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Varanasi News: NIA रेड के बाद BSM ने लगाया उत्पीड़न का आरोप, बताई छापेमारी की पूरी कहानी
Varanasi News: 2024 चुनाव को देखते हुए जानबूझकर सरकार ने उठाया कदम: BSM का आरोप।
Varanasi News: काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित मधुबन में भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा (BSM) के छात्रों ने कल NIA की छापेमारी के बाद आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की। BSM से जुड़े हुए छात्र नेताओं ने कहा कि कल दिनांक 5 सितंबर को सुबह-सुबह 5:30 बजे NIA की टीम भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (BSM) के पदाधिकारियों के कमरे पर तलाशी लेने पहुंची। जिसमें अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद, सह सचिव सिद्धि बिस्मिल और सचिव इप्शिता रहतीं हैं। NIA की टीम में NIA लखनऊ से रश्मि शुक्ला, NIA पटना से राकेश कुमार मिश्रा, NIA रांची से एक IT एक्सपर्ट शामिल थे।
40-50 पुलिसकर्मी अचानक कार्यालय पहुंचे
जिस टीम का नेतृत्व रश्मि शुक्ला कर रही थीं। टीम में 2 महिला SI, 10 महिला कांस्टेबल, 2 लखनऊ से आये हुए गवाह, 1 सादी वर्दी में कोई पुलिस अधिकारी और एक सादी वर्दी में संदिग्ध व्यक्ति था, जो अपनी पहचान कई बार पूछने पर भी नहीं बता रहा था। इसके अलावा लंका थाने से ब्रिज कुमार मिश्रा और करीब 10 की संख्या में पुलिसकर्मी थे। इसके अलावा ACP प्रवीण सिंह लगभग 10 अन्य बड़े अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के साथ आये। कुल मिलाकर 40-50 पुलिसकर्मी कमरे के अंदर बाहर मौजूद थे। इसके अलावा कई इंटेलीजेंस के लोग भी पहुंचे थे।
माओवादी फ्रंटल संगठन होने के शक पर पूछताछ
भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (BSM) के पदाधिकारियों ने बतया कि आते ही सर्च वारंट दिखाया कि माओवादी होने और उनके फ्रंटल संगठन होने के शक पर वो हमारे सामान, कमरे, लैपटॉप मोबाइल आदि को सर्च कर सकते हैं। इसे पढ़ने के बाद इस झूठे और भ्रामक आरोप के कारण हमनें इसमें हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इसके तुरंत बाद उन्होंने आकांक्षा का मोबाइल फ्लाइट मोड में डालकर IT एक्सपर्ट NIA के अधिकारी को दे दिया। उन्होंने आकांक्षा का फ़ोन अपने साथ लाए हुए लैपटॉप में लगा लिया और कुछ भी बताने से इनकार कर रहे थे। अंतिम समय में इस फोन जिसमें 2 सिम और SD कार्ड हैं, उसे अपने साथ ले गयी है। पूरी आशंका है कि NIA अपने तरफ से मोबाइल फ़ोन में कुछ छेड़छाड़ कर सकती है और कुछ इम्प्लांट कर सकती है, जैसा उन्होंने भीमा कोरेगांव केस में किया है, क्योंकि फ़ोन को लैपटॉप में लगाकर उनकी टीम क्या कर रही है, इसके बारे में वह कुछ भी नहीं बता रहे थे और यह पूछने पर कि क्या वह डेटा ट्रांसफर कर रहे हैं, इसपर भी उन्होंने इनकार कर दिया।
