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UP: बिजली के हाल से बेहाल लोग, विभाग की तैयारियां डगमगाने लगीं
भीषण गर्मी के साथ बिजली की अघोषित कटौती ने यूपी की जनता का हाल-बेहाल हुआ है। तपती गर्मी में अघोषित बिजली की कटौती से पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। बिजली विभाग को बिजली आपूर्ति को बहाल करने के लिए काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
लखनऊ: भीषण गर्मी के साथ बिजली की अघोषित कटौती ने यूपी की जनता का हाल-बेहाल हुआ है। तपती गर्मी में अघोषित बिजली की कटौती से पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। बिजली विभाग को बिजली आपूर्ति को बहाल करने के लिए काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
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यूपी में जून के महीने में पहली बार ऐसा हुआ जब पारा 48 डिग्री के पार पहुंच गया है यूपी के बुंदेलखंड के बांदा जिले में पारा 49.2 डिग्री सेल्सियस रहा। गर्मी की मार से यूपी की जनता बेहाल हो गयी, बची खुची कसर बिजली विभाग पूरा कर दे रहा है।गर्मी में बिजली की अघोषित कटौती से शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति बाधित हो गयी है, जिससे लोगों का जन-जीवन प्रभावित हो गया है। वहीं प्रदेश में बिजली की मांग 22 हजार मेगावाट पार कर गई है। संकट बढ़ते ही प्रदेश के बिभिन्न हिस्सों में बिजली की जबरदस्त कटौती की जा रही है। यह संकट जून महीने में और बढ़ने की सम्भावना जताई जा रही है। पावर कारपोरेशन लगातार बिजली की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए पावर एक्सचेंज और अन्य मदो से बिजली की खरीददारी में लगा हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गत मई माह में ही बिजली की मांग 18000 मेगावाट से अधिक हो गया था। डिमांड अधिक होने से बिजली घरों में फाल्ट बढ़ गए। पावर कारपोरेशन ने बिजली की अनवरत आपूर्ति के लिए समय-समय पर कटौती कर रहा है। पॉवर कारपोरेशन ने तकरीबन छह माह पूर्व ही गर्मियों में बेहतर बिजली और अधिक बिजली आपूर्ति की रणनीति तैयार की थी। इसके तहत अधिकतम डिमांड 21 हजार तक रहने की उम्मीद जताई गई थी। इसके आधार पर ही ग्रिड की क्षमता भी बढ़ाकर 22 हजार मेगावाट की गई।
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केंद्रीय पूल से पहले से समझौता कर सस्ती दरों पर अधिक बिजली खरीद ली गई। हालांकि गर्मी बढऩे के साथ यह तैयारियां डगमगाने लगीं। मई माह में डिमांड 20396 मेगावाट तक पहुंच गई थी। जबकि पिछले वर्षों में मई माह में अधिकतम डिमांड 17700 मेगावाट तक पहुंची थी। पॉवर कारपोरेशन को आशंका थी कि मई में यह डिमांड 21000 से भी ऊपर जा सकती है। बिजली की डिमांड बढ़ते ही पावर कारपोरेशन ग्रामीण क्षेत्रो में 3 से 4 घण्टे रोस्टर से अधिक कटौती की जा रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों में 2 से 3 घंटे रोस्टर से अधिक कटौती की जा रही है।
फाल्ट कम रखने के निर्देश चेयरमैन आलोक कुमार ने सभी वितरण निगमों के प्रबंध निदेशकों और अन्य अधिकारियों को भेजे निर्देश में कहा कि लोड की निगरानी लगातार करते रहें। फाल्ट की घटनाएं रोकने के लिए लगातार सुधार काम करने को भी कहा। ट्रांसफार्मरों और तारों को बदलने के लिए भी कहा गया है। हालांकि इन तमाम निर्देशों और एहतियात के बाद भी फाल्ट हो रहे हैं। इससे प्रमुख शहरों में भी घंटों बिजली संकट बना हुआ है। वितरण सिस्टम अपग्रेड हुआ लेकिन डिमांड बढ़ी2017 से लेकर अब तक यूपी में ग्रिड की क्षमता को 18500 मेगावाट से बढ़ाकर 22500 मेगावाट तक कर दिया गया है। इससे पहले की अपेक्षा तकरीबन 4000 मेगावाट अधिक बिजली आपूर्ति हो सकेगी। हालांकि अब बिजली की मांग इस अधिकतम सीमा को भी छूने लगी है।-
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पावर कारपोरेशन ने बिजली की मांग को पूरा करने के लिए पावर एक्सचेंज और अपने मद के अन्य स्रोतों से 2500 मेगावाट बिजली खरीददारी की जा रही है। गर्मी को छोड़ आम दिनों में यूपी में बिजली की मांग महज 10000 मेगावाट से लेकर 13000 मेगावाट के बीच रहती है। गर्मी जैसे-जैसे बढ़ती है, वैसे बिजली की मांग बढ़ती जाती है।
अप्रैल से जुलाई तक बिजली की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि होती है।बिजली विभाग के ऊपर चिलचिलाती गर्मी से ट्रांसफार्मर को गर्मी से फुंकने की चुनौती रहती है, वही दूसरी तरफ फाल्ट को रोकने और बिजली की कमी को पूरा करने की भी चुनौती रहती है।