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Varanasi News: वाराणसी में देशभर 1200 संतों ने किया गंगा पूजन, रुद्राभिषेक के साथ तीन दिवसीय संस्कृति संसद का शुभारंभ

Varanasi News: रुद्राभिषेक में सभी संतों ने श्री राम जन्म भूमि मुक्ति आंदोलन के लिए अपनों प्राणों का न्योछावर करने वाले हुतात्माओं की मुक्ति के लिए अलग-अलग संकल्प दोहराते हुए रुद्राभिषेक किया।

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Newstrack Network
Published on: 2 Nov 2023 11:09 PM IST (Updated on: 2 Nov 2023 11:32 PM IST)
1200 saints from across the country worshiped Ganga in Varanasi, three-day Sanskriti Sansad started with Rudrabhishek
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वाराणसी में देशभर 1200 संतों ने किया गंगा पूजन, रुद्राभिषेक के साथ तीन दिवसीय संस्कृति संसद का शुभारंभ: Photo- Newstrack

Varanasi News: 492 वर्ष तक अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थान पर भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर बनाने के लिए जिन संतों, गृहस्थों व कारसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी उनकी मुक्ति के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में देशभर से आए संतों द्वारा शाम को महारुद्राभिषेक किया गया। रुद्राभिषेक के साथ ही तीन दिवसीय संस्कृति संसद का शुभारंभ हुआ। यह आयोजन अखिल भारतीय संत समिति, अखाड़ा परिषद, श्रीकाशी विद्वत परिषद के सहयोग से गंगा महासभा द्वारा आयोजित है।

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1200 संतों ने काशी विश्वनाथ का किया महारुद्राभिषेक

संस्कृति संसद में भाग लेने के लिए 400 महामण्डलेश्वर और 1200 संत पहुंचे और सर्वप्रथम रविदास घाट में एकत्रित हुए। इसके बाद बजड़े द्वारा गंगा द्वार पहुंचे। वहां गंगा पूजन कर पूज्य शंकराचार्य जी, भारत माता एवं महारानी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा पर संतो ने माल्यार्पण किया। रुद्राभिषेक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित अविमुक्तेश्वर महादेव मंडप में सम्पन्न हुआ। श्री अविमुक्तेश्वर महादेव बाबा विश्वनाथ के गुरु हैं।

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इस महा रुद्राभिषेक समारोह के यजमान गंगा महासभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री गोविंद शर्मा, भक्ति किरण शास्त्री एवं दैनिक जागरण के समूह संपादक संजय गुप्ता थे। इनके साथ महारुद्राभिषेक करने वाले अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैवल्य पीठाधीश्वर जगद्गुरु अविचल देवाचार्य महाराज, परमहंस स्वामी चिदानंद मुनि, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती आचार्य महामंडलेश्वर विश्वात्मानंद महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर बालिकानंद गिरी महाराज, जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्र आनंद सरस्वती, जगतगुरु शंकराचार्य भानपुरा पीठ ज्ञान आनंद तीर्थ महाराज और स्वामी धर्मदेव, महामंडलेश्वर जनार्दन हरि समेत 1200 संतों ने अभिषेक किया।

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इनमें प्रमुख रूप से महामंडलेश्वर शंकारानंद गिरी उड़ीसा, महामंडलेश्वर हरिहर आनंद सरस्वती मैनपुरी उत्तर प्रदेश, महामंडलेश्वर चिदम्बरानंद सरस्वती मुंबई, महामंडलेश्वर अभियानंद सरस्वती महाराज लखनऊ, जितेंद्रनाथ महाराज विदर्भ, महामंडलेश्वर विश्वेरा नंद महाराज हरियाणा, दिनेश भारती महाराज जम्मू, और राधे-राधे बाबा, महामंडलेश्वर नरसिंह दास महाराज जबलपुर, प्रभाकर आनंद केरल, स्वामी गरुड़ानंद महाराज तमिलनाडु, स्वामी विद्यानंद महाराज कर्नाटक, विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश चंद्र एवं अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद पंरांडे, केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी के साथ-साथ काशी के संत सतुआ बाबा, स्वामी बालक दास जी महापुरुष उपस्थित रहे।

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श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति के लिए प्राणों की आहुति देने वाले बलिदानियों को मिलेगी मुक्ति

इस रुद्राभिषेक में सभी संतों ने श्री राम जन्म भूमि मुक्ति आंदोलन के लिए अपनों प्राणों का न्योछावर करने वाले हुतात्माओं की मुक्ति के लिए अलग-अलग संकल्प दोहराते हुए रुद्राभिषेक किया। संतों ने इसी क्रम में सनातन सापेक्ष सरकार बने एवं राष्ट्र एकता और अखंडता अक्षुण्ण रहे कामना के साथ भगवान विश्वनाथ का रूद्राभिषेक किया।

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सनातन धर्म की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध हैं संत-मिलिंद परांडे

संस्कृति संसद की ओर से आयोजित महा रुद्राभिषेक कार्यक्रम के समापन के अवसर पर हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने संतों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में सनातन धर्म पर निरंतर प्रहार हो रहा है। हम सब सनातन धर्म की रक्षा के लिए संकल्पित हैं। जिस तरह से लंबे समय के बाद भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर उनके जन्म स्थान पर बना और वह हमारे लिए खुशी का संदेश है। हमने जैसे भगवान श्री राम की मुक्ति के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य किया है, उसी तरह सनातन धर्म की रक्षा के लिए निरंतर कार्य करेंगे।

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22 जनवरी 2024 को देश भर में मनाएं दीपोत्सव

इसी क्रम में संतों ने आह्वान किया कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अपने आसपास के मंदिरों में भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजन करें। 22 जनवरी की शाम को सभी भक्तगण देशभर में श्रीराम जन्मभूमि पर भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के हर्ष में अपने घरों पर दीपक जलाकर दीपोत्सव मनायें।



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Shashi kant gautam

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