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Franklin D Roosevelt: अमेरिका के इस प्रेसिडेंट के काम करने का अलग था अंदाज, आज भी होती है चर्चा, जानिए कौन हैं ये?

Franklin D Roosevelt: अमेरिकी इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली राष्ट्रपतियों में से एक रूजवेल्ट ने ग्रेट डिप्रेशन और द्वितीय विश्व युद्ध के माध्यम से देश का नेतृत्व किया, और उन्हें आधुनिक कल्याणकारी राज्य बनाने में मदद करने का श्रेय दिया जाता है।

Ashish Pandey
Published on: 25 May 2023 1:50 AM IST
Franklin D Roosevelt: अमेरिका के इस प्रेसिडेंट के काम करने का अलग था अंदाज, आज भी होती है चर्चा, जानिए कौन हैं ये?
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अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट: Photo- Newstrack

Franklin D Roosevelt: दुनिया में कई ऐसे नेता हुए जिनको उनके काम के लिए हमेशा याद किया जाता है। उनकी सोच, उनका काम करने का तरीका, काम के प्रति ईमानदारी और कुछ कर गुजरने का जज्बा। उनके यही गुण उनको महान बनाते हैं। यहां आज हम एक ऐसे अमेरिकी प्रेसिडेंट की बात करेंगे जिन्होंने अमेरिका को काफी कुछ दिया वो भी ऐसे समय जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था। जब वे 39 साल के थे तभी उन्हें लकवा मार गया था, जिसके कारण वे व्हीलचेयर पर आ गए। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी बीमारी को कमजोरी नहीं बनाया और ना ही किसी के सहारे की जरूरत समझी। उन्होंने अपने देश के लिए कई ऐसे काम किए जिसके लिए आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। यहां बात हो रही है संयुक्त राज्य अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट की। रूजवेल्ट एक महान व्यक्ति थे, जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका पर स्थायी प्रभाव डाला। वे महान नेता, दयालु व्यक्ति, एक साहसी, एक आशावादी, एक लचीला, एक विनम्र, एक ईमानदार, एक मेहनती और एक दूरदर्शी व्यक्ति थे।

अमेरिकी इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली राष्ट्रपतियों में से एक रूजवेल्ट 1933 से 1945 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे। रूजवेल्ट ने ग्रेट डिप्रेशन और द्वितीय विश्व युद्ध के माध्यम से देश का नेतृत्व किया और उन्हें अमेरिका को आधुनिक कल्याणकारी राज्य बनाने में मदद करने का श्रेय दिया जाता है।

39 की उम्र में लकवा, फिर भी नहीं मानी हार-

रूजवेल्ट जब 39 साल के थे पोलियो की चपेट में आ गए और उनके कमर से नीचे लकवा मार गया था। उन्हें बाकी जीवन के लिए व्हीलचेयर का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन उन्होंने बीमारी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने वो कर दिखाया जिसके लिए वे अमेरिका ही नहीं दुनिया में याद किए जाते हैं। रूजवेल्ट ने अपनी अक्षमता को परिभाषित करने से इनकार करते हुए राजनीति में सक्रिय रहना जारी रखा। 1928 में उन्हें न्यूयॉर्क का गवर्नर चुना गया।

रूजवेल्ट का जन्म 1882 में न्यूयॉर्क के हाइड पार्क में हुआ था। वह जेम्स रूजवेल्ट, एक धनी व्यापारी और सारा डेलानो रूजवेल्ट के बेटे थे। रूजवेल्ट ने ग्रोटन स्कूल से स्कूली शिक्षा ग्रहण की। 1904 में उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक के बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय कानून की डिग्री ली। उन्होंने 1907 में न्यूयॉर्क शहर में प्रेक्टिस शुरू किया।

1910 में रूजवेल्ट न्यूयॉर्क स्टेट सीनेट के लिए चुने गए। उन्होंने सीनेट में दो कार्यकाल पूरे किए। इस दौरान उन्होंने एक प्रगतिशील राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी पहचान बनाई। 1913 में, राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने रूजवेल्ट को नौसेना का सहायक सचिव नियुक्त किया। रूजवेल्ट इस पद पर 1920 तक रहे, जब उन्हें राष्ट्रपति जेम्स एम. कॉक्स के तहत उपाध्यक्ष चुना गया।

1921 में पोलियो की चपेट में आने के बाद रूजवेल्ट को कमर से नीचे लकवा मार गया था। उन्हें अपने बाकी जीवन के लिए व्हीलचेयर का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी अक्षमता को परिभाषित करने से इनकार कर दिया। उन्होंने राजनीति में सक्रिय रहना जारी रखा और 1928 में उन्हें न्यूयॉर्क का गवर्नर चुना गया।

