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भ्रष्टाचार पर ताबड़तोड़ कार्रवाई, निवारण संगठन ने 33 पुलिस कर्मियों को दबोचा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो टालरेंस नीति का असर पूरे प्रदेश में लगातार दिख रहा है। अलग अलग क्षेत्रों में कानून तोडने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है।
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो टालरेंस नीति का असर पूरे प्रदेश में लगातार दिख रहा है। अलग अलग क्षेत्रों में कानून तोडने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है। इसी के तहत इस वर्ष 31 अगस्त तक की अवधि में भ्रष्टाचार निवारण संगठन द्वारा रिश्वत लेते हुए 18 लोक सेवकों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया जा चुका है। इस अवधि में कुल 150 अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार में लिप्तता के संबंध में कार्यवाही की गई है, जिसमें 33 कर्मी पुलिस विभाग एवं 117 कर्मी अन्य विभागों के हैं।
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मैनपावर की जरूरत
बतातें चलेें कि इधर कुछ महीनों पहले जांच एजेंसियों को मैनपावर की कमी को दूर करने के लिए कई इस्पेंटरों को तैनाती की गयी है। स तैनाती से जांच एजेंसियों में मामलों की जांच व दर्ज होने वाले मुकदमों की विवेचना में आने वाली दिक्कतें दूर हो जाएंगी।
हालांकि अभी और भी मैनपावर की जरूरत है। ज्यादा काम के बोझ वाली एजेंसियों एसआईटी, ईओडब्ल्यू, सतर्कता अधिष्ठान व सीसीसीआईडी में पर्यवेक्षणीय अधिकारियों की भी भारी कमी है।
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150 कर्मियों के विरूद्ध कार्यवाही
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि पुलिस अधीक्षक, भ्रष्टाचार निवारण संगठन, लखनऊ ने भ्रष्टाचार में लिप्त जिन 150 कर्मियों के विरूद्ध कार्यवाही की है । 14 कर्मियों के विरूद्ध खुली जांच, 12 कर्मियों के खिलाफ अभियोग पंजीकरण, 08 के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही, 26 के विरूद्ध जांच एवं स्थानान्तरण करने एवं 90 के विरूद्ध आरोप पत्र प्रेषित किये जाने की संस्तुति की गई है।
उन्होंने यह भी बताया कि भ्रष्टाचार के संबंध में संगठन द्वारा इस अवधि में 153 अभिसूचना एवं विवाचानाओं का भी निस्तारण किया गया है। खास बात यह है कि भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे अधिक राजस्व विभाग के लोग संलिप्त पाए जाते है। जबकि इस विभाग के बारे में लोगों का ध्यान कभी जाता ही नहीं है। आम धारणा है कि पुलिस में ही सबसे अधिक भ्रष्टाचार पाया जाता है।
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