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यूपी के युवा वैज्ञानिक US में: कोरोना वैक्सीन पर कर रहे काम, दिन-रात किए एक

यूपी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मॉलिक्यूल स्ट्रक्चर की पहचान की है, जिसका इस्तेमाल कोरोना वायरस मनुष्य की कोशिकाओं को धोखा देने के लिए करता है।

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Published on: 6 Oct 2020 11:43 AM IST
यूपी के युवा वैज्ञानिक US में: कोरोना वैक्सीन पर कर रहे काम, दिन-रात किए एक
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यूपी के युवा वैज्ञानिक US में: कोरोना वैक्सीन पर कर रहे काम, दिन-रात किए एक (social media)

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए दिन रात मेहनत कर रहे है। कई देशों को वैक्सीन को बनाने में काफी हद तक सफलता भी मिली है। पर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अमेरिका में कोरोना को लेकर चल रही रिसर्च में यूपी के वैज्ञानिक अपनी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

यूपी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मॉलिक्यूल स्ट्रक्चर की पहचान की है

यूपी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मॉलिक्यूल स्ट्रक्चर की पहचान की है, जिसका इस्तेमाल कोरोना वायरस मनुष्य की कोशिकाओं को धोखा देने के लिए करता है। इस मॉलिक्यूल के कारण कोशिकाएं कोरोना के जेनेटिक सिक्वेंस को अपने जैसा ही समझने लगती हैं और यह वायरस आसानी से शरीर में फैलने लगता है। जिससे धीरे-धीरे इसका असर कम होने पर कोरोना संक्रमित मरीज को निजात मिलने लगती है।

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वैज्ञानिकों का यह दल पिछले छह महीने से इस शोध कार्य में दिन रात मेहनत करने में लगा है

वैज्ञानिकों का यह दल पिछले छह महीने से इस शोध कार्य में दिन रात मेहनत करने में लगा है। यूनीवर्सिटी आफ फ्लोरिडा में कई वर्षो से विज्ञान शोध के क्षेत्र में अपनी सेवाए देने वाले डा. योगेश गुप्ता है, जो फिरोजाबाद के रहने वाले है और उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की है। उनके साथ अलीगढ़ की शैली आर्य है, उन्होंने भी आगरा विश्वविद्यालय से एम.एस. की डिग्री प्राप्त की है। इनके अलावा लखनऊ के डा. अनुराग मिश्र हैं, जिन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद बाकी स्टडी बंगलौर में अपनी पूरी की और इस टीम का प्रमुख हिस्सा है। वैज्ञानिकों के इस दल में तमिलनाडु के डा.धीरू सेल्वम विश्वनाथन भी शामिल हैं।

corona-vaccine-doctors corona-vaccine-doctors (social media)

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के शोधकर्ताओं ने बताया

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के शोधकर्ताओं ने बताया कि इस बदलाव के जरिये एनएसपी वायरस को कोशिका की प्रतिरक्षा प्रणाली से बचा लेता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इसी मॉलिक्यूल की वजह से कोशिकाएं वायरस के एम.आर.एन.ए. को अपना ही समझने लगती हैं और वायरस का विरोध नहीं करती हैं। इस मॉलिक्यूल को निशाना बनाकर कोविड-19 संक्रमण का कारण बनने वाले वायरस को खत्म करना संभव हो सकता है।

अगर दवा की मदद से एम.आर.एन.ए. बदलने की वायरस की प्रक्रिया को रोका जा सके, तो शरीर की कोशिकाएं स्वत ही वायरस को बाहरी मानते हुए मिटाने लगेंगी। इस बदलाव के जरिये एन.एस.पी-10 वायरस को कोशिका की प्रतिरक्षा प्रणाली से बचा लेता है। शोधकर्ता डा.योगेश गुप्ता का मानना है कि यह एक ठगी जैसा है। वायरस इस बदलाव के जरिये कोशिकाओं को दिशाविहीन बना देता है।

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इसी मॉलिक्यूल की वजह से कोशिका एंवायरस के एम.आर.एन.ए. को अपना ही समझने लगती हैं

शोधकर्ताओं ने बताया कि इसी मॉलिक्यूल की वजह से कोशिका एंवायरस के एम.आर.एन.ए. को अपना ही समझने लगती हैं और वायरस का विरोध नहीं करतीहैं। इस मॉलिक्यूल को निशाना बनाकर कोविड-19 संक्रमण का कारण बनने वालेवायरस को खत्म करना संभव हो सकता है। अगर दवा की मदद से एम.आर.एन.ए बदलने की वायरस की प्रक्रिया को रोका जा सके, तो शरीर की कोशिकाएं स्वत ही वायरस को बाहरी मानते हुए मिटाने लगेंगी।

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