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खतरा बरक़रार! इमरान सरकार नाकाम, हो रही आतंकियों की भर्ती  

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म-2018’ के अनुसार पाकिस्तानी सरकार धनशोधन एवं आतंकवाद निरोध पर वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की कार्य योजना को लागू करने में विफल रहा। 

SK Gautam
Published on: 4 Nov 2019 2:54 PM IST
खतरा बरक़रार! इमरान सरकार नाकाम, हो रही आतंकियों की भर्ती  
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वॉशिंगटन: पाकिस्तान ने अभी तक आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा एवं जैश-ए-मोहम्मद को अपनी तरफ से प्रतिबंधित नही किया जो अभी भी भारत के लिए खतरा बने हुए हैं। अमेरिका ने यह बात अपनी एक रिपोर्ट में कहा है। अमेरिका ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए यह भी बताया कि पिछले आम चुनाव में लश्कर से जुड़े प्रत्याशियों को लड़ने की इजाजत भी दी।

पाकिस्तान रहा विफल...

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म-2018’ के अनुसार पाकिस्तानी सरकार धनशोधन एवं आतंकवाद निरोध पर वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की कार्य योजना को लागू करने में विफल रहा।

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रिपोर्ट में यह बताया गया है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों और आतंकवादियों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को भी लागू करने में नाकामयाब रहा है जो लगातार आर्थिक संसाधन और कोष एकत्र कर रहे हैं।

लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद अफगानिस्तान पर हमले का इरादा बरकरार

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि क्षेत्र आधारित आतंकवादी समूह 2018 में भी खतरा बने रहे। उदाहरण के लिए अगर बात की जाय कि 2008 के मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी क्षमता तथा भारत और अफगानिस्तान पर हमला करने के अपने इरादे को बरकरार रखा है।

फरवरी 2018 में जैश से संबद्ध आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के सुंजवान स्थित भारतीय सेना के ठिकाने पर हमला किया जिसमें सात लोग मारे गए।

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रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान सरकार लश्कर एवं जैश को धन जुटाने, आतंकवादियों की भर्ती करने एवं उन्हें प्रशिक्षित करने से रोकने में नाकाम रही। यहां तक कि पाकिस्तान सरकार ने जुलाई में हुए आम चुनाव में लश्कर के मुखौटा संगठनों के प्रत्याशियों को चुनाव की इजाजत दी।

अमेरिकी और अफगान बलों को भी है खतरा

अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान सरकार, अफगान सरकार और अफगान तालिबान के बीच राजनीतिक सुलह का समर्थन करती है लेकिन अपनी सरजमीं पर मौजूद पनाहगाहों से अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कार्रवाई से नहीं रोकती जिससे अफगानिस्तान में अमेरिकी और अफगान बलों को भी खतरा है।

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अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि धनशोधन रोकने के लिए बने एशिया/प्रशांत समूह का सदस्य होने के नाते पाकिस्तान ने धनशोधन, आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को लागू करने का भरोसा दिया था लेकिन नतीजा बहुत खराब रहा।



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