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किसान नेताओं की खुशामदी में जुटी योगी सरकार, अधिकारियों को भेजा गांव-गांव
धान क्रय केंद्रों की बदहाल व्यवस्था और यूरिया की कालाबाजारी का शिकार बने किसानों का गुस्सा अब यूपी में भी फूटने लगा है। बाराबंकी समेत कई जिलों में किसानों के बगावती तेवर सामने आ चुके हैं।
लखनऊ: दिल्ली के किसान आंदोलन की आंच अब यूपी तक पहुंच रही है। योगी सरकार ने अब किसान नेताओं की खुशामदी शुरू कर दी है। सरकार के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी गांव -गांव जाकर किसानों की समस्या पूछ रहे हैं और उनका तत्काल समाधान भी कराने में जुट गए हैं। योगी सरकार ने अधिकारियों से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है कि किसान आंदोलन में कहीं किसी इलाके के किसान शामिल होने तो नहीं जा रहे हैं।
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यूरिया की कालाबाजारी का शिकार बने किसानों का गुस्सा अब यूपी में भी फूटने लगा है
धान क्रय केंद्रों की बदहाल व्यवस्था और यूरिया की कालाबाजारी का शिकार बने किसानों का गुस्सा अब यूपी में भी फूटने लगा है। बाराबंकी समेत कई जिलों में किसानों के बगावती तेवर सामने आ चुके हैं। किसान आंदोलन को यूपी से समर्थन मिलने की आशंका से योगी सरकार के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। इससे घबराई सरकार अब किसानों को पटाने में जुट गई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का बंटवारा करने के साथ ही अब सरकार ने अपनी पूरी मशीनरी किसान मैनेजमेंट में लगा दी है।
सरकार ने सभी जिलों में अपने नोडल अधिकारी भेजे हैं जो रविवार से मंगलवार तक रहकर किसानों की समस्याओं का समाधान करने के साथ ही उनकी परेशानियों की जानकारी सरकार को भी देंगे। सरकार की कोशिश है कि किसान नेताओं को खुश कर दिल्ली के किसान आंदोलन में लोगों को शामिल होने से रोका जाए। इस सिलसिले में सरकार ने पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश भी जारी किए हैं।
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किसानों को अन्नदाता व देश निर्माता मानने को तैयार हुई सरकार
सरकार ने किसानों को अब सही मायने में देश का मालिक मान लिया है। सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जिस भी गांव में विकास कार्य बाधित हों उन्हें तत्काल शुरू कराया जाए और किसानों व ग्रामीणों से पूछकर नए विकास कार्य भी कराए जाएं। किसी भी तरह से किसानों के बीच नाराजगी या असंतोष उत्पन्न न होने दिया जाए। किसानों से बातचीत भी सम्मानपूर्ण तरीके से की जाए। किसी भी किसान को अपमानित न किया जाए।
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योगी सरकार का किसान नेताओं को मनाने संबंधी निर्देश
- जिला अधिकारी व एसएसपी की जिम्मेदारी होगी कि वह किसान संगठनों से बातचीत कर उन्हें अपने गांव या क्षेत्र में रहने के लिए प्लान बनाएं। जिससे वह अपने इलाके से बाहर न निकलने पाएं।
- किसान नेताओं की सूची तैयार करें। एडीएम व एएसपी , सीओ स्तर के अधिकारी भी किसान नेताओं से संपर्क -संवाद करें।
- गांवों में किसानों के किसान आंदोलन से जुड़ने की संभावना टटोल कर शासन को सूचना उपलब्ध कराना और किसानों के गांव में ही रहने का एक्शन प्लान
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यानी कार्य योजना तैयार कर तीन दिन में अमल करना।
- प्रभावशाली किसान नेताओं के गांव में वरिष्ठ अधिकारियों का दौरा , जिससे उन्हें रोकना हर हाल में संभव हो।
- किसानों की गांव स्तर पर समस्याओं का तत्काल समाधान कराना।
- थानाध्यक्ष एवं तहसीलदार के स्तर से किसानों व ग्रामीणों से किए गए संवाद की समीक्षा एसडीएम व सीओ स्तर के अधिकारी से कराना।
- विकास योजनाओं से जुड़े अधिकारियों को गांवों में किसानों से संवाद के लिए जोड़ा जाए। विकास कार्य कराए जाएं जिससे उन्हें गांव में रोका जा सके।
- किसानों से बातचीत सौहार्दपूर्ण तरीके से की जाए।
रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी
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