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ट्रॉमा से होने वाली मौतों को कम करने के लिए होगा विभागों का समन्वय: सीएम योगी
स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह ने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 42 ट्रॉमा सेंटर मौजूद हैं और इन्हें और सशक्त करने के लिए चिकित्सकों की आवश्यकता है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रॉमा से बड़ी संख्या में होने वाली मौतों पर चिंता जताते हुए कहा है कि देश एवं प्रदेश के अंदर सड़क हादसों में मौत के आंकड़े किसी भी महामारी या महायुद्ध से ज्यादा हैं और इस समस्या का समाधान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उपचार से ज्यादा महत्वपूर्ण बचाव होता है और बचाव इसमे एक बहुत बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकता है।
उन्होंने कहा कि बचाव की यह भूमिका किस रूप में हो सकती है इसी बात को लेकर अंतर विभागीय समन्वय करने का प्रयास किया जा रहा है। आकंड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में हर साल करीब 80 हजार लोगों की मौत दुर्घटना के कारण हो जाती हैं।
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किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के अटल बिहारी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में ट्रॉमा सर्जरी विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश में पहली बार 9वीं इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रॉमा एंड एक्यूट केयर (आईएसटीएसी) की तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी गंभीरता को देखते हुए ही उन्होंने इससे जुड़े विभिन्न पक्षों को लेकर एक कार्य योजना भी लागू की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क दुर्घटना रोकने के लिए सड़क की इंजीनियरिंग में ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने होंगे और उसका तत्काल समाधान करना होगा।
उन्होंने कहा कि पहले सड़कों पर संकेतक लगे होते थे जो वाहन चालकों को दिशानिर्देशित करते हुए उन्हें सावधान कर देते थे, लेकिन वह हटाये जा चुके थे, उन्हें फिर से लगवाया गया है।
सड़क दुर्घटना का बड़ा कारण दो पहिया और चार पहिया वाहन चालकों द्वारा हेलमेट और सीट बेल्ट का इस्तेमाल न करना है।
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एम्बुलेंस सेवा के रिस्पांस टाइम को कम किया गया
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने एंबुलेंस सेवा 108, 102 और पुलिस सेवा की डायल-100 के रिस्पांस टाइम को कम किया गया है। जिससे दुर्घटना में घायल पीड़ितों को गोल्डन आवर में उपचार की सुविधा उपलब्ध हो सके लेकिन इसका जो सबसे महत्वपूर्ण चरण जागरूकता का है।
इस जागरूकता चरण के तहत डायल-100 के सभी पुलिस कर्मियों को केजीएमयू में प्रशिक्षण प्राप्त करने की प्रक्रिया चल रही है।
दुर्घटनाग्रस्त लोगों को बचाने के लिए जागरूकता लाना जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका किसकी होनी चाहिए और इसके बारे में जागरूकता लाना और सामान्य जन को बताना जरूरी हो गया है।
उन्होंने कहा कि पहले स्कूल और कॉलेज में विद्यार्थियों को बताया जाता था कि साफ-सफाई पर ध्यान देना है, प्राकृतिक आपदाओं एवं कोई दुर्घटना हो गई है तो इससे कैसे बचना है इस बात की सामान्य जानकारी दी जाती थी और बताया जाता था कि क्या सावधानी बरतनी चाहिए लेकिन वर्तमान समय में संस्थानों एवं विद्यार्थियों के पाठ्यक्रमों से इन सारी चीजों को हटा दिया है।
उन्होंने ट्रॉमा से जुड़ी सावधानियों के प्रति जागरूकता लाए जाने को महत्वपूर्ण बताया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इंसेफेलाइटिस से उत्तर प्रदेश में होने वाली मौतों के आकड़ों में 63 फीसदी की कमी दर्ज की गई है और आने वाले दो-तीन वर्षो में उत्तर प्रदेश को इंसेफेलाइटिस से मुक्त प्रदेश घोषित किया जाएगा।
स्वास्थ्यकर्मियों को चिंतामुक्त होकर कार्य करने की जरुरत
इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री, सुरेश खन्ना ने चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों से चिंतामुक्त होकर कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि अगर चिकित्सक चिंतामुक्त होकर रोगियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएंगे तो वह ज्यादा बेहतर ढंग से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकेंगे।
जबकि स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह ने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 42 ट्रॉमा सेंटर मौजूद हैं और इन्हें और सशक्त करने के लिए चिकित्सकों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि यहां आयोजित संगोष्ठी में यूपी के ट्रॉमा सेंटर में मौजूद सुविधाओं की कमी को दूर करने एवं उनमें किए जाने सुधार को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अपनी तैयारी करके दुर्घटना की संख्या को कम करने के लिए नए तरीकों की खोज करेंगे।
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यातायात नियमों का पालन करने की अपील
इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश ओपी सिंह ने आमजन से यातायात नियमों का पालन करने एवं हेलमेट व सीट बेल्ट का इस्तेमाल किए जाने की अपील की।
चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने कहा कि लोगों के अंदर इस बात की जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है कि यातायात नियमों का पालन करने और सीट बेल्ट व हेलमेट लगाने से उनके स्वयं के जीवन की रक्षा होती है।