TRENDING TAGS :
योगी सरकार में ये हाल ! कान्हा गोवंश विहार में चारे-पानी के आभाव में मर रही गायें
रायबरेली स्थित कान्हा गोवंश विहार की यह घटना अधिकारियों की लापरवाही की पोल खोल रही है। जहां पर कई दिनों से जानवरों को पानी और खाना नहीं दिया गया और जब यह सूचना आसपास के लोगों तक पहुंची तो रायबरेली जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया।
रायबरेली: योगी आदित्यनाथ सरकार ने आवारा पशुओं के रख-रखाव के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर गौशाला का निर्माण कराया लेकिन इसके बावजूद सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत महाराजगंज रोड त्रिपुला चौकी के पास बने कान्हा गोवंश विहार में चारे-पानी के आभाव में गाय की मौत का मामला प्रकाश में आया है। आपको बता दें कि दो महीने पहले भी यहां एक पखवारे के अंदर 40 गोवंश की मौत का मामला प्रकाश में आ चुका है।
रायबरेली स्थित कान्हा गोवंश विहार की यह घटना अधिकारियों की लापरवाही की पोल खोल रही है। जहां पर कई दिनों से जानवरों को पानी और खाना नहीं दिया गया और जब यह सूचना आसपास के लोगों तक पहुंची तो रायबरेली जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया।
ये भी देखें : ईरान से तनाव: US ने फारस की खाड़ी के ऊपर से जाने वाली एयरलाइनों को दी चेतावनी
लोगों का कहना है न तो यहां कोई डॉक्टर है ना तो पशुओं की देख-रेख के लिए कोई साधन। न तो खाने के लिए भूसे की सही स्थिति है। ऐसे में जानवरों की स्थिति रोजाना दयनीय नजर आ रही है। हालांकि जिला प्रशासन का कहना है कि यहां पर 20 मजदूर हमेशा तैनात रहते हैं लेकिन पशुओं की मौत की घटना के बाद जो सच सामने आया वो चौकाने वाला रहा।
लोगों का कहना है कि गायों के नाम पर दान भी मिलता है लेकिन वह दान बस दान ही बनकर रह जाता है। चारों ओर दलदल ही दलदल है। कई बीघे में बने गौशाला का कुछ हिस्से छोड़ कर पूरी जमीन दलदली है चारो तरफ गंदगी है, गंदे पानी की वजह से यहां मच्छर और कीट पतंगों का प्रभाव अधिक है। अब एक बार फिर यहां एक बार चारे पानी के अभाव में गाय के मरने का मामला प्रकाश में आया तो प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। प्रशासनिक अधिकारी इस पर पर्दा डालने मे लगे हैं। डीएम नेहा शर्मा ने मामले मे जांच के आदेश दिए हैं।
ये भी देखें : 48MP कैमरे के साथ Oppo A9x लॉन्च, जानिए पूरी डिटेल
आपको बता दें कि 23 मार्च को भी यहां एक दर्जन से अधिक गाय मृत अवस्था में पाई गई थी। शर्मसार कर देने वाली इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने अपनी लाज बचाने के लिए तत्काल जांच कराया था। कहा गया था कि मामले में जो कोई भी दोषी है उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाएगी। लेकिन बस ये दावे ही थे, जांच की फाइल रद्दी की टोकरी में धूल फांक रही और दोषी चैन की बंसी बजा रहे।