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गंगा में मिली खतरनाक मछली, वैज्ञानिकों को सता रहा बड़ा डर, ये है वजह

मोक्षदायिनी नदी गंगा अपनी गहराईयों में कई राज समेटे हुए हैं। अब इस बीच गंगा एक ऐसी मछली मिली है जिसमें वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। गंगा में हजारों किलोमीटर दूर साउथ अमेरिका के अमेजॉन नदी में पाई जानी वाली सकर माउथ कैटफिश गंगा नदी में मिली है।

Newstrack
Published on: 25 Sep 2020 2:28 PM GMT
गंगा में मिली खतरनाक मछली, वैज्ञानिकों को सता रहा बड़ा डर, ये है वजह
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मोक्षदायिनी नदी गंगा अपनी गहराईयों में कई राज समेटे हुए हैं। अब इस बीच गंगा एक ऐसी मछली मिली है जिसमें वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है।

लखनऊ: मोक्षदायिनी नदी गंगा अपनी गहराईयों में कई राज समेटे हुए हैं। अब इस बीच गंगा एक ऐसी मछली मिली है जिसमें वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। गंगा में हजारों किलोमीटर दूर साउथ अमेरिका के अमेजॉन नदी में पाई जानी वाली सकर माउथ कैटफिश गंगा नदी में मिली है।

यह एक बड़े आश्चर्य की बात है जिसने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। यह मछली गंगा में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए खतरा है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की और कहा कि यह मछली मांसाहारी है और अपने यह इकोसिस्टम के लिए खतरा भी है।

वाराणसी के रामनगर के रमना गाव के पास ये सकरमाउथ कैटफिश मिली है। गंगा में डॉल्फिन के संरक्षण के लिए तैनात गंगा प्रहरियों को सकरमाउथ कैटफिश मिली है। यह मछली साउथ अमेरिका की अमेजॉन नदी में पाई जाती है। यह दूसरा मौका है जब गंगा में कैटफिश मिली है। बीएचयू के जंतु विभाग की एक्सपर्ट टीम इसके रिसर्च में जुटी है। वैज्ञानिकों की टीम ने 24 घंटे की पड़ताल के बाद इसकी पहचान की है।

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एक रिपोर्ट में बीएचयू के प्रोफेसर बेचनलाल के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने बताया कि साउथ अमेरिका के अमेजॉन नदी में पाई जाने वाली ये मछली गंगा में रहने वाले जलीय जंतुओं के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंने बताया कि ऐसी मछलियां मांसाहारी होती हैं जो जल में ही रहने वाले देसी मछलियों को खा जाया करती हैं।

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एक्सपर्ट टीम कर रही जांच

वारणासी रामनगर के रमना गांव के पास गंगा में यह सकरमाउथ कैटफिश पाई गई है। अजीबोगरीब इस मछली के पाए जाने के बाद बीएचयू के जंतु विभाग की एक्सपर्ट टीम ने मौके का जायजा लिया। टीम यह पता लगाने में लग गई है कि कहीं ऐसी और भी मछलियां तो गंगा में नहीं हैं।

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पहले से घटी देसी मछलियों की संख्या

एक्सपर्ट के मुताबिक, गंगा में देसी मछलियों की संख्या करीब 20 से 25 प्रतिशत तक हो गई है जिसकी वजह ये विदेशी मछलियां हैं। वाराणसी में गंगा में इसके पहले भी कैटफिश मिली थी और अब सकरमाउथ कैटफिश के मिलने के बाद चिंता बढ़ गई है।

पहली बार जब यह मछली मिली थी वह गोल्डन रंग की थी। भारतीय वन्य जीव संस्थान ने उसकी पहचान अमेरिका की अमेजॉन नदी में पाए जाने वाले सकरमाउथ कैटफिश के रूप में की थी, एक बार फिर यह मछली मिली है।

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