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मोदी-शाह पर केस: इस देश ने क्यों किया ऐसा, कश्मीर का विशेष दर्जा बना मुद्दा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ अमेरिका की एक अदालत ने 10 करोड़ डॉलर मतलब की 7,36,47,00,000 रुपये के एक मुकदमे को खारिज कर दिया है।

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Published on: 15 Dec 2020 5:12 PM IST
मोदी-शाह पर केस: इस देश ने क्यों किया ऐसा, कश्मीर का विशेष दर्जा बना मुद्दा
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ अमेरिका की एक अदालत ने 10 करोड़ डॉलर मतलब की 7,36,47,00,000 रुपये के एक मुकदमे को खारिज कर दिया है।

वाशिंगटन। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ अमेरिका की एक अदालत ने 10 करोड़ डॉलर मतलब की 7,36,47,00,000 रुपये के एक मुकदमे को खारिज कर दिया है। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर यह मुकदमा एक अलगाववादी कश्मीर-खालिस्तान गुट और दो अन्य व्यक्तियों द्वारा दर्ज कराया गया था। इसमें याचिकाकर्ता सुनवाई की दो तारीखों पर उपस्थित नहीं हो सके, जिसके बाद इस मामले को खारिज कर दिया गया।

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विशेष राज्य का दर्जा समाप्त

दरअसल टेक्सास के ह्यूस्टन में 19 सितंबर, 2019 को आयोजित हुए “हाउडी मोदी” कार्यक्रम के बाद ही ये मुकदमा पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर दर्ज कराया गया था।

अमेरिका की कोर्ट में दर्ज कराई गई इस याचिका में भारत की संसद के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया था।

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modi shah फोटो-सोशल मीडिया

मुआवजे के तौर पर 10 करोड़ डॉलर की मांग

ऐसे में याचिकाकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी, अमित शाह और लेफ्टिनेंट जनरल कंवल जीत सिंह ढिल्लों से मुआवजे के तौर पर 10 करोड़ डॉलर की मांग की थी। बता दे, ढिल्लों, वर्तमान में ‘डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी’ के महानिदेशक हैं और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) के अधीन ‘इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ’ के उप प्रमुख हैं।

याचिका के तहत अमेरिका के दक्षिणी टेक्सास डिस्ट्रिक्ट की अदालत के न्यायाधीश फ्रांसेस एच स्टेसी ने 6 अक्टूबर को दिए अपने आदेश में कहा था कि ‘कश्मीर खालिस्तान रेफरेंडम फ्रंट’ ने इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया और सुनवाई के लिए दो बार तय की गई तारीख पर भी उपस्थित नहीं हुए। जिसके चलते न्यायाधीश ने ये मामला खारिज कर दिया। फिलहाल ‘कश्मीर खालिस्तान रेफरेंडम फ्रंट’ के अलावा अन्य दो याचिकाकर्ताओं की पहचान नहीं हो सकी है।

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