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धर्मांतरण विधेयक विधानसभा में पेश, अदालत में अंतिम सुनवाई 24 फरवरी को

यूपी विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन गुरुवार को योगी सरकार द्वारा धर्म परिवर्तन को गैरकानूनी बनाने वाला अध्यादेश लाया गया।

Shivani Awasthi
Published on: 18 Feb 2021 11:07 PM IST
धर्मांतरण विधेयक विधानसभा में पेश, अदालत में अंतिम सुनवाई 24 फरवरी को
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रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन गुरुवार को योगी सरकार द्वारा धर्म परिवर्तन को गैरकानूनी बनाने वाला अध्यादेश लाया गया। विधान सभा और परिषद द्वारा पारित होने के बाद यह अधिनियम में बदल दिया जाएगा।

धर्म परिवर्तन को गैरकानूनी बनाने वाला अध्यादेश यूपी में लाया गया

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अंतरधार्मिक विवाह में जबरन धर्म परिवर्तन के बढ़ते मामलों को देखते हुए नवंबर में 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' लागू किया था। इस क़ानून के तहत 'जबरन धर्मांतरण' उत्तर प्रदेश में दंडनीय हो गया है। इसमें एक साल से 10 साल तक जेल हो सकती है और 15 हज़ार से 50 हज़ार रुपए तक का जुर्माने का भी प्रावधान है।

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विधानसभा में पेश होगा धर्मांतरण विधेयक

इस अध्यादेश के लागू होने के बाद शादी के लिए धर्मांतरण को अमान्य हो गया है। इसी अध्यादेश को अब कानूनी रूप देने के लिए यह विधेयक पेश किया गया है।

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अध्यादेश के तहत विवाह या गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, खरीद या अन्य कथित धोखाधड़ी साधनों के माध्यम से किए गए धर्मांतरण को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है।

अध्यादेश प्रावधानों के उल्लंघन पर 15,000 रुपये का जुर्माना और सजा

वहीं अध्यादेश के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ पांच साल तक की सजा का प्रावधान है। ये सजा एक साल से कम नहीं हो सकती। लेकिन नाबालिग, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय से जुड़ी महिला या पुरुष का उक्त गैरकानूनी साधनों के माध्यम से धर्म परिवर्तित कराया जाता है, तो जेल की अवधि न्यूनतम तीन वर्ष होगी और 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ सजा को 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

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हालांकि इस अध्यादेश को अदालत में चुनौती गई है। याचिका में धर्मांतरण अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई है, इसके पीछे तर्क दिया गया है कि इस अध्यादेश का दुरुपयोग किया जा सकता है। इस मामले में अंतिम सुनवाई 24 फरवरी को होनी है।

यूपी विधानसभा

अध्यादेश को अदालत में चुनौती, अंतिम सुनवाई 24 फरवरी

उत्तर प्रदेश सरकार की दलील है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई थी और सामाजिक स्थिति खराब हो रही थी। इन हालात को रोकने के लिए ही राज्य सरकार कानून लेकर आई है। राज्य सरकार ने धर्मांतरण अध्यादेश को पूरी तरह से संविधान सम्मत बताया है। राज्य सरकार की दलील है कि इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता है।



Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

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