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लॉकडाउन अवधि में सड़क एवं गलियों में भीड़ का जिम्मेदार कौन है ?

कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में भले ही लॉकडाउन किया गया है लेकिन शासन द्वारा सुबह के समय दी गयी ढील का दुरुपयोग यहाँ जनपद की आवाम कर रही है जिसे रोक पाने में प्रशासन की नाकामी नजर आ रही है।

Vidushi Mishra
Published on: 7 April 2020 7:55 AM GMT
लॉकडाउन अवधि में सड़क एवं गलियों में भीड़ का जिम्मेदार कौन है ?
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लॉकडाउन अवधि में सड़क एवं गलियों में भीड़ का जिम्मेदार कौन है ?

कपिलदेव मौर्य

जौनपुर। कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में भले ही लॉकडाऊन किया गया है लेकिन शासन द्वारा सुबह के समय दी गयी ढील का दुरुपयोग यहाँ जनपद की आवाम कर रही है जिसे रोक पाने में प्रशासन की नाकामी नजर आ रही है। इसके कई कारण दृष्टिगोचर होती है।

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डोर टू डोर खाद्यान एवं सब्जियों की आपूर्ति

लॉकडाउन की अवधि में जिला प्रशासन की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि जनपद मुख्यालय पर डोर टू डोर खाद्यान एवं सब्जियों की आपूर्ति करने के लिए 59 वैन एवं 300 ठेले लगाये गये है। प्रशासन का दावा है कि इनके माध्यम से डोर टू डोर खाद्यान एवं सब्जियों की आपूर्ति की जा रही है । लेकिन सच इसके ठीक विपरीत है।

लगभग 50 प्रतिशत मुहल्ले ऐसे है जहाँ पर आज तक डोर टू डोर खाद्यान एवं सब्जियों की आपूर्ति नहीं किया जा सका है । जिसका परिणाम है कि आवाम सुबह के समय लॉकडाऊन खुलने के समय भारी भीड़ के साथ घर का जरूरी सामान लेने के लिए बाहर निकलने को मजबूर है ।

सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन नहीं कर रहे है। हां यदि प्रशासन डोर टू डोर सभी सामग्री पंहुचाने का शक्ति से पालन करा लिया होता तो लोग घरों से बाहर निकलने से परहेज कर लेते।

बैंक में सोशल डिस्टेन्सिंग बनाये रखने का आदेश

इसके अलावा बैंक में सोशल डिस्टेन्सिंग बनाये रखने का आदेश दिया गया था। लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। गरीबों के पास पैसा नहीं है वह अपने रखें पैसे एवं सरकार द्वारा घोषणा की गरीब को सरकार एक एक हजार रुपये सरकार देगी इसका पता लगाने के लिए गरीब बैंक जाकर लाइन लगाने को मजबूर है।

हाँ एक बात और है कि प्रशासन जितना तेज व्यवस्था को लेकर कागजी घोड़ा दौड़ा रहा है उतना ही तेजी से अनुपालन कराये तो सायद भीड़ से निजात मिल सकती है। एक बात और है की अल्पसंख्यको के इलाकों में युवा वर्ग के लोग लगभग पूरे दिन गलियों में भ्रमण रत रहते है । इनको न तो प्रशासन के आदेश का डर है नहीं पुलिस का खौफ है।

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बड़े संकट में डाल सकती

यह संयोग है कि इस जनपद में मात्र तीन ही कोरोना वायरस से पाजिटिव मिले जिसमें दो दिल्ली निजामुद्दीन में आयोजित मरकज़ तब्लीगी जमात से वापस लौटे थे।

एक बंगला देश का है तो झारखंड रांची का है जिसका उपचार जिसका उपचार जिला अस्पताल में हो रहा है।एक जौनपुर के पिरोसोपुर का रहा जो सऊदी अरब से आया था अब दूसरी जांच में उसकी रिपोर्ट निगेटिव आ गयी है । अब वह ठीक है।

हां यहाँ पर प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए विदेश से आने वालों को क्वारंटाइन कर दिया है जिसमें 168 कोरोना होने के लिए चिन्हित किया गया था जिसमें 88का सैम्पल भेजा गया था अब 67 की रिपोर्ट आयी है जो निगेटिव है। अन्यथा की दशा मे लॉकडाउन में छूट के समय जो स्थित नजर आ रही है वह जनपद को बड़े संकट में डाल सकती है।

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Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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