ मिनट लग रहे थे। टीका लगने के बाद एक कक्ष में लोगों को बैठाया गया इस दौरान पुनः विवरण दर्ज किया गया।
सवाल ये उठता है कि एक तरह टीके के खराब होने की दर उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है। फिर टीका लागने में इतनी कंजूसी क्यों की जा रही है। एक तो लोग टीका लगवाने अफवाहों के चलते जल्दी जा नहीं रहे हैं। दूसरे जो लोग जा रहे हैं। उनके लिए उचित सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं हो रहा।
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सरकार को सूबे को बचाना है और कोविड को फैलने से रोकना है तो सोशल डिस्टेंसिंग पर सख्ती के साथ टीकाकरण को लेकर उदार रुख अपनाना पड़ेगा। ताकि कोरोना के दूसरी लहर को निष्प्रभावी किया जा सके।
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