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एक राष्ट्रपति जो था हवस का पुजारी, आदमखोर दरिंदा और लड़कियों का कातिल
हवस का पुजारी, आदमखोर दरिंदा, वहशी, खून का प्यासा शैतान, लड़कियों का कातिल ये नाम पढ़ आपको लग रहा होगा कि हम किसी सड़क छाप ट्रिपल एक्स उपन्यास के नाम क्यों बता रहे हैं आपको ! तो जान लीजिए हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे।
मुंबई : हवस का पुजारी, आदमखोर दरिंदा, वहशी, खून का प्यासा शैतान, लड़कियों का कातिल ये नाम पढ़ आपको लग रहा होगा कि हम किसी सड़क छाप ट्रिपल एक्स उपन्यास के नाम क्यों बता रहे हैं आपको ! तो जान लीजिए हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे। बल्कि हम आपको सच्ची घटना बता रहे हैं। जिसे पढने के बाद आप ऊपर वाले का शुक्र अदा करेंगे की हम उस देश में पैदा नहीं हुए।
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अब सस्पेंस बहुत हुआ सीधे बात करते हैं। अफ़्रीकी देश युगांडा के पूर्व राष्ट्रपति ईदी अमीन की, जो इतना खूंखार था कि उसकी मौत के बाद आज भी युगांडा में लोग सिहर जाते हैं।
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अमीन 1925 में युगांडा के उत्तर पश्चिमी कोने में स्थित कोबोको में पैदा हुआ। 1971 से 1979 तक अमीन अफ़्रीकी देश युगांडा का सैन्य प्रमुख और स्वघोषित राष्ट्रपति रहा। 1946 में ये हेल्पर कुक के तौर पर किंग्स अफ्रीकन राइफल्स में शामिल हुआ और कुछ ही वर्षों में युगांडा की सेना में मेजर जनरल और कमांडर तक बन बैठा।
कहा जाता है कि इस दौरान उसने अपने रास्ते में आने वाले किसी को जिंदा नहीं छोड़ा। 1971 में उसने मिल्टन ओबोटे को पद से हटा सत्ता अपने हाथों में ले ली और खुद को युगांडा का राष्ट्रपति, सशस्त्र बलों का चीफ कमांडर, आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ और चीफ ऑफ एयर स्टाफ भी घोषित कर दिया।
इसके बाद उसे जर्मनी, सोवियत संघ और एक अन्य तानाशाह गद्दाफी का समर्थन मिल गया। इससे वो बेलगाम हो गया, अमीन ने देश में लांगो और अछोली जातीय समूहों को जड़ से समाप्त करने के लिए 5 लाख लोगों की हत्या करवा दी।
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किसी हिंदी फिल्म के विलेन की तरह, उसके खास सैनिकों की कई ब्रिगेड देश भर में फैली हुई थी। जो सुंदर लड़कियों को दिन दहाड़े उठा लेते और ईदी के हरम में ले जाते। जहां उन्हें सेक्स स्लेव बनाया जाता। कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि राष्ट्रपति का जब मन भर जाता तो इन लड़कियों को या तो मार के इनका मांस वो खा लेता या फिर उन्हें बेच दिया जाता। उसके फ्रिज से बहुत सारे इंसानों के सिर बरामद हुए थे।
सनकी अमीन ने वर्ष 1972 में आदेश जारी किया कि जो युगांडा के नागरिक नहीं है वो देश छोड़ कर चले जाय नहीं तो उनके साथ अच्छा नहीं होगा। इसके बाद करीब 60 हजार भारतीयों और पाकिस्तानियों ने देश छोड़ दिया। इसका असर ये हुआ की युगांडा की अर्थव्यवस्था गडबड़ा गई।
अक्टूबर 1978 में अमीन ने पड़ोसी देश तंजानिया पर हमला किया लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। 1979 में सेना के राष्ट्रपति विरोधी गुट ने तंजानिया की सेना के साथ मिल कर बड़ा हमला किया, अमीन की सत्ता समाप्त हो चुकी थी उसे देश छोड़ कर भागना पड़ा उसने लीबिया में शरण ली। इसके बाद वो सऊदी अरब चला गया जहां 16 अगस्त 2003 में उसकी मौत हुई।