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America Drone: अमेरिका की एक खतरनाक तकनीक से आतंकियों को मारने का हथियार हो चुका है तैयार, ट्रायल जारी
America Drone: क्या आपने कभी सोचा था की ड्रोन जैसी चीज कभी खुद अपने टारगेट पर शूट करने के साथ ही साथ ड्रोन अपने टारगेट का चेहरा तक पहचान ले।
America Drone: टेक्नोलॉजी के बढ़ते युग नित नए हैरतंगेज प्रयोगों का सफर थमने का नाम ही नहीं ले रहा। 21वीं सदी के इस युग में जिस तरह से तकनीक के विकास पर काम हो रहा है उससे मिलने वालीं अनगिनत सुवधाएं और लाभ से कोई भी सेक्टर अब अछूता नहीं रह गया है। फिर भले ही क्यों न अग्नि प्रक्षेपात्रों का ही एक वृहद क्षेत्र क्यों न हो। जैसा की हम सब जानते हैं कि अमेरिका को ड्रोन तकनीक में महारत हासिल है। अपनी इसी तकनीक को और अधिक धार देते हुए यह देश एक बेहद अनोखी पहल पर काम कर रहा है, जिसकी कल्पना करना भी किसी के लिए अभी तक नामुमकिन था।
हम आपको इस बेहद रोचक और अहम जानकारी से अवगत करवाने जा रहें है।क्या आपने कभी सोचा था की ड्रोन जैसी चीज कभी खुद अपने टारगेट पर शूट करने के साथ ही साथ ड्रोन अपने टारगेट का चेहरा तक पहचान ले। है न हैरान कर देने वाली बात। शायद इससे पहले इस तरह की तकनीक किसी एक्शन मूवी में दिखाई जा चुकी हो लेकिन अब यह मात्र कोरी कल्पना नहीं बल्कि हकीकत का रूप ले चुकी है। आइए जानते हैं इससे जुड़े फैक्ट्स,,,
इंसानों का चेहरा पहचानकर उन्हें अपना निशाना बनाएगा ड्रोन
अमेरिकन वायुसेना के लिए एक ऐसा ड्रोन तैयार किया जा रहा है, जो इंसानों का चेहरा पहचानकर उन्हें अपना निशाना बनाएगा। यह वह तकनीक है जिसे अभी तक कोरी कल्पना के तौर बस फिल्मों में ही देखा गया था। पर अब यह तकनीक जल्द ही यूएस एयरफोर्स में शामिल होकर सैन्य शक्ति का हिस्सा होगी। यह एडवांस तकनीक के माध्यम से फेशियल रेक्गिनीशिन सॉफ्टवेयर की मदद से इस ड्रोन को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
वायुसेना ने इसके लिए 729 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट किया साइन
न्यू साइंटिस्ट की तरफ से आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना ने इसके लिए 729 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। सिएटल स्थित फर्म रीयल नेटवर्क्स की तरफ से इसे तैयार किया जाएगा। फर्म की तरफ से सिक्योर एक्यूरेट फेशियल रेक्गिनीशिन (SAFR) प्लेटफॉर्म को एयरफोर्स के ड्रोन में फिट किया जाएगा।
कैसे काम करेगी टेक्निक
एक विजुअल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म SAFR है जो चेहरे और व्यक्ति पर आधारित कंप्यूटर विजन की पद्वति पर काम करता है। कंपनी का दावा है कि उनका सॉफ्टवेयर फेशियल रेक्गिनीशिन पर 99.87 फीसदी फिट बैठता है। साथ ही इसमें इतनी अधिक क्षमता है कि यह कितनी भी दूरी से किसी के चेहरे की पहचान कर उस पर वार कर सकता है।
यूएस एयरफोर्स के साथ कंपनी ने जो कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है उसके मुताबिक छोटे ड्रोन पर यह सॉफ्टवेयर फिट किया जाएगा।
साथ ही इन्हें सिर्फ विदेशों में होने वाले खासतौर से टेररिस्ट स्पेशल ऑपरेशंस और इंटेलीजेंस के लिए ही प्रयोग किया जाएगा।
बिना क्रू वाला ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का प्रयोग करेगा
फर्म की तरफ से कहा गया है कि बिना क्रू वाला ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का प्रयोग करेगा। इसमें इस फीचर्स के चलते अपने आप ही दुश्मन और दोस्त की पहचान की एक अद्भुत क्षमता है। कंपनी की तरफ से यह भी बताया गया है कि इस ड्रोन को रेस्क्यू मिशन, सुरक्षा और घरेलू स्तर पर होने वाले सर्च ऑपरेशन के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। यह बात भी गौर करने वाली है कि छोटे ड्रोन्स कभी भी बड़े ड्रोन जैसे रीपर या फिर प्रीडेटर की तरह हथियारों से लैस नहीं होते हैं। मगर अब इस नई तकनीक के बाद अमेरिका का ड्रोन वॉरफेयर अपनी इस अनोखी खासियत के साथ एक नए मुकाम को हासिल करने सफर जरूर तय करेगा।
2019 में अमेरिका में तेल अवीव स्थित एनीविजन की तरफ से इसका पेटेंट दायर किया गया थाइसी साल फोर्ब्स की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि इजरायल भी इसी तरह की टेक्निक वाले ड्रोन को बनाने का काम कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2019 में अमेरिका में तेल अवीव स्थित एनीविजन की तरफ से इसका पेटेंट दायर किया गया था। इसमें इस बारे में पूरी जानकारी दी गई थी कंपनी ने एक ऐसी टेक्निक पर काम रही है जो ड्रोन को फेशियल रेक्गिनीशिन के लिए बेस्ट एंगल तलाशने में मदद करेगी। इसके बाद डेटाबेस की मदद से टारगेट को फोकस करके उस पर हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार रहेगा।
लीबिया के प्रधानमंत्री फैज सेराज की तरफ से एडवांस्ड ड्रोन का ऑर्डर
आपको बताते चलें कि यूएस एयरफोर्स इस तरह की टेक्निक का प्रयोग करने वाली कोई पहली सेना नहीं है। साल 2021 में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने दावा किया था कि लीबिया की सेनाओं ने एक ड्रोन को फेशियल रेक्गिनीशिन सॉफ्टवेयर और हथियारों से लैस किया था। यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लीबिया के प्रधानमंत्री फैज सेराज की तरफ से एडवांस्ड ड्रोन का ऑर्डर दिया गया था। तुर्की में बने इस एसटीएम कार्गू-2 को हथियारों और फेशियल रेक्गिनीशिन सॉफ्टवेयर से लैस किया गया था। इसके बाद यह ड्रोन विरोधी सेना की तरफ बढ़ा था।