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यूपी के सरकारी डॉक्टर भी एनएमसी बिल के विरोध में, जानें पूरा मामला

उन्‍होंने बताया कि एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ सचिन वैश्य का स्प्ष्ट रूप से यह मत है कि सरकार द्वारा एमसीआई को समाप्त कर एनएमसी बिल लागू करना एक गैर जरूरी, अदूरदर्शी और हठधर्मी फैसला है।

Manali Rastogi
Published on: 1 Aug 2019 2:50 AM GMT
यूपी के सरकारी डॉक्टर भी एनएमसी बिल के विरोध में, जानें पूरा मामला
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लखनऊ: प्रॉविन्शियल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन ने नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल पर अपना विरोध जताया है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को समाप्‍त कर एनएमसी बनाये जाने को अदूरदर्शी और हठधर्मी भरा फैसला बताते हुए सरकार से मांग की है कि इस फैसले को रद करें या फि‍र संशोधित करें।

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महामंत्री डॉ अमित सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि आज 31 जुलाई को एसोसिएशन के केंद्रीय प्रतिनिधियों की एक आपातकालीन बैठक संघ के मुख्‍यालय पर अध्‍यक्ष डॉ सचिन वैश्‍य की अध्‍यक्षता में हुई। इस बैठक में संघ ने एनएमसी बिल पर विरोध जताया।

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उन्‍होंने बताया कि एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ सचिन वैश्य का स्प्ष्ट रूप से यह मत है कि सरकार द्वारा एमसीआई को समाप्त कर एनएमसी बिल लागू करना एक गैर जरूरी, अदूरदर्शी और हठधर्मी फैसला है। भविष्य में यह एक बडी ऐतिहासिक भूल के रूप में चिन्हित किया जाएगा।

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एनएमसी बिल न सिर्फ चिकित्सा शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं का अहित कर रहा है, बल्कि देश और राज्य के सामान्य जन को नीम-हकीम के हवाले कर रहा है। जैसा कि विदित है कि एनएमसी की नियंत्रक समिति ब्यूरोक्रेट्स एवं राजनीतिक व्यक्तियों के हाथ में होगी जबकि एमसीआई चिकित्सा जगत से जुडे अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा नियंत्रित की जाती थी, चिकित्सा सेवा एक बेहद ही संवेदनशीन एवं विशेषज्ञ सेवा होती है, जिसे केवल विशेषज्ञ चिकित्सक ही नियंत्रित कर सकते हैं।

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