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Jhansi News: एडवांस तकनीक ने ब्रेन ट्यूमर के इलाज में लाई क्रांति

Jhansi News: आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम में साइबरनाइफ के डायरेक्टर डॉक्टर आदित्य गुप्ता ने सर्जरी की इस एडवांस तकनीक और इलाज में इसके फायदे के बारे में बताया है।

B.K Kushwaha
Published on: 21 July 2023 7:59 PM IST
Jhansi News: एडवांस तकनीक ने ब्रेन ट्यूमर के इलाज में लाई क्रांति
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डॉक्टर आदित्य गुप्ता (Pic: Newstrack)

Jhansi News: हर साल 22 जुलाई को ग्लोबल कम्युनिटी एकसाथ मिलकर वर्ल्ड ब्रेन डे मनाती है। इस साल की थीम 'ब्रेन हेल्थ और डिसएबिलिटी: लीव नो वन बिहाइंड' है जिसका मकसद दिमाग की सेहत से जुड़े मसलों पर जोर और जो लोग दिव्यांग हैं उन सबको को इलाज देना है। ब्रेन की सेहत में सबसे बड़ी चुनौती ब्रेन ट्यूमर रहता है जिसका इंसान की सेहत पर बहुत गंभीर असर पड़ता है। इस मौके पर आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम में साइबरनाइफ के डायरेक्टर डॉक्टर आदित्य गुप्ता ने सर्जरी की इस एडवांस तकनीक और इलाज में इसके फायदे के बारे में बताया है।

शारीरिक और मेंटल हेल्थ को बिगाड़ सकता है ब्रेन ट्यूमर

उन्होंने बताया कि ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क या उसके आसपास के टिशू के भीतर कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि से होता है। ये टिशू या तो कैंसर (घातक) या नॉन-कैंसरस (सौम्य) हो सकते हैं। ब्रेन ट्यूमर उनकी लोकेशन, साइज और ग्रोथ के हिसाब से चुनौतियां खड़ी करते हैं। इसमें सिर दर्द, दौरे, मेमोरी प्रॉब्लम, बैलेंस इशू, और बिहेवरियल चेंज होते हैं। इसके अतिरिक्त, ब्रेन ट्यूमर को भी शारीरिक और मेंटल हेल्थ को बिगाड़ सकता है।

ब्रेन ट्यूमर की वजह से हो सकती है गंभीर विकलांगता

उन्होंने बताया कि ब्रेन ट्यूमर के दुष्प्रभाव किसी भी व्यक्ति के जीवन पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता हैं। ट्यूमर कॉग्निटिव फंक्शन को खराब कर सकते हैं, मोबिलिटी को सीमित कर सकते हैं, और इमोशनल डिस्ट्रेस पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, ट्यूमर से ब्रेन टिशू पर जो प्रेशर पड़ता है उससे ब्रेन फंक्शन डैमेज हो सकते हैं, अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो ब्रेन ट्यूमर की वजह से गंभीर विकलांगता हो सकती है, जिससे किसी व्यक्ति की डेली एक्टिविटी करने की क्षमता पर असर पड़ता है और क्वालिटी ऑफ लाइफ भी बिगड़ती है।

सर्जन को ऑपरेशन करने में मिलती है मदद

नेविगेशन गाइडेड सर्जरी एक इमेज तकनीक पर आधारित सर्जरी है जिसका इस्तेमाल स्पाइनल सर्जरी में मरीज के शरीर की संरचना को स्कैन करने के लिए किया जाता है और ये नेविगेशन सिस्टम कैमरा से किया जाता है। इसमें स्पेशलाइज्ड सॉफ्टवेयर मरीज की रीढ़ की 3-डी इमेज देता है जिससे सर्जन को ऑपरेशन करने में मदद मिलती है। जैसे किसी लोकेशन को नेविगेट करने के लिए जीपीएस का इस्तेमाल किया जाता है उसी तरह 3-डी इमेज गाइडेड सर्जरी से न्यूरोसर्जरी में काफी मदद मिलती है।

साइबरनाइफ इलाज के है कई फायदे

नॉन-इनवेसिवनेस: साइबरनाइफ सर्जरी में कट लगाने या एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं होती जिसके चलते ओपन सर्जरी की तुलना में इससे रिस्क काफी कम हो जाते हैं।

एक्यूरेसी: साइबरनाइफ सिस्टम में ट्यूमर की पोजीशन को रियल टाइम में ट्रैक किया जाता है और रेडिएशन की किरणों को जरूरत के हिसाब से एडजस्ट कर लिया जाता है। टारगेट एकदम सटीक होने के चलते दिमाग के स्वस्थ टिशू को कम से कम नुकसान पहुंचता है जिससे लाइफ बेहतर होती है।

जल्दी रिकवरी: साइबरनाइफ इलाज में मरीज को ज्यादा दिक्कत नहीं होती और कुछ दिन में ही सामान्य गतिविधियां करने लग जाते हैं। जबकि ओपन सर्जरी की बात की जाए उसमें रिकवरी टाइम ज्यादा होता है।

वर्सेटाइल: साइबरनाइफ सिस्टम से हल्के और घातक दोनों तरह के ब्रेन ट्यूमर का इलाज किया जा सकता है। साथ ही शरीर के अन्य हिस्सों के ट्यूमर का भी इससे इलाज किया जा सकता है। इसकी ये क्षमता ही इसे कैंसर के इलाज में काफी उपयोगी बनाती है।



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B.K Kushwaha

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