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बुलंदशहर में पहला थर्ड जेंडर आश्रम: जेवर बेचकर रखी नींव, Newstrack संग जुड़े मुहिम में

Newstrack.Com की आप सभी से अपील है कि आप भी इस पुनीत अभियान में शामिल हों। रंजना अग्रवाल की मुहिम का हिस्सा बनें और आश्रम की नींव को महल बनाने में सहयोग करें।

Shivani Awasthi
Published on: 7 Jan 2021 7:19 PM IST
बुलंदशहर में पहला थर्ड जेंडर आश्रम: जेवर बेचकर रखी नींव, Newstrack संग जुड़े मुहिम में
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बुलंदशहर । किन्नर समुदाय आज न केवल हाशिये पर जीवन व्यतीत कर रहा है बल्कि एक मनुष्य होने के बावजूद दोयम दर्जे का जीवन जीने को मजबूर है। किन्नर समाज के लोग अपनी अलिंगी देह को लेकर जन्म से मृत्यु तक अपमानित, तिरस्कृत औऱ संघर्षमयी जीवन व्यतीत करते हैं तथा आजीवन अपनी अस्मिता की तलाश में ठोकरें खाते हैं। लेकिन, अब खुर्जा के गांव टैना में उनकी जिंदगी को लेकर शानदार ख्वाब संजोया गया है। यहां थर्ड जेंडर के लिए देश का पहला आश्रम बनने जा रहा है। यहां रहने वाले किन्नरों के रोजगार का भी इंतजाम किया जाएगा। यह बीड़ा उठाने वाली समाजसेवी रंजना अग्रवाल को अपने जेवर तक बेचने पड़ गए।

थर्ड जेंडर के लिए देश का पहला आश्रम बनेगा मेरठ में

समाजसेवी रंजना अग्रवाल जो कि महिला कल्याण समिति की अध्यक्ष भी हैं, ने Newstrack.com से बातचीत में बताया कि रिसर्च में सामने आया है कि किन्नर समाज शारीरिक शोषण का शिकार होते हैं। ये विरोध भी नहीं कर पाते हैं। दूसरे समाज के लिए वृद्ध आश्रम, महिला आश्रम और बाल आश्रम हैं लेकिन किन्नर समाज के लिए ऐसी कोई सुविधा मौजूद नहीं है।

रंजना अग्रवाल ने की बड़ी पहल

रंजना ने कहा कि इस पीड़ा ने ही किन्नर आश्रम की नींव रखने के इरादे को मजबूत किया है। बकौल रंजना अग्रवाल ,थर्ड जेंडर का जीवन यापन दया व इमदाद पर आश्रित है। रोजगार भी लोगों की खुशियों में छिपा है। जो मिल गया, उसे किस्मत मान लिया। अधिकांश किन्नर गुरुओं व साथियों के रहमोकरम पर जिंदा हैं। नाफरमानी पर सीधे सड़क पर आ जाते हैं।

जेवर बेचकर किन्नर समाज के लिए बढ़ाए मदद के हाथ

किन्नरों पर 5 साल तक की गई एक रिसर्च में यह भयावह तस्वीर सामने आई है। छत के अभाव में किन्नर शारीरिक शोषण का शिकार होते हैं। रंजना बताती हैं, उन्होंने तमाम किन्नरों से सवाल किया कि वे विरोध क्यों नहीं करते? इस पर उनका कहना था कि कहां जाएंगे?

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आखिर किन्नर क्यों नहीं करते अपने साथ होने वाले शोषण का विरोध

वृद्ध आश्रम, महिला आश्रम व बाल आश्रम तो हैं लेकिन हमारे लिए सरकार ने इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है। ऐसे में सड़क पर दुर्गति से अच्छा है, बस पड़े रहो। समाज में दूरी इतनी है कि कोई किराये पर मकान नहीं देता, रोजगार तो दूर की बात है।

UP Social Worker Ranjana agarwal Sold her jewellery for First Third Gender Ashram built in Bulandshahr (2)

टैना गांव में किन्नर आश्रम की रखी गई नींव

महिला कल्याण समिति की अध्यक्ष रंजना अग्रवाल ने बताया देश के पहले किन्नर आश्रम की नींव टैना गांव में रखी गई। भूमिपूजन किया गया है। जल्द ही काम पूरा कर यहां वृद्ध व निराश्रित किन्नरों को आश्रय दिया जाएगा। यहां रहने वाले किन्नरों को रोजगारपरक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी। सरकार से किन्नरों को सहायता के लिए भी पत्र लिखा है। उम्मीद है यह मुहिम अन्य प्रदेश और जनपदों में भी आकार लेगी।

