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परमाणु बटन का खेल: किसके हाथ में ये कमान, जो तुरंत ले सकता है एक्शन

महाशक्तिशाली अमेरिका पूरी द‍ुनिया में अपनी परमाणु शक्‍तियों के लिए मशहूर है। जिसकी वजह से अमेरिका में न्यूक्लियर बटन को 'न्यूक्लियर फुटबॉल' कहा जाता है।

Vidushi Mishra
Published on: 21 Jan 2021 7:48 PM IST
परमाणु बटन का खेल: किसके हाथ में ये कमान, जो तुरंत ले सकता है एक्शन
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20 जनवरी इनॉगरेशन डे पर संपन्न हो गई। इस बेहद खास अवसर पर ये प्रथा होती है कि पूर्व राष्ट्रपति नए राष्ट्रपति को न्यूक्लियर फुटबॉल सौपंता है।

नई दिल्ली। अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया कल 20 जनवरी इनॉगरेशन डे पर संपन्न हो गई। इस बेहद खास अवसर पर ये प्रथा होती है कि पूर्व राष्ट्रपति नए राष्ट्रपति को न्यूक्लियर फुटबॉल सौपंता है। बता दें, न्‍यूक्लियर फुटबॉल को एक तरह से अमेरिका की परमाणु शक्‍त‍ियों का प्रतीक माना जाता है। तो अब आपको बताते हैं कि क्‍या अमेरिकी राष्‍ट्रपति के पास ये शक्‍त‍ि होती है कि वो कभी भी न्‍यूक्‍ल‍ियर बटन दबा सकता है तो इसके क्या नियम होते हैं।

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'न्यूक्लियर फुटबॉल'

दरअसल महाशक्तिशाली अमेरिका पूरी द‍ुनिया में अपनी परमाणु शक्‍तियों के लिए मशहूर है। जिसकी वजह से अमेरिका में न्यूक्लियर बटन को 'न्यूक्लियर फुटबॉल' कहा जाता है।

ऐसे में एक ब्रीफकेस में सिंबोलिक तौर पर जब भी अमेरिका का राष्ट्रपति कहीं जाता है या व्हाइट हाउस में होता है तो उसके साथ ये फुटबॉल भी होता है। ये भी बताते हैं कि उस काले रंग के ब्रीफकेस में एक सिस्टम होता है, जिसमें लांच कोड डालना होता है।

पर अब तकनीकी तौर पर ऐसा कोई बटन नहीं है। लेकिन अमेरिका में कुछ पहले से निर्धारित नियमों व प्रक्रियाओं के पालन और हाइटेक इक्विपमेंट्स के जरिए राष्‍ट्रपति सेना को न्यूक्लियर हमले का निर्देश दे सकता है।

america फोटो-सोशल मीडिया

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अधिकार अमेरिकी कांग्रेस के पास

जिसके चलते इन इक्विपमेंट्स के इस्तेमाल का उद्देश्य यही है कि अमेरिकी सेना इस बात की पुष्टि कर सके कि आदेश देने वाले खुद उनके कमांडर इन चीफ यानी राष्‍ट्रपति हैं।

हालाकिं अमेरिका में क‍िसी भी युद्ध की घोषणा करने का अधिकार अमेरिकी कांग्रेस के पास होता है। और ये अध‍िकार पूरी तरह राष्ट्रपति के पास नहीं होता है। लेकिन इत‍िहास में कुछ राष्ट्रपतियों ने आधिकारिक तौर पर जंग का ऐलान न करते हुए सैन्य टुकड़ियों को मोर्चे पर भेजा है।

बता दें, अब तक अमेरिकी कांग्रेस ने केवल पांच बार जंग का ऐलान किया है। वहीं राष्ट्रपतियों ने बिना जंग की घोषणा किए 120 बार से ज्यादा सेना को जंग में भेजा है।

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