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अमेरिका को खल रही रूस-भारत की ये बड़ी डील, कड़े प्रतिबंध की दी चेतावनी
इस डील को लेकर अमेरिका काफी वक्त से भारत पर डबाव बना रहा है। अमेरिका ने कहा है कि अगर भारत को यूएस के साथ कूटनीतिक टकराव रोकना है तो उसे डील को रद्द करना चाहिए। अमेरिका के मुताबिक, साल 2017 में बने एक अमेरिकी कानून के तहत भारत को रूस से इस मिसाइल को खरीदने की छूट नहीं मिलेगी।
नई दिल्ली: भारत अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए रूस (Russia) से शक्तिशाली S-400 मिसाइल सिस्टम प्रणाली (S-400 Missile System) की खरीद के लिए पूरी तरह से आगे बढ़ रहा है। हालांकि भारत और रूस के बीच हो रही इस डील को लेकर अमेरिका काफी सख्त रुख अपना रहा है। अमेरिका का कहना है कि इस डील के लिए अमेरिका द्वारा भारत को किसी भी तरह की छूट नहीं मिलेगाी।
अमेरिका भारत पर बना रहा दबाव
आपको बता दें कि इससे पहले भी एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को लेकर अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा था कि वो इस सौदे को रद्द कर दे। अमेरिका ने भारत को पांबदी की भी चेतावनी दी थी। लेकिन अमेरिका के दबाव के आगे भारत नहीं झुका और रूस के साथ यह डील की। एस-400 मिसाइल सिस्टम से भारत को रक्षा कवच मिल जाएगा।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
भारत पर US लगा सकता है कड़े प्रतिबंध
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि रूस के साथ हो रही इस डिफेंस डील को लेकर अमेरिका भारत पर कड़े प्रतिबंध भी लगा सकता है। आपको बता दें कि इसी तरह की एक डील के लिए अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस खरीद से नाराज अमेरिका ने तुर्की के रक्षा उद्योगों और उसके अध्यक्ष समेत तीन अन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया है। अब माना जा रहा है कि इस रक्षा समझौते के बाद यूएस भारत पर भी प्रतिबंध लगा सकता है।
बाइडेन के कार्यकाल में भी ज्यादा बदलाव की संभावना नहीं
इस डील को लेकर अमेरिका काफी वक्त से भारत पर डबाव बना रहा है। अमेरिका ने कहा है कि अगर भारत को यूएस के साथ कूटनीतिक टकराव रोकना है तो उसे डील को रद्द करना चाहिए। अमेरिका के मुताबिक, साल 2017 में बने एक अमेरिकी कानून के तहत भारत को रूस से इस मिसाइल को खरीदने की छूट नहीं मिलेगी। वहीं ये भी कहा जा रहा है कि 20 जनवरी को अमेरिका में जो बाइडेन का कार्यकाल शुरू होने के बाद भी इस नीति में ज्यादा बदलाव नहीं आने वाला है।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
भारत ने स्पष्ट किया अपना रुख
बल्कि बाइडेन प्रशान ने रूस के खिलाफ और भी सख्त नीति अपनाने का संकेत दिया है, जिसका सीधा असर इस डील पर भी पड़ने की संभावना है। वहीं भारत का मानना है कि उसे चीन जैसे पड़ोसी देशों के मद्देनजर रूस की एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की आवश्यकता है। साथ ही भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वो अपनी रक्षा जरुरतों का सामान किससे खरीदेगा, ये तय करने का अधिकार केवल नई दिल्ली को है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत की हमेशा स्वतंत्र विदेश नीति रही है जो इसकी रक्षा खरीद और आपूर्ति पर भी लागू होती है।
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