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कोरोना के खिलाफ जंग में हथियार बनेगा 'गंगाजल', बीएचयू के वैज्ञानिकों की बड़ी तैयारी

कोरोना वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया में रिसर्च चल रही है। रूस ने तो बकायदा इसके वैक्सीन का ऐलान भी कर दिया। कोरोना को लेकर भारत से भी तरह-तरह की खबरें सामने आ रही हैं।

Newstrack
Published on: 22 Sep 2020 5:25 PM GMT
कोरोना के खिलाफ जंग में हथियार बनेगा गंगाजल, बीएचयू के वैज्ञानिकों की बड़ी तैयारी
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कोरोना के खिलाफ जंग में हथियार बनेगा 'गंगाजल', बीएचयू के वैज्ञानिकों की बड़ी तैयारी (social media)

वाराणसी: कोरोना वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया में रिसर्च चल रही है। रूस ने तो बकायदा इसके वैक्सीन का ऐलान भी कर दिया। कोरोना को लेकर भारत से भी तरह-तरह की खबरें सामने आ रही हैं। इस बीच बीएचयू के वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला सर्वे किया है। इसके मुताबिक गंगा में स्नान करने वालों पर कोरोना का प्रभाव कम होता है। गंगा किनारे रहने वाले कम संख्या में कोरोना पॉजिटिव हुये हैं।

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कोरोना को मात देगा गंगाजल

काशी हि‍न्‍दू वि‍श्‍ववि‍द्यालय के सीनि‍यर चि‍कि‍त्‍सक अब इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि क्‍या गंगाजल से कोरोना को मात दि‍या जा सकता है। रि‍सर्च के शुरुआती आंकड़ों ने तो जैसे डॉक्‍टरों के भी होश उड़ा दि‍ये हैं।बीएचयू स्‍थि‍त सर सुंदरलाल अस्‍पताल के पूर्व एमएस और जाने माने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ वि‍जय नाथ मिश्र ने इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशि‍त होन जा रही उनकी रि‍पोर्ट में ये दावा कि‍या है कि गंगा में मिलने वाले बैक्टीरियोफेज से कोरोना का इलाज संभव है। डॉ वि‍जय नाथ मि‍श्र के अनुसार यह शोध 130 साल पुराना है।

varanasi ghat varanasi ghat (social media)

डॉ विजय नाथ मिश्र ने इस शोध के बारे में पहले ही ये स्‍पष्‍ट कर दि‍या कि गंगाजल की पवि‍त्रता और रोग नाशक क्षमता को लेकर कि‍या गया शोध उनका नहीं है। डॉ मि‍श्र के अनुसार ये 130 साल पुराना शोध है। 1896 में डॉक्टर हर्षले ने कहा था कि जब कालरा महामारी फैली तो जो लोग गंगा किनारे रह रहे थे उन्हें कालरा नहीं हो रहा था। उस समय ये बात आयी तो किसी को पता नहीं चला की ऐसा क्यों हो रहा है।

शुरुआती सैंपलिंग ने चौंका दि‍या

बीएचयू अस्‍पताल के वरि‍ष्‍ठ चि‍कि‍त्‍सक और पूर्व एमएस प्रो. डॉ वीएन मिश्र की अगुवाई में डाक्टरों की टीम ने कोरोना की सैंपलिंग घाट के किनारे रहने वाले लोगों पर की है। इस दौरान घाट कि‍नारे रहने वाले तथा नियमित रूप से गंगा स्नान व आचमन करने वाले पंडा, पुजारी, डोम, मल्लाह और साधुओं की सैंपलिंग की गयी है और हैरान करने वाली बात ये है कि सभी की रिपोर्ट निगेटिव मिली है।

sunderlal-hospital sunderlal-hospital (social media)

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बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रामेश्वर चौरसिया, न्यूरोलाजिस्ट प्रो. वीएन मिश्रा की अगुवाई में टीम ने प्रारंभिक सर्वे में पाया है कि नियमित गंगा स्नान और गंगाजल का किसी न किसी रूप में सेवन करने वालों पर कोरोना संक्रमण का तनिक भी असर नहीं है। टीम का दावा है कि स्नान करने वाले 90 फीसदी लोग कोरोना संक्रमण से बचे हुए हैं। इसी तरह गंगा किनारे के 42 जिलों में कोरोना का संक्रमण बाकी शहरों की तुलना में 50 फीसदी से कम और संक्रमण के बाद जल्दी ठीक होने वालों की संख्या ज्यादा है।

आशुतोष सिंह

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