बनारस के 'मन' को नहीं भाया बजट, सरकार को कोसते नजर आये व्यापारी

आर्थिक मामलों के जानकर और बीएचयू के शोध छात्र अंशुमान द्विवेदी के अनुसार कोरोना महामारी के बाद लोगों को इस बजट से बहुत उम्मीदें थीं। लेकिन बजट से लोगों को निराशा मिली है।

Roshni Khan
Published on: 1 Feb 2021 10:25 AM GMT
बनारस के मन को नहीं भाया बजट, सरकार को कोसते नजर आये व्यापारी
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बनारस के 'मन' को नहीं भाया बजट, सरकार को कोसते नजर आये व्यापारी (PC: social media)

वाराणसी: कोरोना महामारी और किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार साल 2021 के लिए आम बजट पेश किया। बजट को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लोग बजट से बहुत खुश नहीं दिखे। काशी के विशेषज्ञयों के अनुसार आम लोगों और किसानों की झोली भरने के बजाय सरकार खुद अपनी जेब भर्ती हुई दिखी। बजट में कुछ भी नया नहीं था, इसका जिक्र किया जा सके।

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बजट से लोगों को निराशा मिली है

आर्थिक मामलों के जानकर और बीएचयू के शोध छात्र अंशुमान द्विवेदी के अनुसार कोरोना महामारी के बाद लोगों को इस बजट से बहुत उम्मीदें थीं। लेकिन बजट से लोगों को निराशा मिली है। ऐसा लगा जैसे सरकार ने कोरोना काल में जिस तरह लोगों को आर्थिक पैकेज दिया था, उसी पैकेज का नया स्वरूप, बजट के नाम पर दिया गया।

हेल्थ इंश्योरेंस में एडीआई की सीमा बढ़ाने और एलआईसी का आईपीओ जारी करने जैसे फैसले, ये दिखाते हैं कि सरकार अपनी जेब भरना चाहती है। ना तो टैक्स स्लेब में बदलाव किया गया और ना ही किसी दूसरे तरह की राहत दी गई। किसानों को भी निराशा हुई है। किसान आंदोलन के बीच सरकार ने कोई बड़ा राहत पैकेज देने के बजाय आंकड़ों की बाजीगरी करते हुए दिखी।

बजट से कुटीर उद्योग और MSME को बड़ा झटका लगा है

व्यापारी नेता प्रमोद अग्रहरी के मुताबिक बजट से छोटे व्यापारियों को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन सरकार ने इस वर्ग की अनदेखी की। उनके मुताबिक कोरोना की सबसे बड़ी मार छोटे व्यापारी उठा रहे हैं। बनारस व्यापार मण्डल के अध्यक्ष अजित सिंह बग्गा कहते हैं कि बजट से कुटीर उद्योग और MSME को बड़ा झटका लगा है। ख़ास तौर से पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट लोकल फॉर ओकल का नारा गौड़ हो जायेगा। एक तरफ आप छोटे व्यापारियों का गुणगान करते हैं, दूसरी तरफ बजट में उनके लिए कुछ भी नहीं।

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व्यापारी नेता संतोष सिंह कहते हैं कि कोरोना काल में पूंजी का प्रवाह पूरी तरह रुक गया था। ऐसे में बजट से उम्मीद थी कि सरकार कुछ ऐसा करेगी, जिससे ये धारा फिर से बहने लगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। ना टैक्स में कोई बदलाव हुआ और ना ही कोई राहत पैकेजं दिया गया।

रिपोर्ट- आशुतोष सिंह

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