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UP चुनाव में अन्य राज्यों के राजनीतिक दल नहीं टिक पाते, जानिए क्या है वजह

विधानसभा चुनाव के डेढ साल पहले भाजपा बसपा कांग्रेस ओर सपा के अलावा अन्य राज्यों के राजनीतिक दल भी यूपी में सक्रिय होने लगे है फिर चाहे वह आम आदमी पार्टी हो अथवा आल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) हो।

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Published on: 22 Dec 2020 5:02 AM GMT
UP चुनाव में अन्य राज्यों के राजनीतिक दल नहीं टिक पाते, जानिए क्या है वजह
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UP चुनाव में अन्य राज्यों के राजनीतिक दल नहीं टिक पाते

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: विधानसभा चुनाव के डेढ साल पहले भाजपा बसपा कांग्रेस ओर सपा के अलावा अन्य राज्यों के राजनीतिक दल भी यूपी में सक्रिय होने लगे है फिर चाहे वह आम आदमी पार्टी हो अथवा आल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) हो। इन दलों ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरने की बात कही है। पर अतीत के चुनाव परिणामों पर गौर करें तो दूसरे राज्यों के राजनीतिक दलों की हालत यहां बेहद खराब रही है।

इंडियन जस्टिस पार्टी का हुआ ये हाल

आम आदमी पार्टी की योजना प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बनी है। वहीं ओवैशी भी यहां पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) से गठबन्धन कर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। कभी दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहे इंडियन जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष डा उदित राज ने 2007 के विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे लेकिन उनके सभी 121 प्रत्याशी चुनाव हार गए। 2012 के चुनाव में भी इंडियन जस्टिस पार्टी ने 92 उम्मीदवार उतारे लेकिन 2 सीटों पर ही पार्टी प्रत्याशी दूसरे नम्बर पर आ सके।

AAP-leaders File Photo

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यूडीएफ के 54 प्रत्याशियों में से 53 हारे

इसी तरह 2007 के विधानसभा चुनाव में मौलाना बुखारी और हाजी याकूब कुरैशी ने यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की स्थापना की। चुनाव प्रचार के दौरान रामविलास पासवान और वीपी सिंह भी इस फ्रंट का हिस्सा बनकर उनके मंच पर आए। पर जब चुनाव परिणाम आए तो सबकुछ ‘दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका था। यूडीएफ के 54 प्रत्याशियों में से 53 चुनाव हार गए। केवल हाजी याकूब चुनाव जीते लेकिन एक अन्य सीट से वह चुनाव हार गए।

लोक जनशक्ति पार्टी ने भी की हाथ आजमाने की कोशिश

2007 के विधानसभा चुनाव में रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ने भी बिहार से निकलकर यूपी में हाथ आजमाने की कोशिश की। उस समय वह केन्द्र सरकार में मंत्री भी थें। पासवान की पार्टी के 71 प्रत्याशी चुनाव मे उतारे लेकिन जब परिणाम आए तो उनके प्रत्याशी को मिले वोटों का कहीं जिक्र भी नहीं हुआ।

lokjanshakti parti-chirag paswan-ram bilas pasvan File Photo

लालू का भी हुआ ये हाल

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी अपने राष्ट्रीय जनता दल को यूपी में स्थापित कराने की पूरी कोशिश की और 2007 का विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में राजद क 65 उम्मीदवार उतरे। लेकिन मतदाताओं ने लालू के प्रत्याशियों को स्वीकार नहीं किया तो फिर निराश होकर उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में केवल 4 प्रत्याशी ही उतारे। जिसमें उनके दल का केवल एक प्रत्याशी ही चौथे नम्बर पर आ सका।

इसी तरह 2012 के विधानसभा चुनाव में जनता दल (यू) ने अपने दम पर 219 प्रत्याशी उतारे पर अधिकतर सीटों पर जनता दल (यू) को 100 से 1000 तक ही मत मिल सके। जनता दल (यू) को मात्र 0,36 प्रतिशत मत ही मिल सके थें। कहीं कहीं तो प्रत्याशियों की हालत निर्दलीय प्रत्याशियों से भी बदत्तर रही थी। आंवला में पार्टी उम्मीदवार नेपाल सिंह को को मात्र 191 मत ही मिले थे।

Lalu yadav File Photo

इस चुनाव में रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) भी भी 212 प्रत्याशियों के साथ मैदान में उतरी लेकिन उसके सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी। इसके अलावा राज्य में 200 से ज्यादा ऐसे भी दल थे जिनके सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त करनी पड़ी थी। इसे विधानसभा चुनाव मे ममता बनर्जी की टीएमसी के 200 उम्मीदवार मैदान में उतरे थें जिनमें पूर्व नौकरशाह राय सिंह और किसान नेता वीएन सिंह भी शामिल थें पर इस चुनाव में उनके दल का सूपड़ा साफ हो गया।

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ममता की भी हालत हुई खराब

इसके बाद फिर अगले चुनाव में ममता बनर्जी की अपने प्रत्याशियों को उतारने की हिम्मत नहीं पड़ सकी। इसी चुनाव में सीपीआई के सभी 51 उम्मीदवार जमानत हो गयी थी जबकि एनसीपी ने 127 सीटों पर कैंडिडेट उतारें। इसी तरह सीपीएम ने 17 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, पर एक को छोडकर सभी की जमानत जब्त हो गई।

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