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विकास दुबे: कानपुर की कहानी कानपुर में दफ़्न, बेनकाब होने से बचे सफेदपोश चेहरे

आठ पुलिसकर्मियों की जान लेने वाले पांच लाख के इनामी कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के साथ ही कई राज भी दफन हो गए। जानकारों का कहना है कि विकास से पूछताछ में कई बड़े चेहरों के बेनकाब होने की आशंका थी।

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Published on: 10 July 2020 10:25 AM IST
विकास दुबे: कानपुर की कहानी कानपुर में दफ़्न, बेनकाब होने से बचे सफेदपोश चेहरे
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विकास दुबे: कानपुर की कहानी कानपुर में दफ़्न, बेनकाब होने से बचे सफेदपोश चेहरे

कानपुर। आठ पुलिसकर्मियों की जान लेने वाले पांच लाख के इनामी कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के साथ ही कई राज भी दफन हो गए। जानकारों का कहना है कि विकास से पूछताछ में कई बड़े चेहरों के बेनकाब होने की आशंका थी। विकास से पूछताछ में उसकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मदद करने वाले कई लोग मुश्किल में फंस सकते थे मगर उसके मारे जाने के साथ कई सवालों के जवाब भी अनुत्तरित ही रह गए। इसके साथ ही फंसने की आशंका से बेचैन लोगों का संकट भी टल गया है।

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विकास को सता रहा था एनकाउंटर का डर

कुख्यात बदमाश विकास दुबे को गुरुवार को उज्जैन में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार किया गया था। हालांकि उज्जैन पुलिस और महाकाल मंदिर से जुड़े सुरक्षाकर्मी इसे गिरफ्तारी बता रहे हैं मगर कई लोगों का कहना है एनकाउंटर में मारे जाने के भय से विकास दुबे ने सरेंडर किया था। दो जुलाई की रात कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद विकास दुबे पुलिस और एसटीएफ की पकड़ से बचने के लिए लगातार भागदौड़ कर रहा था। उसे डर था कि पकड़े जाने पर पुलिस उसका एनकाउंटर कर देगी। बीच में उसके टीवी स्टूडियो में लाइव सरेंडर करने की खबर भी आई थी। इसीलिए महाकाल मंदिर में पकड़े जाने के दौरान वह जोर-जोर से चिल्ला रहा था 'मैं हूं विकास दुबे, कानपुर वाला।'

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बढ़ गई थी नजदीकियों की बेचैनी

उज्जैन में पकड़े जाने के बाद पुलिस और एसटीएफ की टीमों ने विकास से कई घंटे तक पूछताछ की थी और इसके बाद उसे यूपी ले जाने के लिए एसटीएफ की टीम को सौंप दिया गया था। उज्जैन के महाकाल मंदिर में विकास के पकड़े जाने के बाद उसकी नज़दीकियों की बेचैनी बढ़ गई थी। बिकरू गांव की घटना के बाद पुलिस ने विकास के सभी करीबियों पर फंदा कस दिया था। ऐसे में विकास की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मदद करने वाले लोग भी परेशान थे कि विकास आगे चलकर पूछताछ के दौरान उनके लिए भी मुसीबतें खड़ी कर सकता है।

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पूछताछ में फंसते कई सफेदपोश चेहरे

पूछताछ में विकास के मुंह खोलने पर नेताओं, अफसरों और अपराधी गठजोड़ का खुलासा हो सकता था। ऐसे में कई सफेदपोश लोगों के मुश्किल में फंसने की आशंका थी। जानकारों का कहना है कि विकास के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद ऐसे सफेदपोश लोगों का संकट टल गया है जो अभी तक विकास की मदद करते रहे हैं। ऐसे लोग यह सोच कर परेशान थे कि अगर विकास ने उनका नाम ले लिया तो पुलिस उनका भी जीना हराम कर देगी। पुलिसिया पूछताछ के दौरान ऐसे चेहरों के भी बेनकाब होने की आशंका थी जो सत्ता के गलियारे से विकास दुबे को मदद किया करते थे। यही कारण है कि विकास दुबे के मारे जाने के बाद सपा के मुखिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सरकार पर तंज कसा है। उनका कहना है कि विकास के मारे जाने से सरकार पलटने से बचाई गई है।

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विकास और पुलिस का गठजोड़ जगजाहिर

पुलिस और विकास दुबे का गठजोड़ तो अब पूरी तरह जगजाहिर हो चुका है। बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात पुलिस की रेड से पहले ही पुलिस की ओर से ही मुखबिरी करके विकास दुबे को पूरी जानकारी दे दी गई थी। कॉल रिकॉर्डिंग से खुलासा हुआ है चौबेपुर थाने के निलंबित एसओ विनय तिवारी ने विकास दुबे से साफ तौर पर कहा था कि आज आरपार कर दो वरना एनकाउंटर में मारे जाओगे।

विकास तक पहुंचती थी पुलिस की हर खबर

बिकरू गांव के हलका इंचार्ज दरोगा के के शर्मा से भी विकास दुबे की बातचीत का खुलासा हुआ है। थाने के एक सिपाही राजीव चौधरी से भी विकास दुबे की बातचीत हुई थी और राजीव चौधरी ने एसओ को बताया था कि विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों की जान लेने की धमकी दी है। उसके यह बताए जाने के बावजूद चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी ने इस बाबत आला अधिकारियों को कोई सूचना नहीं दी। एसओ विनय तिवारी और दरोगा के के शर्मा को निलंबित करने के बाद अब गिरफ्तार किया जा चुका है। लेकिन कॉल रिकॉर्डिंग से इस बात का खुलासा हुआ है कि विकास दुबे की पुलिस महकमे में खासी दखल थी और उसे पुलिस कार्रवाई की सूचना पहले ही मिल जाया करती थी।

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फरारी में भी नजदीकियों ने की थी मदद

उज्जैन में विकास दुबे के पकड़े जाने के बाद लखनऊ, कानपुर और मध्य प्रदेश के कई बड़े लोगों के दिलों की धड़कनें बढ़ गई थीं। विकास से पूछताछ में कई चेहरों के बेनकाब होने की आशंका थी। बिकरू गांव की घटना के बाद फरारी के दौरान भी मददगार विकास दुबे को बचाने में लगे हुए थे। इस बात की पुष्टि इस तथ्य से होती है कि फरीदाबाद में ट्रेस किए जाने के बाद विकास आराम से राजस्थान होते हुए मध्य प्रदेश पहुंच गया। सीमाओं पर पुलिस की सख्त चौकसी के बावजूद वह कहीं भी नहीं पकड़ा गया।

शिवली में छिपे होने की खबर तक नहीं मिली

जानकारों का कहना है कि बिकरू गांव की घटना के बाद विकास औरैया होते हुए फरीदाबाद की ओर भागा था। यह भी पता चला है कि भी बिकरू गांव की घटना के बाद वह 2 दिन तक शिवली में ही अपने गुर्गे अमर दुबे के साथ छिपा हुआ था। अमर दुबे को भी पुलिस एनकाउंटर में मारा जा चुका है। अब एसटीएफ ने विकास दुबे को भी ढेर कर दिया है। विकास दुबे के मारे जाने के साथ कई ऐसे सफेदपोश चेहरे बेनकाब होने से बच गए जिनकी विकास दुबे से काफी नजदीकियां थीं।



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