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यूपी में होगा एनकाउंटर! पुलिस रेप आरोपियों को उतारेगी मौत के घाट?
इस मामले को लेकर कुछ लोगों को कहना है कि पुलिस ने बहुत अच्छा किया तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि किसी को भी कानून को हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। देखा जाय तो ऐसे मामले देश में लगातार बढ़ रहे हैं तो देश में इसको लेकर अब कड़े कानून बनाने की भी मांग होने लगी है।
नई दिल्ली: तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में बीते 27 नवंबर को लेडी डॉक्टर के साथ हुए गैंगरेप केस के चारों आरोपी पुलिस एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं। पुलिस क्राइम सीन रीक्रिएशन के लिए उन्हें घटनास्थल पर लेकर आई थी। उसी दौरान पुलिस ने एनकाउंटर को अंजाम दिया।
करीब ऐसा ही एक मामला यूपी के उन्नाव से सामने आया है जहां दरिंदों में पीडिता को जिंदा जला दिया है, जिससे उसके शरीर का 90 प्रतिशत हिस्सा जल गया है। हालांकि अभी पीडिता का हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है जहां उसकी स्थति गंभीर बनी हुई है। ऐसे में लोगों के मन में अब एक ऐसा सवाल उभर कर सामने आ रहा है कि क्या यूपी में भी इनकाउंटर होगा।
आंकड़े बयां करते हैं इनकाउंटर की कहानी
ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि उत्तर प्रदेश में अभी तक बीते दो सालों में यूपी पुलिस ने 103 अपराधियों को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया है, जबकि, 1859 घायल हुए हैं। वहीं, 17,745 अपराधियों ने आत्मसमर्पण किया या जेल जाने के लिए अपनी खुद की बेल रद्द कर दी।
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ऐसे में पुलिस और सरकार दोनों को लेकर लोगों के मन में ये सवाल उठना तो लाजमी माना जा रहा है। लेकिन देखना होगा कि आखिर यूपी सरकार रेप जैसे मामलों पर क्या कोई ठोस कदम उठाती है या फिर नहीं बता दें कि हैदराबाद में हुए इनकाउंटर के बाद पुलिस के कार्रवाई पर लोगों में खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है। वहीं इनकाउंटर के बाद हैदराबाद पुलिस का जगह जगह स्वागत देखने को भी मिला।
हकीकत बयां करते हैं आंकड़े
रेप के मामलों में अभी भी हमारा पुलिस तंत्र इतना संवेदनशील नहीं हुआ है, जिसकी अपेक्षा पूर्व जस्टिस वर्मा को थी। आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। देश की पुलिस को वर्ष 2017 में बलात्कार के 46 हजार 965 मामलों की जांच करनी थी। इसमें पहले से लंबित 14 हजार 406 मामले और नए दर्ज 32 हजार 559 मामले थे। इनमें से महज 28 हजार 750 मामलों में ही चार्जशीट दाखिल हो सकी जबकि 4 हजार 364 केस बंद कर दिए गए और 13 हजार 765 केस अगले साल के लिए लंबित कर दिए गए। वर्ष 2017 में ही पुलिस को बलात्कार के बाद हत्या किए जाने के कुल 413 मामलों की जांच करनी थी, जिनमें से 108 मामले वर्ष 2016 के लंबित थे और 223 मामले नए थे। इनमें से 211 मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई, जबकि 11 मामले बंद कर दिए गए और 109 फिर लंबित हो गए।
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बलात्कार जैसे मामलों में लंबी प्रक्रिया के कारण सबूत या तो मिट जाते हैं या मिटा दिए जाते हैं और सबूतों के अभाव में आरोपी दोषी नहीं साबित हो पाते। वर्ष 2017 मेें देश में 43 हजार 197 बलात्कार के आरोपी गिरफ्तार किए गए। इनमें से 38 हजार 559 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई, लेकिन केवल 6 हजार 957 आरोपित ही दोषी साबित हो पाए। इसी वर्ष बलात्कार के बाद हत्या के मामलों में 374 गिरफ्तार हुए, लेकिन केवल 48 ही दोषी साबित हो पाए।
अदालतों पर भी है बहुत बोझ
इसी तरह देश की अदालतों पर भी बहुत ज्यादा मुकदमों का बोझ होने के कारण बलात्कार के मामलों का लंबे समय तक निपटारा नहीं हो पाता है। वर्ष 2017 में देश की निचली अदालतों में बलात्कार के कुल 1 लाख 46 हजार 201 मामले थे। इनमें 28 हजार 750 मामले इस साल के थे जबकि 1 लाख 17 हजार 451 पुराने लंबित मामले थे।
ट्रायल कोर्ट में इनमें से केवल 18 हजार 99 मामलों में ही सुनवाई हो सकी, 5 हजार 822 मामलों में दोष सिद्ध हुआ तथा 11 हजार 453 मामलों में आरोपी रिहा कर दिए गए और 1 लाख 27 हजार 868 अगले साल के लिए लंबित हो गए। इतना ही नहीं बलात्कार के बाद हत्या किए जाने के वर्ष 2017 में कुल 574 मामले थे। इनमें से 363 मामले पुराने थे। इनमें से इस वर्ष केवल 57 का ही ट्रायल हो पाया, 33 मामलों में सजा हुई और 24 बरी हो गए जबकि 517 मामले अगले वर्ष के लिए लंबित हो गए।
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इस मामले को लेकर कुछ लोगों को कहना है कि पुलिस ने बहुत अच्छा किया तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि किसी को भी कानून को हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। देखा जाय तो ऐसे मामले देश में लगातार बढ़ रहे हैं तो देश में इसको लेकर अब कड़े कानून बनाने की भी मांग होने लगी है। लेकिन अब देखना होगा कि क्या देश में रेप को लेकर कड़े कानून बनाए जाते हैं या फिर अभी भी बेटियां बलि पर चढ़ती रहेंगी।