उत्तराखंड से बड़ी खबर: त्रिवेंद्र रावत देंगे इस्तीफा, राज्यपाल ने दिया समय

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्यपाल को आज अपना इस्तीफा सौंप देंगे। यह बात राज्यपाल से मुलाकात का समय तय होने के बाद आई है कि वह शाम तक अपना इस्तीफा सौंप देंगे। फिलहाल चूंकि भाजपा हाईकमान ने अगले मुख्यमंत्री के नाम का एलान नहीं किया है।

Vidushi Mishra
Published on: 9 March 2021 8:26 AM GMT
उत्तराखंड से बड़ी खबर: त्रिवेंद्र रावत देंगे इस्तीफा, राज्यपाल ने दिया समय
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ये बात  बेहद कम लोग ही जानते होंगे कि त्रिवेंद्र कई बार गिरफ्तार हुए और जेल भी गए। वे साल 1983 से 2002 तक आरएसएस के प्रचारक रहे हैं।

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली: उत्तराखंड में बदलाव की बयार तेज हो गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्यपाल को आज अपना इस्तीफा सौंप देंगे। यह बात राज्यपाल से मुलाकात का समय तय होने के बाद आई है कि वह शाम तक अपना इस्तीफा सौंप देंगे। फिलहाल चूंकि भाजपा हाईकमान ने अगले मुख्यमंत्री के नाम का एलान नहीं किया है। इसलिए संभावना है कि फिलहाल उनसे काम करते रहने को कहा जाएगा। त्रिवेंद्र रावत की विदाई की पटकथा पिछले एक दो हफ्ते का खेल नहीं है इसकी तैयारी पिछले एक डेढ़ साल से चल रही थी। क्योंकि इस पहाड़ी राज्य के लोग राजनीति में एक टिकट पर दो फिल्म देखने के आदी रहे हैं इस वजह से भी उनकी विदाई को जोर मिला है।

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उत्तराखंड के सीएम पद पर कौन आए

संभावना है कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट मिलने के बाद रावत से कह दिया गया है कि वह राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दें। शीर्ष नेतृत्व व्यस्तता के चलते फिलहाल उत्तराखंड के सीएम पद पर कौन आए इसका फैसला नहीं ले सका है।

भाजपा से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि ये बात सही है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटना ही था लेकिन इनकी जगह कौन लेगा असल पेंच इस बात पर है।

इसकी बड़ी वजह यह है कि भाजपा के उत्तराखंड से जुड़े तमाम दिग्गज नेता इस पहाड़ी राज्य की बागडोर अपने हाथ में लेने से कतरा रहे हैं। दूसरी ओर जानकारों का यह भी कहना है कि नये मुख्यमंत्री के नाम पर संघ की हरीझंडी भी नहीं मिली है। संभावना यही जताई जा रही है कि रावत की जगह रावत को लाकर हिसाब बराबर किया जाए।

उत्तराखंड में बारी बारी से सरकारें आती जाती रही हैं। यानी राज्य की सत्ता भाजपा या कांग्रेस के हाथ रही है। फिलहाल माहौल भाजपा के फेवर नहीं है। इस लिहाज से कोई नेता अपने गले में घंटी बांधकर मुसीबत मोल लेना नहीं चाहता।

bjp फोटो-सोशल मीडिया

क्योंकि उसके पास काम करने के लिए अब वक्त बहुत कम बचा है। लेकिन राज्य का नेता बदल कर भाजपा ने जनता को एक संदेश देने का प्रयास किया है। साथ पार्टी में नेतृत्व के खिलाफ उठ रहे स्वरों को भी शांत करने का प्रयास किया है।

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कांटों की सेज पर अपना कार्यकाल पूरा कर ले गए

बीस साल में राज्य का इतिहास देखें तो उत्तवराखंड में अब तक नौ मुख्यिमंत्री (भुवन चंद्र खंडूडी दो बार) रहे हैं और मौजूदा मुख्य्मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सर्वाधिक लंबे कार्यकाल के लिहाज से दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं।

यदि वह अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं तो एनडी तिवारी की तरह भाग्यशाली कहे जाएंगे। मजे की बात ये है कि उत्तराखंड की पहली सरकार में ही चुनाव होने से पहले दो मुख्यमंत्री रहे थे नित्यानंद स्वामी और भगत सिंह कोश्यारी।

2002 में हुए चुनाव के बाद नारायण दत्त तिवारी पहले ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया। ये तिवारी जी की ही समझ थी कि वह कांटों की सेज पर अपना कार्यकाल पूरा कर ले गए।

इसके बाद 2007 में भाजपा की सरकार आई जिसमें दो बार मुख्यमंत्री बदले गए। भुवन चंद्र खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक और फिर भुवन चंद खंडूरी।

इसके बाद 2012 में कांग्रेस की सरकार आई तो फिर वही हाल विजय बहुगुणा और हरीश रावत मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2017 में फिर भाजपा की वापसी हुई और त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने। पहाड़ के कायदे के हिसाब से रावत का कार्यकाल पूरा हो गया है।

पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट भी इनके खिलाफ जा चुकी है। इसके अलावा वहां के लोग इनकी जगह दूसरा चेहरा देखने को भी बेचैन हैं। इसलिए कह सकते हैं त्रिवेंद्र रावत को जाना ही है।

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Vidushi Mishra

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