TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

खौफ के 25 साल: विकास दुबे की सत्ता ख़त्म, पहली बार होगा निष्पक्ष पंचायत चुनाव

विकास दुबे का नाम बिकरू गांव में बड़ी ही दबी जबान से लिया जाता था और उसकी सीधी वजह थी उसका अपराधी चरित्र। इस गांव में पंचायत चुनाव तो हर बार होते थे लेकिन जीतने वाला प्रत्याशी हर बार विकास दुबे का ही होता था, इतना ही नहीं प्रत्याशी हर बार निर्विरोध चुना जाता था।

SK Gautam
Published on: 2 Jan 2021 7:46 PM IST
खौफ के 25 साल: विकास दुबे की सत्ता ख़त्म, पहली बार होगा निष्पक्ष पंचायत चुनाव
X
खौफ के 25 साल: विकास दुबे की सत्ता ख़त्म, पहली बार होगा निष्पक्ष पंचायत चुनाव

आशुतोष त्रिपाठी

लखनऊ: कुख्यात अपराधी विकास दुबे के खात्मे के साथ ही बिकरू गांव में नव वर्ष पर एक नए सूरज का उदय हुआ। वो सूरज था आजादी का, वो आजादी जो इस गांव को 25 साल बाद मिली। भारत को आज़ादी तो 1947 में ही मिल गयी थी लेकिन बिकरू गांव में लोकतंत्र सही मायने में विकास दुबे की मौत के बाद ही ज़िंदा हो पाया और ये नजारा आपको इस गांव में खुद बा खुद देखने को मिल जायेगा।

गांव में पंचायत चुनावों की तैयारी

25 सालों में पहली बार इस गांव में पंचायत चुनावों की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। पूरे गांव में आपको पंचायत चुनाव के पोस्टर चस्पा दिख जायेंगे। जिसमें चुनाव प्रत्याशी नव वर्ष की शुभकामनाओं के संदेश दे रहे हैं। जब तक विकास दुबे जिन्दा था तब तक ऐसा करने की जुर्रत किसी किसी गांव वाले में नहीं थी, क्योंकि बिकरू गांव का प्रधान कौन होगा इसका फैसला विकास दुबे खुद करता था।

vikas dubey bikaru villege-2

25 साल तक गांव में बना रखा था दबदबा

विकास दुबे का नाम बिकरू गांव में बड़ी ही दबी जबान से लिया जाता था और उसकी सीधी वजह थी उसका अपराधी चरित्र। इस गांव में पंचायत चुनाव तो हर बार होते थे लेकिन जीतने वाला प्रत्याशी हर बार विकास दुबे का ही होता था, इतना ही नहीं प्रत्याशी हर बार निर्विरोध चुना जाता था। क्योंकि पूरे गांव में किसी की इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि कोई नामांकन तक कराये। 2006 और 2015 में विकास दुबे के भाई की पत्नी अंजलि दुबे निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुनी गयी।

ये भी देखें: हापुड़: भागवत के बयान पर भड़की कांग्रेस, गजराज बोले- बिगाड़ रहे सांप्रदायिक माहौल

vikas dubey bikaru villege-4

1995 में विकास दुबे को मिली प्रधानी

अपराधी प्रवत्ति के चलते विकास दुबे ने धीरे- धीरे अपना दबदबा पूरे इलाके में बना लिया, और इसी कारण वो चौबेपुर से रहे विधायक हरिकिशन श्रीवास्तव के संपर्क में आया और वहीं से इसका राजनैतिक दखल बढ़ गया, विकास दुबे विधायक के सभी गैर क़ानूनी काम करने लगा, और इन सभी कामों के जरिये वो जल्द ही विधायक का करीबी भी बन गया। जिसके चलते 1995 उसे बिकरू गांव की बागडोर मिल गयी, तभी से विकास दुबे ने बिकरू गांव में अपना एकछत्र साम्राज्य बना लिया, ऐसा साम्राज्य जिसकी जड़ें बहुत मजबूत थी। तब से बिकरू गांव में चुनाव की सीट चाहें जनरल हो या अनसूचित या फिर महिला, प्रत्याशी हमेशा विकास दुबे का ही होता था।

ये भी देखें:UP का जलवा, देश के टॉप मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में नंबर एक पर CM योगी

vikas dubey bikaru villege-3

25 साल बाद लोग करेंगे नामांकन

विकास दुबे के एनकाउंटर को करीब 6 महीने हो गए, गांव वालों के मन में अब किसी प्रकार का कोई डर नहीं है, कई लोग इस बात से खुश के कि वो इस चुनाव में नामांकन कर पाएंगे और गांव वाले इस बात को लेकर खुश हैं कि वो पहली बार अपनी मर्जी से वोट दे पाएंगे।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
SK Gautam

SK Gautam

Next Story