एकमात्र राष्ट्रपति जो चार बार चुने गए-

रूजवेल्ट 1932 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए। उन्होंने ग्रेट डिप्रेशन के बीच पदभार ग्रहण किया और देश को उबरने में मदद करने के लिए उन्होंने तत्काल अपने न्यू डील कार्यक्रमों को लागू करना शुरू कर दिया। द न्यू डील यह सरकारी कार्यक्रमों की एक श्रृंखला थी जो राहत, वसूली और सुधार प्रदान करती थी। इसने रोजगार सृजित, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और अर्थव्यवस्था को विनियमित करने में मदद की।

रूजवेल्ट को 1936, 1940 और 1944 में फिर से अमेरिका का राष्ट्रपति चुना गया। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के माध्यम से देश का नेतृत्व किया और संयुक्त राष्ट्र बनाने में मदद की। युद्ध की समाप्ति के बाद ही 1945 में रूजवेल्ट की अपने कार्यालय के दौरान ही मृत्यु हो गई।

रूजवेल्ट से सीखें ये बेहतरीन बातें-

हार कभी न मानो-

रूजवेल्ट जब 39 साल के थे तो उन्हें कमर से नीचे लकवा मार गया था, लेकिन उन्होंने विकलांगता को अपनी कमजोर बनाने से इनकार कर दिया। वे राजनीति में सक्रिय रहे और अमेरिकी इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रपतियों में से एक बने। रूजवेल्ट ने जिस साहस का परिचय दिया वह हर व्यक्ति के लिए एक सीख है।

एक स्वाभाविक नेता बनो-

रूजवेल्ट किसी तरह का लाग लपेट नहीं था वे एक स्वाभाविक नेता थे। वह लोगों को प्रेरित करते थे। वह एक बढ़िया कम्यूनिकेटर भी थे, और वे व्यक्तिगत स्तर पर लोगों से आसानी से जुड़ जाते थे। इसके लिए उनमें गजब का गुण था।
हिम्मत से नया सोचो-

रूजवेल्ट एक साहसी व्यक्ति थे। उनके साहस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे 39 साल के थे तभी उन्हें लकवा मार गया लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे। वह जोखिम लेने से कभी नहीं डरते थे, और वह जो विश्वास करते थे उसके लिए खड़े होने से डरते नहीं थे। 1929 से अमेरिका में ‘‘ग्रेट डिप्रेशन‘‘ आर्थिक संकट शुरू हो गया था जिसका समाधान उन्होनें एक ‘‘द न्यू डील‘‘ नमक समाजवादी तरीके से खोज निकाला। उसके बाद सेकेंड वर्ल्ड वॉर में उन्होनें शानदार नेतृत्व दिया। उसके बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई।

सदा आशावादी रहो-

रूजवेल्ट आशावादी व्यक्ति थे, वे संयुक्त राज्य अमेरिका के भविष्य में विश्वास करते थे और सबसे बुरे समय में भी उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। उनके नए विचारों से अनेकों बार लोग सहमत नहीं होते थे, पर उन्होनें सबको अपने तर्कों से मनाया और यही उनकी महानता थी।

विनम्रता से काम करो-

अमेरिका के चार बार राष्ट्रपति बनने के बाद भी रूजवेल्ट एक बेहद विनम्र व्यक्ति बने रहे। इसका पॉजिटिव असर उनके टीम बिल्डिंग प्रयासों में साफ दिखा।
ईमानदारी से कम्युनिकेट करो-

रूजवेल्ट एक ईमानदार व्यक्ति थे। उन्होंने हमेशा सच कहा, भले ही यह मुश्किल हो। जब जापान ने पर्ल हार्बर पर आक्रमण किया, तब उन्होंने देश व कांग्रेस के साथ एक सीधा संवाद बनाते हुए, युद्ध की घोषणा की अनुमति मांगी। फिर अमेरिका युद्ध में उतरा और जीता भी।

दूरदर्शी बनो-

रूजवेल्ट एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। संयुक्त राज्य अमेरिका के भविष्य के लिए उनके पास एक स्पष्ट दृष्टि थी और वह उस दृष्टि को अमेरिकी लोगों के सामने स्पष्ट करने में सक्षम थे। सेकेंड वल्र्ड वॉर के बाद के जिस वल्र्ड आर्डर की उन्होंने कल्पना की थी, उनकी मृत्यु के बाद वो वाकई में बना, और आज आठ दशक बाद भी कार्य कर रहा है। रूजवेल्ट की यही सोच उन्हें सफलता की मंजिल तक पहुंचाने में मददगार रही।

रूजवेल्ट की ये सोच ही उन्हें महान बनाती है। उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में विषम परिस्थितियों में भी अमेरिका के लोगों को किसी तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करने दिया। उनकी सोच और नीति उन्हें आज भी जीवंत रखती है।

Ashish Pandey

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