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फेसबुक से बची महिला की जान, जानें क्या हुआ ऐसा जो सुर्खियों में आ गई ये घटना
फेसबुक का इस्तेमाल अच्छे और बुरे कामों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आज दो पत्रकारों ने मिलकर फेसबुक का सहारा लेकर एक मरीज की जान बचा ली है।
आसिफ अली
शाहजहांपुर: वैसे तो आज के जमाने में फेसबुक चलाने वालों मे सबसे ज्यादा युवा शामिल है। फेसबुक का इस्तेमाल अच्छे और बुरे कामों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आज दो पत्रकारों ने मिलकर फेसबुक का सहारा लेकर एक मरीज की जान बचा ली है। दर्द से तङ़पती महिला को ब्लड की आवश्यकता थी। महिला का ब्लड ग्रुप (ओ निगेटिव) था। ये ग्रूप काफी रेयर होता है। ऐसे में कहीं भी ब्लड नहीं मिल पा रहा था। लेकिन तभी एक पत्रकार ने पहल करते हुए फेसबुक पर महिला के लिए मदद मांगी। पोस्ट वायरल होते ही दूसरे पत्रकार का फोन आता है और उसका ब्लड ग्रूप भी (ओ निगेटिव) था। जिसके बाद पत्रकार ने अस्पताल पहुंचकर ब्लड देकर महिला की जान बचा ली।
7 माह की गर्भवती महिला की बचाई जान
थाना सिंधौली क्षेत्र के रहने वाले विपनेश शुक्ला की 28 वर्षिय पत्नी सविता शुक्ला 7 माह की गर्भवती थी। महिला की अचानक तबियत बिगड़ गई। जिसके बाद उनको शहर के एक निजी नर्सिंग होम मे भर्ती कराया गया। जहां उनका इलाज शुरू किया गया। बिलिडिंग ज्यादा होने पर महिला का ऑपरेशन बेहद जरूरी हो गया था। लेकिन महिला के शरीर मे सिर्फ 5. ही ब्लड बचा था। ऐसे में डाक्टर ने दो ब्लड की बोतलों का इंतजाम करने के लिए बोला। परिवार बेहद गरीब था। इसलिए वह कहीं बाहर से ब्लड खरीदने में असमर्थ थे। उधर महिला की लगातार हालत बिगड़ रही थी। आप्रेशन न होने पर महिला की जान भी जा सकती थी। लेकिन तभी एक पत्रकार महिला के लिए फरिश्ता बनकर अस्पताल पहुंच गया। पत्रकार ने फेसबुक के जरिए सोशल मीडिया पर ब्लड की अपील की।
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महिला को कहीं नहीं मिल रहा था ब्लड
दरअसल महिला का ब्लड ग्रूप (ओ निगेटिव) था। ओ निगेटिव ग्रूप रेयर है। इसलिए आसानी से इस ग्रूप का ब्लड नही मिल पाता है। सबसे ज्यादा दिक्कत थी कि महिला के परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि वह कहीं से ब्लड खरीद सके। तभी ये खबर वरिष्ठ पत्रकार रामविलास सक्सेना को मिली। पत्रकार सीधे उस महिला के परिवार से मिले। सबसे पहले पत्रकार ने भी ब्लड तलाशने की कोशिश की। लेकिन कामयाबी नहीं मिली। उधर महिला की हालत बिगड़ती जा रही थी। तभी पत्रकार रामविलास सक्सेना ने फेसबुक पर लोगों से अपील की। उस अपील मे ब्लड ग्रुप भी लिखा था। पोस्ट देखकर दूसरे पत्रकार अनूप कुमार ने रामविलास सक्सेना से संपर्क किया और वह कुछ देर मे अस्पताल ब्लड देने के लिए पहुंच गए।
पत्रकार ने की परिवार की मदद
हालांकि आप्रेशन करने के लिए दो ब्लड खून की जरूरत थी। इंतजाम सिर्फ एक बोतल का हो पाया था। डाक्टर ने जब पत्रकार अनूप कुमार के सामने दो बोतल खून की बात की तो उस वक्त अनूप कुमार ने भगवान से प्रार्थना और डाक्टर से गुजारिश की एक बोतल और ब्लड ले लिजिए मगर मरीज की जान बचा लिजिए। ये सुनकर महिला के परिवार के आंखों में आसू डबडबा गए। उसके बाद महिला को ओटी में ले जाया गया।
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दोनों पत्रकार रामविलास सक्सेना और अनुप कुमार ने पत्रकारिता के साथ साथ इंसानियत और जिंदादिली की मिसाल कायम कर दी। दोनों पत्रकार महिला के लिए फरिश्ता बनकर पहुंचे थे। खून मिलने के बाद महिला का आप्रेशन हुआ और आप्रेशन सफल भी हुआ। महिला की जान बच गई।
वही महिला के परिवार ने दोनों पत्रकारों का दिल शुक्रिया अदा किया। उनका कहना है कि अगर दोनों पत्रकार हमारी मदद नहीं करते या फिर फेसबुक जैसा प्लेटफार्म अगर हमारे बीच नहीं होता तो महिला हमारे बीच जिंदा नही होती। परिवार ने दोनों पत्रकारों को अपना भगवान ही मान लिया।
वैसे तो लोग फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म को इस्तेमाल करने से अक्सर मना करते हैं। कुछ फेसबुक पर टाईम पास करते है तो कुछ अलग अलग काम के लिए इस्तेमाल करते है। लेकिन ऐसा पहली बार देखने को मिला कि किसी महिला की जान बचाने का माध्यम फेसबुक बनेगा।
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