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वारदातों से हिला यूपी: तो क्या बेटियों के लिए सुरक्षित नहीं रहा प्रदेश, इन घटनाओं पर उठे सवाल

महिला सुरक्षा के लिहाज से उत्तर प्रदेश की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। बेटियों के खिलाफ लगातार बढ़ रहे अपराधों ने योगी सरकार के सुरक्षा के दावे को तार—तार कर दिया है।

raghvendra
Published on: 3 March 2021 9:48 AM GMT
वारदातों से हिला यूपी: तो क्या बेटियों के लिए सुरक्षित नहीं रहा प्रदेश, इन घटनाओं पर उठे सवाल
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फोटो— सोशल मीडिया

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र

लखनऊ। महिला सुरक्षा के लिहाज से उत्तर प्रदेश की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। बेटियों के खिलाफ लगातार बढ़ रहे अपराधों ने योगी सरकार के सुरक्षा के दावे को तार—तार कर दिया है। हालांकि योगी सरकार की तरफ से महिला सुरक्षा को लेकर कई प्रयास किए गए, लेकिन सबके सब ढाक के तीन पात ही साबित हुए। हाथरस में छेड़छाड़ के आरोपी बेटी के सामने पिता को गोलियों से भून दिया जाता है। इसकी आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि वहीं आज बुलंदशहर में छह दिन से लापता 12 वर्षीय नाबालिग का शव बरामद हुआ है। ग्रामीणों को बच्ची का शव गांव के एक गड्ढे से बरामद हुई है। ज्ञात हो कि इससे पहले भी हाथरस में एक लड़की के साथ दरिंदगी के सारी हदें पार कर दी गई थी। लड़की का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस प्रशासन की भूमिका बेहद निंदनीय रहा, जिसके चलते योगी सरकार पर भी सवाल उठने लगे थे। पुलिस ने मृतका के परिजनों की गैरमौजूदगी में उसका अंतिम संस्कार करवा दिया था। जो कि न कानून सही था और न ही मानवीय दृष्टि से सही था।

अखिलेश और प्रियंका ने योगी सरकार पर बोला हमला

बुलंदशहर की घटना को लेकर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है कि उप्र के बुलंदशहर में पिछले 6 दिनों से लापता लगभग 13 साल की एक किशोरी का शव एक गड्ढे में मिलने से प्रदेश दहल गया है। अति दुःखद! उप्र में आपराधिक गतिविधियाँ भाजपा की निष्फल सरकार को ठेंगा दिखा रही हैं। इस बार भाजपा सरकार को महिलाएं ही गिराएंगी।



इसी क्रम कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी बुलंदशहर और हाथरस की घटना को लेकर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि हाथरस में छेड़छाड़ के खिलाफ मुक़दमा वापस न लेने वाली एक लड़की के पिता की हत्या कर दी गई। बुलंदशहर में कई दिनों से गायब एक बच्ची का शव एक घर में गड़ा हुआ मिला। अपराध को लेकर यूपी भाजपा सरकार के झूठे प्रचार के ठीक विपरीत जमीन पर हर रोज कोई न कोई परिवार न्याय के लिए चीख रहा है।



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गड्ढे से बरामद हुई लाश

बुलंदशहर पुलिस के मुताबिक लड़की 25 फरवरी को अपने परिजनों के साथ खेत में काम कर रही थी। इसी दौरान उसने प्यास लगने की बात कह कर वह घर के लिए निकली थी। लेकिन वह फिर नहीं लौटी। काफी खोजबीन के बाद जब बच्ची का कुछ पता नहीं लगा तो परिजनों ने 28 फरवरी को पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस लड़की को जिंदा खोज पाती कि इससे पहले आज उसकी लाश बरामद हो गई है।

आखिर बच्चियों का गुनाह क्या है

जिस तरह से बच्चियों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं, उससे यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इन बच्चियों का गुनाह क्या है? क्या लड़की होना पाप हो गया है। वह भी ऐसे देश में जहां बच्चियों को देवी का रूप माना जाता है। उन्हें पूजा जाता है। लेकिन जिस तरह से बच्चियों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं उससे यह पता चल रहा है कि हमारा समाज कितना दूषित हो चुका है।

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बढ़ते अपराधों के लिए पुलिस भी कम जिम्मेदार नहीं

अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस है, कानून है और न्यायालय भी है। बावजूद इसके इंसाफ मिलना कितना मुमकिन है यह हर उस शख्स को पता है जो इंसाफ के लिए इन लोगों का चक्कर लगा रहा है। कानून तो है लेकिन इंसाफ मिलना इतना मुश्किल है कि कभी—कभी इंसाफ मांगने वालों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। हाथरस मामला इसका जीता जागता नतीजा है। यहां छेड़खानी की शिकायत करना एक बाप को इतना भारी पड़ गया कि आरोपी गौरव शर्मा ने बेटी के सामने उसके पिता को गोलियों से भून डाला। ऐसे ढेरों सारे मामले हमारे सामने पसरे पड़े हैं, जिसके चलते दबंगों के खिलाफ जल्द कोई शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

बेकार साबित हुए एंटी रोमियो स्क्वाड

महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किया। लेकिन पुलिस की इस टीम ने पूछताछ के नाम पर लड़के—लड़कियों को इस कदर परेशान करना शुरू कर दिया कि सरकार की एक अच्छी पहल सवालों के कठघरे में आ गया। एंटी रोमियो स्क्वाड का रवैया यह रहा कि सड़क पर भाई—बहनों का चलना दूभर हो गया। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद एंटी रोमियो स्क्वाड होते हुए भी अब नहीं के बराबर है। इतना ही नहीं महिला समस्याओं की सुनवाई के लिए पिंक बूथ भी बनाए गए। लेकिन यह समस्या सुनने वाले वही अधिकारी व कर्मचारी है जो पहले से ही ऐसी समस्याओं को नजरंदाज करते आ रहे हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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