TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

America Election: डिबेट में छा गए विवेक रामास्वामी, जानिए इस शख्स की पूरी कहानी जो रिपब्लिकन की ओर से कर रहे हैं दावेदार

America President Election: डिबेट के दौरान क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर रामास्वामी ने कहा, ‘‘इस स्टेज पर मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ, जिसे खरीदा नहीं जा सकता। वे बार-बार ये साबित करने का प्रयास करते रहे कि वे स्टेज पर खड़े अन्य से एक दम अलग हैं।

Ashish Pandey
Published on: 27 Aug 2023 4:42 PM IST
America Election: डिबेट में छा गए विवेक रामास्वामी, जानिए इस शख्स की पूरी कहानी जो रिपब्लिकन की ओर से कर रहे हैं दावेदार
X
Vivek Ramaswami (Pic Credit-Social Media)

America President Election: अमेरिका में प्रेसिडेंट चुनाव के पहले रिपब्लिकन पार्टी अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को चुनने की प्रक्रिया से गुजर रही है। इसी सिलसिले में रिपब्लिकन पार्टी के आठों उम्मीदवारों की लाइव टीवी डिबेट आयोजित हुई। हर उम्मीदवार गर्मागर्म बहस और तीखे प्रहारों के बीच अपना पक्ष मजबूती के साथ रखता नजर आया। लोगों को लगा था कि बिना डोनाल्ड ट्रंप के पार्टी की कोई भी डिबेट दिलचस्प नहीं होगी। लेकिन ऐसा नहीं था। बतादें कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप 2016 में हुईं ऐसे कई डिबेट्स के सुपरस्टार थे।

लेकिन गुरुवार को हुई डिबेट में रिपब्लिकन पार्टी के आठ उम्मीदवारों ने यह साबित कर दिया कि बिना ट्रंप के भी टीवी डिबेट में धमाके हो सकते हैं। रिपब्लिकन पार्टी के माइक पेंस, निकी हेली, टिम स्कॉट, क्रिस क्रिस्टी, रॉन डिसेंटीस, एसा हचिंगसन, डग बरगुम और विवेक रामास्वामी स्टेज पर बहस में शामिल हुए।

डिबेट में सबसे अलग दिखे रामास्वामी-

इस डिबेट में वैसे तो सभी उम्मीदवारों ने लोगों को अपने जवाब से काफी प्रभावित किया लेकिन भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी डिबेट में सबसे अलग ही दिखे। बतादें कि इससे पहले विवेक रामास्वामी ने सरकार में किसी पद के लिए चुनाव नहीं लड़ा है। यही नहीं उन्होंने 2004 से 2020 के बीच कभी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वोट तक नहीं डाले हैं। लेकिन टीवी डिबेट में रामास्वामी पूरी तरह से सब पर भारी दिखे और लोगों पर अपनी गहरी छाप भी छोड़ते दिखे।

स्टेज पर वे एकमात्र उम्मीदवार थे जो अपनी हाजिर जवाबी और मुस्कान से इन लम्हों का पूरी तरह से आनंद ले रहे थे। माना जा रहा है कि ऐसा शायद इसलिए था क्योंकि राजनीति में नए-नए आए रामास्वामी ने अब तक उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है।

डिबेट के दौरान क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘‘इस स्टेज पर मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ, जिसे खरीदा नहीं जा सकता। वे बार-बार ये साबित करने का प्रयास करते रहे कि वे स्टेज पर खड़े अन्य से एक दम अलग हैं।

कौन हैं विवेक रामास्वामी-

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष मार्च में जब रामास्वामी ने ये घोषणा की थी कि वे रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने का प्रयास करेंगे, तब उनकी जीवन यात्रा पर एक लेख लिखा गया था। कैसे भारतीय मूल का एक करोड़पति अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के सपना बुन रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में अपने नाम की दावेदारी पेश करने वाले आठ रिपब्लिकन उम्मीदवारों से दो भारतीय मूल के हैं।

इन दो उम्मीदवारों में से एक निकी हेली हैं जो काफी जाना पहचाना नाम हैं, लेकिन दूसरे भारतीय मूल के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने सबको चैंका दिया है।

...तो विविधता का कोई मतलब नहीं है-

करोड़ों के मालिक और उद्यमी विवेक रामास्वामी ने 21 फरवरी को राष्ट्रपति पद की दौड़ के लिए अपनी दावेदारी की घोषणा की थी। उनका कहना है कि वे नए अमेरिकी सपने के लिए एक सांस्कृतिक आंदोलन शुरू करना चाहते हैं और उनका मानना है कि अगर हमारे पास एक दूसरे को बांधने के लिए कुछ बड़ा नहीं है तो विविधता का कोई मतलब नहीं है। ओहायो में जन्मे 37 साल के रामास्वामी ने हार्वर्ड और येल से पढ़ाई की और बायो टेक्नॉलजी के क्षेत्र में करोड़ों रुपये कमाए। इसके बाद उन्होंने एसेट मैनेजमेंट फर्म बनाई। उन्होंने उच्च शिक्षा को मजबूत करने और चीन पर अमेरिका की आर्थिक निर्भरता को कम करने की बात भी कही है।

ट्रंप की रेटिंग्स 40 प्रतिशत-

वहीं भारतीय मूल के लोग कह रहे हैं कि अंत में ये रेस ट्रंप, निकी हेली और डेसेंटिस के बीच ही होगी। और उनमें अधिकतर स्थिति साफ होने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि ट्रंप की उम्मीदवारी पर अब भी कानूनी अड़ंगे लग सकते हैं।

डॉक्टर शिवांगी कहती हैं, ‘‘ट्रंप की रेटिंग्स 40 प्रतिशत है। उनके मुकाबले निकी हेली को दस से भी कम प्रतिशत पार्टी सदस्य पसंद कर रहे हैं। लेकिन वही हमारी उम्मीदवार हैं। उनका भारतीय मूल का होना इसकी मुख्य वजह है।‘‘

वहीं देखा जाए तो राजनीतिक मतभेदों के बावजूद भी भारतीय समुदाय को इस बात की खुशी है कि उनकी अमेरिकी राजनीति में हिस्सेदारी बढ़ रही है, खासकर बीते तीन चुनावों में यह साफ तौर पर देखा जा सकता है।



\
Ashish Pandey

Ashish Pandey

Next Story