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UP Nikay Chunav 2023: पति की शोहरत से होगी चुनावी नैया पार, कई महिला प्रत्याशियों को है उम्मीद

UP Nikay Chunav 2023: महापौर चुनाव में सीमा प्रधान समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार हैं। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं सीमा प्रधान को बेशक करीब 10 साल का राजनीतिक अनुभव है। लेकिन,सच्चाई यह भी है कि जिला पंचायत अध्यक्ष वे अपने पति अतुल प्रधान की बदौलत बनी थीं। अतुल प्रधान फिलहाल सरधना से सपा के विधायक हैं।

Sushil Kumar
Published on: 26 April 2023 8:52 PM IST
UP Nikay Chunav 2023: पति की शोहरत से होगी चुनावी नैया पार, कई महिला प्रत्याशियों को है उम्मीद
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UP Nikay Chunav 2023 (Photo: Social Media)

UP Nikay Chunav Meerut News: मेरठ नगर निगम चुनाव में इस बार पार्षदी मिलाकर कुल 100 से अधिक महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। यह अलग बात है कि इनमें चुनिंदा महिलाओं को छोड़कर अधिकांश अपने पति, बेटे या फिर अन्य किसी रिश्तेदार की शोहरत के दम पर चुनावी जंग में कूदी हैं, या यू कहें कि उतारी गई हैं। जाहिर है कि चुनाव कोई भी जीते लेकिन नगर निगम तंत्र शहर के प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों के हाथों में ही दिखाई देगा।

महापौर चुनाव में सीमा प्रधान समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार हैं। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं सीमा प्रधान को बेशक करीब 10 साल का राजनीतिक अनुभव है। लेकिन,सच्चाई यह भी है कि जिला पंचायत अध्यक्ष वे अपने पति अतुल प्रधान की बदौलत बनी थीं। अतुल प्रधान फिलहाल सरधना से सपा के विधायक हैं।

सपा प्रत्याशी के पति हैं सरधना से सपा विधायक

कहा जा रहा है कि मेयर चुनाव का टिकट सीमा प्रधान को अतुल प्रधान की वजह से ही मिला है। वैसे, अपने पति की शोहरत के सहारे राजनीति करने वाली सीमा प्रधान अकेली महिला नहीं हैं। उनसे पहले पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी की पत्नी संजीदा बेगम अपने वार्ड का सभासद चुनाव जीत चुकी हैं। हालांकि 2006 में मेयर के चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। इसी तरह 2006 के चुनाव में मेयर का चुनाव जीतने से पहले मधु गुर्जर का राजनीतिक परिचय यही था कि वे पूर्व कार्यकारी महापौर सुशील कुमार गुर्जर की पत्नी हैं। पिछले चुनाव में मेयर चुनाव जीतने वाली बसपा उम्मीदवार सुनीता वर्मा का चुनाव लड़ने से पहले राजनीतिक परिचय यही था कि वे बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी हैं।

खुद की सियासी ताकत दिखा रहीं महिला प्रत्याशी

हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि राजनीति के मैदान में सभी महिलाएं अपने पति, बेटे अथवा अन्य किसी रिश्तेदार की शोहरत के बल पर चुनावी जंग में उतरती हैं। ताजा मेयर के चुनाव में आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार ऋचा सिंह ऐसी ही एक उम्मीदवार हैं, जो कि खुद की सियासी ताकत से चुनावी जंग में कूदी हैं। पार्षद चुनाव की बात करें तो मेरठ में 90 वार्डों में से 31 वार्डों में करीब 100 से अधिक महिलाएं चुनावी मैदान में हैं।

पार्षद में कुछ नाम पहली बार सुन रहे मतदाता

अचानक सुखिर्यों में आईं कुछ महिलाओं के नाम तो उनके वार्ड के लोग पहली बार सुन रहे हैं। वार्ड 38 से सुमित्रा, वार्ड 12 से डिम्पी, वार्ड 15 से राजरानी, वार्ड 21 से प्रेमलता, वार्ड 88 से शबिस्ता, वार्ड 75 से शहाना, वार्ड चार से सुमन भारती, वार्ड 38 से रेनू सैनी आदि उन महिलाओं में शामिल हैं, जिनकी राजनीति हलकों में पहचान उनके अपने पति, बेटे अथवा अन्य किसी रिश्तेदार के कारण ही हैं। दरअसल,1992 में जब से पंचायतों और स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं।

तब से महिला सशक्तिकरण के नाम पर राजनीतिक दलों के नेता अपना राज कायम करने की कोशिश में लगे हैं। पिछले नगर निकाय चुनाव में भी यही हुआ था जब जीती महिलाओं ने जीत का प्रमाण-पत्र जरुर हासिल किया था। लेकिन बाकी का काम उनके पति, बेटे अथवा अन्य सगे-संबंधियों द्वारा ही किया गया।



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