×

मानवाधिकार दिवस: ऐसे हुई शुरुआत, जानिए मौजूदा दौर में क्यों बढ़ गया है महत्व

मानवाधिकार को मूलभूत अधिकार माना जाता है और इन अधिकारों की वजह से किसी भी मनुष्य को रंग, लिंग, धर्म, भाषा, राष्ट्रीयता और विचारधारा आदि के आधार पर किसी भी रूप में प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।

Newstrack
Published on: 10 Dec 2020 5:03 AM GMT
मानवाधिकार दिवस: ऐसे हुई शुरुआत, जानिए मौजूदा दौर में क्यों बढ़ गया है महत्व
X
मानवाधिकार दिवस: ऐसे हुई शुरुआत, जानिए मौजूदा दौर में क्यों बढ़ गया है महत्व (PC : social media)

लखनऊ: दुनिया भर में 10 दिसंबर का दिन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मानवाधिकार दिवस मनाने का एक विशेष कारण है। 1948 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र सामान्य महासभा ने मानव अधिकारों को अपनाने की घोषणा की थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसे मनाने की घोषणा 1950 में की गई थी।

ये भी पढ़ें:लखपति बने एक दिन में: वेडिंग सीजन में शुरू करें ये बिजनेस, होगी जमकर कमाई

क्यों महत्वपूर्ण है यह दिवस

पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे हमलों और मानवाधिकार हनन के मामलों को रोकने के लिए इस दिवस की भूमिका को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

मानवाधिकार को मूलभूत अधिकार माना जाता है और इन अधिकारों की वजह से किसी भी मनुष्य को रंग, लिंग, धर्म, भाषा, राष्ट्रीयता और विचारधारा आदि के आधार पर किसी भी रूप में प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।

इसके साथ ही इस मामले में उसे किसी भी अधिकार से वंचित भी नहीं किया जा सकता। शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक व सामाजिक अधिकार भी इसमें शामिल हैं।

मानवाधिकार का इतिहास

अगर इतिहास को देखा जाए तो मानवाधिकार की शुरुआत काफी प्राचीन काल से ही मानी जाती है। इसकी शुरुआत ईसा पूर्व 539 सदी में मानी जाती है जब बेबीलॉन को जीतने के बाद साइरस ने गुलामों को आजाद किया। उन्होंने घोषणा की थी कि सभी लोगों को अपना धर्म चुनने की आजादी है और उन्होंने नस्लीय समानता भी स्थापित की।

मानवाधिकारों के जनक प्रोफेसर हेनकिन

यदि आधुनिक युग में देखा जाए तो कोलंबिया यूनिवर्सिटी स्कूल आफ लॉ के प्रोफेसर हेनकिन को मानवाधिकार का पिता कहा जाता है।

प्रोफ़ेसर हेनकिन ने अपने पांच दशक लंबे करियर के दौरान इस क्षेत्र में काफी काम किया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय कानून को आकार देने में प्रोफेसर हेनकिन ने सबसे अहम भूमिका निभाई थी।

international-human-rights-day international-human-rights-day (PC : social media)

मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें

मौजूदा दौर में दुनिया के कई देश आपस में छद्म युद्ध लड़ रहे हैं। भारत सहित दुनिया के कई देशों में आतंकवादी घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। ऐसे में मानव अधिकारों का महत्व और प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।

मौजूदा समय में दुनिया के तमाम देशों में मानव अधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें आम हैं। पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई समुदाय के लोगों के उत्पीड़न और उनके अधिकारों के हनन का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समय-समय पर उठता रहा है।

इसके बावजूद इसे लेकर पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई कारगर दबाव नहीं बनाया जा सका है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और उसके कानून नाकाफी प्रतीत होते हैं। इसलिए मानव अधिकारों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।

मानवाधिकार आयोग का गठन

जहां तक भारत का सवाल है तो यहां पर 28 सितंबर 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में लाया गया। सरकार ने 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया।

मानवाधिकार आयोग के कार्यक्षेत्र में नागरिक और राजनीतिक के साथ ही सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं जैसे स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौतें, बाल मजदूरी, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकार आदि।

ये भी पढ़ें:फिलहाल ग्रामीण उद्योग से 80000 करोड़ का टर्नओवर, अगले दो सालों में 5 लाख करोड़ करने की योजना: गडकरी

बेहतर जीवन के लिए मानवाधिकार जरूरी

पूरी दुनिया में मानवाधिकारों का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। एक बेहतर जीवन और सर्वांगीण विकास के लिए मानवाधिकार काफी जरूरी है। ऐसे समय में जब दुनिया के कई देश वर्चस्व स्थापित करने की होड़ में लगे हैं, मानव अधिकारों का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है और ऐसे में मानवाधिकार दिवस की महत्ता को आसानी से समझा जा सकता है।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story