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VIP श्रद्धालुओं के लिए ख़ास सर्विस: लॉकडाउन में मिली ऐसी सुविधा, उठे सवाल
वाराणसी से जो तस्वीरें सामने आईं वो हैरान करने वाली हैं। यहां पर लॉकडाउन के बीच 25 बसों में भरकर लगभग 1 हजार श्रद्धालुओं को उनके घर छोड़ा गया। सरकार के इस दोहरे रवैये को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वाराणसी। देश के कोने-कोने में लाखों की संख्या में लोग फंसे हैं। लॉकडाउन की बंदिशों के चलते ये लोग अपने घर नहीं जा पा रहे है। भूख-प्यास से तड़पते कामगार जहां हैं वहीं रहने पर मजबूर हैं। पिछले दिनों मुम्बई, सूरत और दिल्ली जैसे शहरों में इन कामगारों के गुस्सा फूटा तो हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आई। इन सबके बीच प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से जो तस्वीरें सामने आईं वो और हैरान करने वाली रहीं। यहां पर लॉकडाउन के बीच 25 बसों में भरकर लगभग 1 हजार श्रद्धालुओं को उनके घर छोड़ा गया। सरकार के इस दोहरे रवैये को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बीजेपी के बड़े नेता के कहने पर भेजा गया घर
लॉकडाउन के पहले ही दक्षिण भारत के लगभग 1 हजार श्रद्धालु बनारस आये थे। इसी बीच लॉकडाउन के चलते ये सभी लोग फंस गए। सभी लक्सा स्थित एक होटल में रुके थे।
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सभी यात्री आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के निवासी थे। सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन के कुछ दिनों तक इन लोगों ने जैसे-तैसे दिन काटे, लेकिन इसके बाद परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस बीच श्रद्धालुओं ने अपने राज्य के बड़े बीजेपी नेताओं से संपर्क किया।
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बताया जा रहा है कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता जेवीएल नरसिंहा के कहने पर वाराणसी जिला प्रशासन ने इन सभी श्रद्धालुओं को उनके घरों में भेजने का प्रबंध किया। 25 बसों में भरकर सभी श्रद्धालुओं को हैदराबाद के लिए रवाना किया गया।
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लोगों ने पूछा दोहरा रवैया क्यों ?
वीआईपी श्रद्धालुओं को लेकर वाराणसी जिला प्रशासन की दरियादिली को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे है कि सरकार उन लाखों उत्तर भारतीय कामगारों की सुध कब लेगी, जो देश के कोने-कोने में फंसे हैं। लॉकडाउन क्या सिर्फ गरीबों के लिए बना है ? क्या अमीर और रसूखसार लोगों के लॉकडाउन के कोई मायने नहीं हैं।
आशुतोष सिंह
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