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400 साल पुराना मंदिर: यहां फांसी पर चढ़ा था ब्राह्मण, रहस्यों से भरा इसका इतिहास
इस मूर्ति को चोराने के नियत से असलहे के साथ मंदिर में प्रवेश किया लेकिन तभी एक सांप ने उन चोरों को डस लिए और सांप के डसने के कारण चोर अपना असलहा छोड़ चले गये।
गाजीपुर उत्तर प्रदेश का गाजीपुर जिला इस गाजीपुर मे बहुत से रहस्य छिपे हुए हैं। चाहे वो ऐतिहासिक हो या धार्मिक, अपना भारत न्यूजट्रेक की टीम ने एक ऐसे धार्मिक स्थल का पता लगाया जो गाजीपुर जनपद के कासिमाबाद तहसील के अंतर्गत सुरवत पाली(पाली) गांव में मौजूद है। गाजीपुर और मऊ जनपद के मध्य बसा यह गांव ऐतिहासिक पंच मंदिर के लिए मशहूर है। कहा जाता है,की राधा कृष्ण का पंच मंदिर करीब चार सौ साल पुराना है। ग्रामीणों ने बताया की उस समय के जमीदार शिव वर्त जायसवाल पंच मंदिर का निर्माण करवाया था।
भव्यता को दर्शाता, राधा कृष्ण का पंच मंदिर
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के पाली गांव में मौजूद चार सौ साल पुराना पंच मंदिर अपने इतिहास को समेटे हुए, आज भी उसी तरह.अपने भव्यता की छठा को विखेर रहा है,जैसे चार सौ साल पहले था। यहां के पुजारी मुनिन्द्र दास ने बताया की ऐतिहासिक मंदिर पर एक बार वाराणसी से पर्यटन विभाग के कुछ लोग भी आये थे,और इस जगह को पर्यटन स्थल बनाने के लिए सर्वे भी किया था।
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ब्राह्मण को बचाने के लिए ब्राह्मण के बराबर दिया पैसा, उसी पैसे से बना मंदिर
किवदंती है,की ब्रिटिश काल में गाजीपुर में एक ब्राह्मण को किसी अपराध को लेकर फांसी की सजा हुई थी,उस दौरान ब्रितानी जज ने शर्त रखा की अगर गाजीपुर का कोई भी व्यक्ति इस ब्राम्हण के वजन के बराबर मुद्रा लाता है।तो ब्राह्मण को वरी कर दिया जायेगा।
स्थानीय ग्रामीण सुरेश पान्डेय बताते हैं,की उस समय शिववर्त जायसवाल किसी काम के सिलसिले में गाजीपुर गये हुए थे। उन्होंने बताया की जब उन्हें पता चला तब जज के पास.पहुंच कहा की आप हमे एक दिन का समय दिजिए।
मंदिर पर मौजूद बबन राय ने बताया की अगले दिन यहां के जमीदार शिववर्त जायसवाल मुद्रा लेकर जज के पास पहुंच मुद्रा दे दिया। उस समय शिववर्त जायसवाल ने जज से कहा की आप ब्राम्हण को एक तराजू पर और एक पर मुद्रा रख तौल कर ले। उस समय गाजीपुर के ब्रिटानी जज ने जब तौल किया तो मुद्रा उस ब्राम्हण से अधिक हो गया। तब जज ने उस.ब्राह्मण को शर्त के अनुसार बरी कर दिया।
सोशल मीडिया से
गाजीपुर के ब्रितानी जज ने मुद्रा किया वापस,उस पैसे से बना पंच मंदिर
शिववर्त जायसवाल के पीढ़ी के पारस नाथ जायसवाल ने बताया की उस समय जो मुद्रा जज को दिया गया था। उस पैसे को जज ने वापस कर दिया।उन्होंने बताया की शिववर्त जब पैसा लेकर वापस घर आये तो यहां विद्वानों ने कहा की ब्राम्हण को दान किया हुआ पैसा लिया नहीं जाता अतः इस पैसे से मंदिर, तालाब व कुएं का निर्माण करा दें।
पारस नाथ जायसवाल ने बताया की उन्हीं पैसों से गाजीपुर घाट पर एक तालाब का निर्माण कराया गया।उन्होंने बताया की कासिमाबाद तहसील के अंतर्गत एक बेद विहारी का पोखरा जिसका निर्माण शिववर्त जायसवाल ने ही कराया।उन्होंने कहा की शिववर्त जायसवाल ने बहुत से तलाबो व कुएं का निर्माण कराया। उन्होंने बताया की अपने गांव पाली में राधा कृष्ण का पंच मंदिर का निर्माण कराया जो लगातार 12 साल तक चलता रहा।
