कहां भागेंगे मुख्तार: योगी सरकार का बड़ा एक्शन, मददगार पर कसेगा शिकंजा

राजधानी लखनऊ में करोड़ों की निष्क्रांत भूमि पर बाहुबली मुख्तार अंसारी का कब्जा कराने में मददगार बने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की भी कुंडली खंगाली जा रही है।

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Published on: 30 Aug 2020 12:01 PM GMT
कहां भागेंगे मुख्तार: योगी सरकार का बड़ा एक्शन, मददगार पर कसेगा शिकंजा
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मुख्तार अंसारी (file photo)

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में करोड़ों की निष्क्रांत भूमि पर बाहुबली मुख्तार अंसारी का कब्जा कराने में मददगार बने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की भी कुंडली खंगाली जा रही है। जिला प्रशासन और लखनऊ विकास प्राधिकरण की फाइलों के आधार पर उन लोगों का विवरण तैयार कराया जा रहा है जिन्होंने निष्क्रांत सरकारी भूमि को पत्रावलियों में मुख्तार परिवार की संपत्ति बनाने में सहायता की है।

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लखनऊ डालीबाग में मुख्तार अंसारी के बेटों के नाम पर सरकारी जमीन है

डालीबाग में करोड़ों की सरकारी जमीन को मुख्तार अंसारी के बेटों के नाम पर दर्ज करने में सरकारी दस्तावेज में हेराफेरी का बड़ा खेल खेला गया है। इसमें जिला प्रशासन के तहसील कर्मचारियों के साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका भी संदेहास्पद है। एसडीएम सदर एसके त्रिपाठी के अनुसार मुख्तार अंसारी के बेटों के नाम से निष्क्रांत भूमि को दर्ज किए जाने की शुरुआती जांच में ऐसे तथ्य मिले हैं जिनसे पता चलता है कि हेराफेरी के लिए खतौनी के तीन साल के रिकार्ड गायब किए गए थे।

mukhtar-ansari and his illegal property अवैध मकान (file photo)

अलग-अलग नाम से ली गयी जमीन

खसरा संख्या 93 में पांच बीघा तीन बिस्वा से भी अधिक जमीन 1359 फसली रिकार्ड में नॉन जेडए श्रेणी में मोहम्मद वसीम के नाम पर दर्ज है। वसीम के पाकिस्तान जाने के बाद 1362 फसली में जमीन को निष्क्रांत संपत्ति के तौर पर दर्ज किया गया। इसके बाद 1369 से 1370 तक यह जमीन एल नारायण और 1380 में कृष्ण कुमार के नाम अंकित है। इसके बाद 1371 से 1374 तक तीन फसली रिकार्ड में खतौनी गायब कर एसडीएम कोर्ट में मामला दाखिल कर वाद को उलझा दिया गया। इस वाद का निस्तारण करने के बाद ही सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का खुलासा हुआ है। इसके बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण को पूरे मामले की सूचना दी गई जिसके बाद प्राधिकरण ने जमीन पर स्वीकृत नक्शा अवैध करार दिया है।

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दूसरी ओर मुख्तार अंसारी के बेटों के वकील अब भी दावा कर रहे हैं कि जिला प्रशासन और लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गलत कार्रवाई की है। लखनऊ विकास प्राधिकरण की विहित प्राधिकारी कोर्ट से ध्वस्तीकरण आदेश की प्रति भी अधिवक्ताओं ने हासिल की है। इस बीच प्राधिकरण में भी उन दस्तावेज को खंगाला जा रहा है जिसके आधार पर मुख्तार के बेटों के आवेदन पर मानचित्र स्वीकृत किया गया है। प्राधिकरण में भी यह जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या मानचित्र के संबंध में कोई शिकायत तो नहीं मिली थी जिसकी अनदेखी कर प्राधिकरण के इंजीनियरों ने मानचित्र को पास कराया है। माना जा रहा है कि तहसील और प्राधिकरण में मुख्तार अंसारी के मददगार बैठे हुए हैं। अब उनकी पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी जिससे दूसरे कर्मचारियों को भी सबक मिल सके।

अखिलेश तिवारी

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