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UP Nikay Chunav 2023: भाजपा प्रत्याशी रूबी प्रसाद को मिली राहत, आपत्ति के मामले को RO ने किया ख़ारिज
Sonbhadra News: नगरपालिका परिषद राबटर्सगंज के रिटर्निंग आफिसर राजेश कुमार सिंह ने नामांकन पर दाखिल की गई आपत्ति को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। कहा है कि उन्हें राज्य स्तरीय स्क्रूटनिंग कमेटी की तरफ से पारित किए गए निर्णय के विधिक प्रभाव के सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
Sonbhadra News: दुद्धी की पूर्व विधायक रहीं रूबी प्रसाद को नगर निकाय निर्वाचन की सियासी पारी को लेकर बड़ी राहत मिली है। नगरपालिका परिषद राबटर्सगंज के रिटर्निंग आफिसर राजेश कुमार सिंह ने नामांकन पर दाखिल की गई आपत्ति को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। कहा है कि उन्हें राज्य स्तरीय स्क्रूटनिंग कमेटी की तरफ से पारित किए गए निर्णय के विधिक प्रभाव के सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। वहीं अभी, पूर्व में उनके पक्ष में जारी किए गए अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को अभी तक किसी भी सक्षम स्तर के अधिकारी के तरफ से निरस्त नहीं किया गया है।
सपा प्रत्याशी ने दर्ज कराई थी आपत्ति
बताते चलें कि सपा प्रत्याशी ऊषा सोनकर ने यह कहते हुए भाजपा की रूबी प्रसाद के नामांकन पर आपत्ति जताई थी कि अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग की राज्य स्तरीय स्क्रूटनिंग कमेटी ने अपनी सुनवाई में रूबी प्रसाद को सवर्ण पाया है। उनके पक्ष में निर्गत अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करते हुए जब्त करने के संस्तुति व निर्देश दिए गए हैं। इस निर्णय को रूबी प्रसाद की तरफ से हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी गई, लेकिन आदेश पर कोई रोक न लगाते हुए, सिर्फ आदेश के क्रम में किसी तरह की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई गई है। बुधवार की दोपहर अधिवक्ताओं से भरे अदालत में रिटर्निंग आफिसर राजेश कुमार सिंह ने मामले की सुनवाई की। जिला समाज कल्याण अधिकारी रमाशंकर यादव भी इस दौरान मौजूद रहे।
घंटेभर तक चली बहस के बाद आया निर्णय
आपत्तिकर्ता पक्ष की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश कुमार मिश्र और अधिवक्ता रामजियावन यादव ने पक्ष रखा। वहीं प्रत्याशी रूबी प्रसाद की तरफ से अधिवक्ता राजेंद्र पटेल ने दलीलें पेश की। इस मसले पर लगभग घंटे भर तक बहस चली। इसके बाद दोपहर तीन बजे के करीब इस मामले में निर्णय भी आ गया। पारित निर्णय में रिटर्निंग आफिसर की तरफ से कहा गया है कि रूबी प्रसाद के पक्ष में जारी अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र को किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी होने के दिनांक से अब तक निरस्त नहीं किया गया है। विधि का सुस्थापित सिद्धांत है कि कोई भी प्रमाण पत्र जब तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा निरस्त नहीं कर दिया जाता, तब तक वह विधिक रूप से प्रभावी माना जाता है। इस कारण इसको लेकर राज्य स्स्तरीय स्क्रूटनिंग कमेटी की तरफ से पारित निर्णय के विधिक प्रभाव के सुनवाई का क्षेत्राधिकार रिटर्निंग आफिसर को नहीं है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता राजेंद्र पटेल ने जहां निर्णय को सही बताया है। वहीं आपत्तिकर्ता पक्ष के अधिवक्ता अखिलेश कुमार मिश्र का कहना है कि निर्णय का अध्ययन किया जा रहा है। ऐसे मामलों से जुड़े विधिक निर्णयों के परिप्रेक्ष्य में आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।