पूरे कमरे को खंगाला गया
इसके बाद उन्होंने सबसे पहले आकांक्षा आज़ाद के कमरे की तलाशी लेनी शुरू की। जिसमें हर एक कॉपी, डायरी, किताब, कपड़े, बैग, सूटकेस, रजाई-कम्बल के जांच करनी शुरू कर दी। कॉपी डायरी में एक-एक अक्षर की जांच की और उससे जुड़े सवाल करते रहे। उनके आधार कार्ड का फोटो भी अपने साथ ले गए।
एनआईए ने कमरे का फेंका सामान
पूरे कमरे का सामान इधर-उधर फेंक देने के बाद उन्होंने सिद्धि और इप्शिता के कमरे में जाकर तलाशी ली। जिसमें डायरी, कॉपी, किताब की जांच की। इस दौरान उन्होंने पत्रकार रूपेश कुमार की रिहाई मांग करते हुए पोस्टर देखकर और कैमूर से गिरफ्तार रोहित व सर्व सेवा संघ से जुड़े पोस्टर को देखकर उनसे जुड़े कुछ सवाल किए। दस्तक मैगज़ीन देखकर सीमा आज़ाद और विश्वविजय से कुछ जानकारी ली।
वाट्सएप चैट पर भी एनआईए ने किया सवाल
उसके बाद इप्शिता का लैपटॉप और सिद्धि के मोबाइल की मैन्युअली जांच की। रश्मि शुक्ला सिद्धि के फ़ोन के चैट्स पर भी सवाल कर रही थीं कि आपने ऐसा क्यों लिखा, उन्होंने ऐसा क्यों लिखा आदि। ओबीसी रिज़र्वेशन के आन्दोलन पर भी पूछताछ किया। इसके बाद फिर से आकांक्षा के कमरे में आकर उनके लैपटॉप की जांच करनी शुरू की, जो लगभग डेढ़ घण्टे तक चली।
NIA ने बैंक डिटेल भी खंगाली थी
सवाल-जवाब में उन्होंने संगठन के आर्थिक स्त्रोत और हम तीनों के खर्चे से जुड़े सवाल किए। घर में आय का साधन पर पूछताछ की। उसके बाद उन्होंने इप्शिता के बैंक एकाउंट से जुड़े कुछ सवाल किए। बातचीत के दौरान दोनों पदाधिकारियों की जाति जानने पर उनका विशेष जोर था।
BSM के अखबार मशाल और मैगजीन दस्तक की प्रति भी ले गए साथ
NIA ने BSM संगठन के अखबार ‘मशाल’ के 2 अंक, सीमा आज़ाद द्वारा निकाले जाने वाली ‘दस्तक’ के 3 अंक, गांव चलो अभियान का सर्कुलर (2018-2019), BSM के चंदा कलेक्शन की रसीद, पुराने कार्यक्रमों के कॉन्टेक्ट्स, BSM के GVC के पुराने कॉन्टेक्ट्स, मजदूर किसान एकता मंच (नया नाम मेहनतकश मुक्ति मोर्चा) का पुराना पर्चा आदि उठा कर ले गयी है।
सिद्धि और आकांक्षा को हाउस अरेस्ट करके रखा
इस दौरान सिद्धि और आकांक्षा को पूरी तरह हाउस अरेस्ट करके रखा था। बिल्डिंग में अंदर आने-जाने पर पूरी पाबंदी लगा रखी थी। संगठन के 3-4 साथी जब उनके बिल्डिंग में पहुंचे तो उनके साथ बदतमीजी की और उनका फ़ोन छीन लिया। आरोप है कि संगठन के उपाध्यक्ष को कैरियर बर्बाद करने की धमकी देते हुए, उनके साथ मारपीट भी की।
BSM का कहना है कि छापेमारी पॉलिटिकल स्टंट
भगत सिंह छात्र मोर्चा इस छापेमारी को केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा 2024 के चुनाव से जोड़कर देखता है और राजनीतिक विरोधियों की आवाज को बलपूर्वक दबाने के रूप देखता है। संगठन का कहना है कि NIA, ED, ATS जैसे तमाम एजेंसियां मोदी सरकार की B टीम बन चुकी जो सिर्फ और सिर्फ विरोधियों को दबाने का काम कर रही।