प्राचीन पौराणिक छड़ी यात्रा पहुंची हाट काली मंदिर, लोगों ने की पूजा-अर्चना

हाटकालिका के नाम से विख्यात इस पौराणिक मंदिर का वर्णन स्कन्दपुराण के मानसखंड में मिलता है। मानस खंड के दारूकवन गंगोलीहाट में वर्णित इस हाटकलिका मंदिर पुर्नस्थापना आद्य जगद्गुरू शंकराचार्य ने कुमायूँ भ्रमण के दौरान छठी शताब्दी में की थी।

Newstrack
Published on: 9 Oct 2020 1:01 PM GMT
प्राचीन पौराणिक छड़ी यात्रा पहुंची हाट काली मंदिर, लोगों ने की पूजा-अर्चना
X
प्राचीन पौराणिक छड़ी यात्रा पहुंची हाट काली मन्दिर, लोगों ने की पूजा-अर्चना (social media)

हरिद्वार: जूना अखाड़े की पवित्र प्राचीन पौराणिक पवित्र छड़ी यात्रा अपने अन्तिम चरण में वृहस्पतिवार को चैकोड़ी से श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज तथा सत्कर्मा मिशन के संस्थापक श्रीमहंत वीरेन्द्रानंद के नेतृत्व में गंगोलीहाट के पौराणिक तीर्थ हाट काली मन्दिर दर्शन के लिए पहुंची,जहां महंत चेतनगिरि व मंदिर के विद्वान पण्डितों ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की तथा माता काली के दर्शन किए।

ये भी पढ़ें:हाथरस फंडिंगः भीम आर्मी चीफ का सीएम को चैलेंज, आरोप साबित करें या दें इस्तीफा

हाटकालिका के नाम से विख्यात इस पौराणिक मन्दिर का वर्णन स्कन्दपुराण के मानसखंड में मिलता है

हाटकालिका के नाम से विख्यात इस पौराणिक मंदिर का वर्णन स्कन्दपुराण के मानसखंड में मिलता है। मानस खंड के दारूकवन गंगोलीहाट में वर्णित इस हाटकलिका मंदिर पुर्नस्थापना आद्य जगद्गुरू शंकराचार्य ने कुमायूँ भ्रमण के दौरान छठी शताब्दी में की थी। हाटकाली मंदिर से जुड़ी एक घटना पुजारी रावल भीम सिंह बताते है। उनके अनुसार द्वितीय विश्व युद्व 1939 से 1945 में भारतीय सेना का जहांज समुद्र में डूबने लगा था,तब सैन्य अधिकारियों ने जवानों को अपने अपने भगवान को याद करने के कहा।

haridhwar haridwar (social media)

कुमायॅू के सैनिकों ने जैसे ही काटकाली को जयकारा लगाया वैसे ही जहाज किनारे पर आ गया

कुमायॅू के सैनिकों ने जैसे ही काटकाली को जयकारा लगाया वैसे ही जहाज किनारे पर आ गया,तभी से भारतीय सेना की कुमायॅू रेजिमेंट के जवान युद्व के लिए हाट काली मंदिर के दर्शनों के बिना नही जाते है। हाट कालिका मंदिर में सालभर पूजा के लिए सैन अफसरों और जवानों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में स्थापित मां काली की मूर्ति भी कुमायूँ रेजिमेंट द्वारा प्रदान की गयी है।

haridhwar haridwar (social media)

ये भी पढ़ें:भिड़ गई मरदानीः वीडियो बनाने पर भी नहीं घबड़ायी, पांच आरोपित गिरफ्तार

पवित्र छड़ी को पौराणिक तीर्थस्थल पाताल भुवनेश्वर के दर्शनों को भी जाना था,लेकिन कोरोना महामारी के चलते यहां दर्शनों पर रोक लगा दी गयी थी। जिस कारण प्रवेशद्वार से ही पूजा अर्चना कर पवित्र छड़ी बागेश्वर रात्रि विश्राम के लिए रवाना हो गयी। पवित्र छड़ी का नेतृत्व कर रहे छड़ी महंत शिवदत्त गिरि,महंत विशम्भर भारती,महंत पुष्करराज गिरि,महंत अजयपुरी के नेतृत्व में साधुओं का जत्था विनसर महादेव मंदिर के लिए रवाना हो गया।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story