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तबाही के करीब दुनिया: जागरुकता-बचाव की तकनीक से बच सकते हैं, आ रही प्रलय
कई बार विज्ञान हमें भविष्य की तैयारियों का भी अवसर देता है। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक दुनिया की 50 फीसदी आबादी बाढ़, तूफान और सुनामी के संपर्क में आ सकती है। ऐसे में लोगों का तैयार रहना जरूरी है।
World Tsunami Awareness Day 2020: पूरे विश्व में हर साल 5 नवंबर यानी आज का दिन विश्व सुनामी जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन प्राकृतिक आपदा सुनामी के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है और ऐसे स्थिति से निपटने के बारे में जानकारी दी जाती है।
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बाढ़, तूफान और सुनामी
विश्व सुनामी जागरुकता दिवस पर आज हम चर्चा करेंगे। सुनामी के मानवीय व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभावों और इससे उत्पन्न होने वाले खतरों पर। मोटेतौर पर कोई भी प्राकृतिक आपदा, महामारी, प्रदूषण मानव जीवन को प्रभावित करता है। लेकिन सुनामी से उत्पन्न होने वाले संवेग न सिर्फ प्राकृतिक भौगोलिक परिवर्तन करते हैं बल्कि भारी जन धन की हानि मानवीय संवेगों पर भी प्रभाव डालती है।
फोटो-सोशल मीडिया
कई बार विज्ञान हमें भविष्य की तैयारियों का भी अवसर देता है। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक दुनिया की 50 फीसदी आबादी बाढ़, तूफान और सुनामी के संपर्क में आ सकती है। ऐसे में लोगों का तैयार रहना जरूरी है। हालांकि कई बार अप्रत्याशित रूप से अचानक भी अवांछित घटनाएं घटित हो जाती हैं जो हमें झकझोर देती हैं।
पांच नवंबर को लोगों को इन सभी स्थितियों के बारे में जागरूक भी किया जाता है। सुनामी से निपटने के लिए लोगों को बुनियादी ढांचे, चेतावनी, और ट्रेनिंग दी जाती है। आपातकाल के वक्त लोगों को कैसे बचाया जाए। इन सभी चीजों के बारे में जानकारी दी जाती है।
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इन देशों पर सुनामी का हमला
इतिहास बताता है कि पिछले लगभग 100 सालों के अंदर सुनामी से इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत और थाईलैंड समेत 14 देश ऐसे रहे, जिन्होंने काफी नुकसान उठाया है, इसमें स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक नुकसान तक शामिल है।
एक आंकड़े के मुताबिक, 2 लाख 27 हजार बार इन देशों पर सुनामी का हमला हो चुका है। साल 2004 में सुनामी की वजह से इंडोनेशिया, भारत, श्रीलंका समेत 14 देशों को सबसे बड़ा नुकसान हुआ था।
फोटो-सोशल मीडिया
सुनामी जागरूकता बढ़ाने और जोखिम कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2015 में 5 नंवबर के दिन को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के रूप में नामांकित किया था। तभी से दुनिया के कई देश एक साथ आए और यूएन से मांग की। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने विश्व सुनामी जागरूकता दिवस की घोषणा की।
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बड़े पैमाने पर विनाश
ये दिवस जनता को चिंता के मुद्दों पर जागरूक करने और उससे निपटने के बारे में जानकारी देता है और लोगों को प्रेरित करता है। ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देश एक साथ आकर काम करें।
मोटे तौर पर सुनामी का अंग्रेजी शब्द (Tsunami) जापानी भाषा के दो शब्दों “tsu” = harbour अर्थात बंदरगाह तथा nami = wave अर्थात तरंग से बना है। अतः सुनामी वे सागरीय तरंगें हैं जो तटीय भागों को प्रभावित करती हैं और बड़े पैमाने पर विनाश करती है। ये जीवन से जुड़े सब पहलुओं वनस्पतियों, पर्यावरण, भौगोलिक स्थितियों और मानवीय व्यवहार पर भी असर डालती हैं।
फोटो-सोशल मीडिया
आपदा प्रबंधन पर भारत की उच्चस्तरीय समिति के अनुसार सुनामी वे सागरीय तरंगें हैं जो महासागर में भूकंप, भूस्खलन अथवा ज्वालामुखी उद्गार जैसी घटनाओं से पैदा होती है. वास्तव में सुनामी एक तरंग नहीं बल्कि तरंगों की एक श्रृंखला है।
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जागरूकता लाने की अत्यधिक आवश्यकता
मोटे तौर पर सुनामी भूकम्पों से आती है। जिससे जल का संतुलन बिगड़ जता है। इससे तरंगें पैदा होती हैं। लेकिन सभी भूकंपों के कारण सुनामी नहीं आती है, बल्कि उसी स्थिति में आती है जब भूकंप के कारण समुद्री जल में उर्ध्वाधर दिशा में हलचल होती है। यह हलचल महासागरीय तल पर भूकंप, भ्रंश अथवा प्लेटों के खिसकने के कारण पैदा होती है।
सुनामी का मानव जीवन पर गहरा असर होता है और कई बार यह असर सालों बाद तक बना रहता है। लोगों में इसे लेकर डर बैठ जाता है। कई बार वह अवसाद के शिकार हो जाते हैं। कई बार अनिद्रा का रोग हो जाता है। निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है। इसलिए सुनामी जैसी आपदाओं के मनोवैज्ञानिक पहलुओं और जागरूकता लाने की अत्यधिक आवश्यकता है।
रिपोर्ट- रामकृष्ण वाजपेयी
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