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दुनिया का सबसे ज्यादा शोषित समुदाय

रंजना कहती हैं, ट्रांसजेंडर समुदाय दुनिया का सबसे ज्यादा शोषित समुदाय है। ट्रांसजेंडर का शोषण समाज और परिवार से ही शुरू हो जाता है, उनको हेय दृष्टि से देखा जाता है और उनके साथ भेद भाव भी आम बात है। मजबूरन उन्हें घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ता है। जब ये किन्नरों और किन्नर समुदाय की लोगों से मिले तो एक भयानक दर्द औऱ उनके सोशन और जीवन का संघर्ष इनकी आँखों की सामने था। जिन्हें समाज मे आज भी स्वीकृति नही है,और हेय दृष्टि से देखा जाता है ।

ये घटना इनके मन और मस्तिक को झकझोर सा दिया। इस पीड़ा ने ही उनके किन्नर आश्रम की नींव रखने के इरादे को मजबूत किया है। जमीन खरीदकर आश्रम बनाने की कवायद शुरू हो गई है।

UP Social Worker Ranjana agarwal Sold her jewellery for First Third Gender Ashram built in Bulandshahr (2)

किन्नरों की व्यथा, न अच्छा घर, न काम और न सम्मान

रंजना की पहल को यहां पर काफी सराहा जा रहा है। माधुरी जो कि किन्नर हैं कहती हैं, किन्नर समाज को लोगों के द्वारा आज भी सम्मान नही मिलता, न हीं अच्छे घर और काम। मजबूरन उन्हें ट्रेन में भीख और समाज के घृणित और बहिष्कृत काम अपने जीविका के लिए करने पड़ते हैं। जिससे उनकी सुरक्षा और स्वास्थ दोनों पर ख़तरा बना रहता है और तो और समाज मे वो बहिस्कृत भी हैं। इन सभी चीजों को देखते हुए रंजना जी ने जो हमारे समाज के लिए किया है उसके लिए किन्नर समाज उनका सदैव आभारी रहेगा।

Newstrack संग आप भी जुड़े इस नेक मुहिम में

किन्नर कहें, मंगलामुखी कहें या थर्ड जेंडर। इनसे हम सभी के जीवन में कभी न कभी संपर्क जरूर होता है। हमारे जीवन से इनका बेहद करीब का रिश्ता है। बच्चे के जन्म की खुशियों से लेकर विवाह या अन्य मांगलिक अवसरों पर जब तक मंगलामुखी समूह का आर्शीवचन न हो , उत्सव फीका बना रहता है। सभी को खुशियों के अवसर पर मंगलामुखियों का इंतजार रहता है।

वह आते हैं और हमारी-आपकी खुशियों पर ऐसे निसार हो जाते हैं, ऐसा झूमकर नाचते और गाते हैं कि हमारी खुशियां कई - कई गुना बढ़ जाती हैं।

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ये मंगलामुखी हमारे -आपके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। वह भी हमारे समाज से अपना आत्मीय संबंध बना चुके हैं। कई परिवारों से उनका पीढिय़ों पुराना मजबूत व गहरा आत्मीय रिश्ता है। बच्चे के जन्म पर आशीर्वाद देने पहुंचने वाले मंगलामुखी समूह में कई बुजुर्ग मंगलामुखी ऐसे होते हैं जिन्होंने जन्म लेने वाले शिशु की दादी के बहू बनकर घर में प्रथम प्रवेश अवसर पर बधाई गाई है और नेग भी पाया है। ऐसे बुजुर्ग हो रहे मंगलामुखियों के लिए छोटे से शहर की रंजना अग्रवाल ने हिमालयी प्रयास किया है। वह इनके लिए आश्रम बनाने जा रही हैं।

Newstrack.Com उनके इस पुनीत कार्य में उनके साथ है। हमारी भी कामना है कि प्रदेश और देश में ऐसे कई आश्रम निर्मित हों जहां हमारे जीवन की खुशियों का उत्सव मनाने वाले मंगलामुखियों को घर जैसा माहौल मिले। Newstrack.Com की आप सभी से अपील है कि आप भी इस पुनीत अभियान में शामिल हों। रंजना अग्रवाल की मुहिम का हिस्सा बनें और आश्रम की नींव को महल बनाने में सहयोग करें। अगर आप भी इस अभियान से जुडऩा चाहते हैं तो समाचार के कमेंट में लिखकर बताएं। Newstrack.Com की ओर से आपको इस अभियान में जोड़ा जाएगा।

सुशील कुमार, मेरठ/बुलंदशहर

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