×

उत्तराखंड की सियासत: मार्च का महीना है खास, जाने क्यों होता है तख्तापलट

त्रिवेंद्र सिंह रावत ही उत्तराखंड के सीएम रहेंगे या कोई और बनेगा इसे लेकर बहस जारी है। बताया जा रहा है कि शाम 4 बजे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्यपाल से मिलने के लिए जायेंगे।

SK Gautam
Published on: 9 March 2021 9:16 AM GMT
उत्तराखंड की सियासत: मार्च का महीना है खास, जाने क्यों होता है तख्तापलट
X
उत्तराखंड की सियासत: मार्च का महीना है खास, जाने क्यों होता है तख्तापलट

देहरादून: उत्तराखंड में मार्च के महीने में सियासी हलचल शुरू हो जाती है। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की कुर्सी खतरे में है। 2016 में भी मार्च का ही महीना था जब हरीश रावत सरकार को गिराने का प्रयास किया गया था। उत्तराखंड में एक बार फिर दिल्ली से लेकर राज्य तक बैठकें चल रही हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत ही उत्तराखंड के सीएम रहेंगे या कोई और बनेगा इसे लेकर बहस जारी है। बताया जा रहा है कि शाम 4 बजे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्यपाल से मिलने के लिए जायेंगे।

2016 के मार्च में ही हरीश रावत सरकार आई थी खतरे में

बता दें कि उत्तराखंड में मार्च के महीने में सियासी सरगर्मियां शुरू हो जाती हैं। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि मार्च के महीने में हिमालय राज्य में पहले भी कई प्रमुख सियासी उथल-पुथल देखने को मिली है। 2016 के मार्च में ही हरीश रावत सरकार को गिराने का प्रयास किया गया था। विधायकों के एक समूह ने सीएम के खिलाफ विद्रोह किया था। फिर, पिछले साल मार्च में, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करके आश्चर्यचकित कर दिया, जिसके बाद हिमालयी राज्य में सियासी हलचल मच गई।

harish rawat

त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ क्यों हुए विधायक

अब इस बार भी मार्च का महीना है जब सीएम ने बजट सत्र के दौरान गैरसैंण को उत्तराखंड का तीसरा मंडल घोषित कर दिया। इस मंडल में कुमाऊं और गढ़वाल के दो दो जिलों को सम्मिलित किया गया है। चमोली,रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों को इस मंडल में सम्मिलित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कमिश्नर और डीआईजी स्तर के अधिकारी गैरसैण में बैठेंगे।

ये भी देखें: CM रावत पहुंचे देहरादून: उत्तराखण्ड में बड़ा सियासी भूचाल, आज दे सकते हैं इस्तीफा

राज्य में राजनीतिक संकट की स्थिति बन गई है

कहा जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस फैसले के बाद कुमाऊं के बीजेपी विधायक बहुत नाराज हैं और राज्य में राजनीतिक संकट की स्थिति बन गई है। राजनीतिक विश्लेषक जय सिंह रावत ने बताया कि 'मार्च का उत्तराखंड की राजनीति के साथ एक विशेष संबंध है क्योंकि यह वह महीना है जब प्रत्येक चुनाव के बाद एक नई सरकार का गठन होता है। इसके अलावा, बजट सत्र - जो आमतौर पर मार्च में पारित होता है - अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।'

jai singh rawat

भगवा पार्टी के विधायकों का विरोध

गौरतलब है कि 2016 में बजट सत्र के दौरान ही हरीश रावत सरकार को अपने ही विधायकों से बगावत का सामना करना पड़ा था। पांच साल बाद, यह फिर से बजट सत्र के दौरान है कि त्रिवेंद्र रावत सरकार को भी भगवा पार्टी के विधायकों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है और। पार्टी ने पर्यवेक्षकों को देहरादून भेजा और विधानसभा सत्र जल्दबाजी में खत्म हो गया। अब सियासी हलचल जारी है।

ये भी देखें: उत्तराखंड से बड़ी खबर: त्रिवेंद्र रावत देंगे इस्तीफा, राज्यपाल ने दिया समय

दोस्तों देश दुनिया की और को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

SK Gautam

SK Gautam

Next Story