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राधाकृष्ण मंदिर के संयुक्त पाच देवी देवताओं का भी मंदिर
राधा कृष्ण के मंदिर के साथ पाच देवी देवताओं का मंदिर का भी निर्माण कराया गया है।इसी वजह से इस मंदिर को पंच मंदिर कहा जाता है। नक्काशी युक्त राधा कृष्ण पंच मंदिर के साथ सुर्य मंदिर, शिव मंदिर, दुर्गा मंदिर,गणेश मंदिर का भी निर्माण कराया गया है।वैसे मुख्य रुप से ये राधाकृष्ण का मंदिर है।
56 खंभों के साथ राजस्थानी शैली में मंदिर का निर्माण
इस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण 56 खंबों के साथ किया गया है.इस मंदिर में राजस्थानी कलाकृतियों का निर्माण बखूबी किया गया। रामबचन राय बताते है,की इस मंदिर का निर्माण करीब 12 साल तक लगातार चलता रहा।उन्होंने बताया की इस ऐतिहासिक मंदिर में 56 खंभे बने हुए है.इस मंदिर का निर्माण राजस्थानी शैली मे हुआ है। जो इतने शालो बाद भी न जाने कितने तुफानो को झेलते हुए आज भी अपने अद्भुत झटा को दर्शा रहा है।
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चार बीघे में फैला है मंदिर
पाली गांव के ग्रामीण बताते है,की मंदिर चार.बीघे में फैला हुआ है।ग्रामीणों का कहना है,की इस मंदिर की संपत्ति को जिसने भी लुटने की कोशिश किया लगभग सभी लोग नेस्तनाबूद हो गये। ग्रामीणों ने बताया की ये चमत्कारी मंदिर है। मंदिर के पुजारी मुनिन्द्र दास ने बताया की इस मंदिर में राधाकृष्ण का अष्ट धातु मुर्ति स्थापित था। इस मूर्ति को चोराने के नियत से असलहे के साथ मंदिर में प्रवेश किया लेकिन तभी एक सांप ने उन चोरो को डस लिए और सांप के डसने के कारण चोर अपना असलहा छोड़ चले गये।
सोशल मीडिया से
ब्रिटिश सरकार में मंदिर के नाम से जमा था पैसा, आज भी मिलता है,ब्याज
बबन राय व सुरेश पान्डेय ने बताया की ब्रितानी हुकूमत के दौरान ब्रितानी बैंक में मंदिर के नाम से कुछ पैसा भी जमा था। जिसका आज भी कुछ ब्याज मिलता है।उन्होंने बताया की पैसा कितना जमा था ये तो पता नहीं पर आज भी मंदिर के खाथे में कुछ ब्याज मिलता है। वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है,की इस स्थान चुनाव के वक्त जनप्रतिनिधि आते है,और बड़े बड़े वादे कर चुनाव जीतने के बाद भुल जाते है। बुद्धिजीवी ग्रामीणों ने बताया की सरकार व जिला प्रशासन के तरफ कोई अनुदान मंदिर को नहीं मिलता है। ग्रामीणों का कहना है,की अगर इस जगह को पर्यटन स्थल बना दिया जाय तो मंदिर के बिकास के साथ साथ बेरोजगारों को कुछ रोजगार भी मिल जायेगा।
चार सौ साल पुराना मंदिर का प्रमुख गेट
ऐतिहासिक राधाकृष्ण के मंदिर के चार सौ साल पुराने निशानी के तौर पर एक मुख्य गेट बचा हुआ है,जो अब बंद कर दिया गया है। मंदिर के पुजारी ने बताया की इस गेट का निर्माण मंदिर के समय ही हुआ था।जिसे जर्जर स्थिति में होने के कारण अब बंद कर दिया गया है। ग्रामीण सुरेश पान्डेय बताते है,की यह पंच मंदिर गाजीपुर जनपद के महानतम धार्मिक स्थलो में गीना जाता है। लेकिन यहां के जिला प्रशासन के तरफ से आज तक कोइ अनुदान प्राप्त नहीं हो सका।
रिपोर्टर रजनीश कुमार मिश्रा