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अंतरिक्ष सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत को अभी लंबा सफर तय करना है : अमेरिकी विशेषज्ञ
भारत के ‘एंटी सैटेलाइट मिसाइल’ के सफल परीक्षण के जरिये अंतरिक्ष में एक उपग्रह को नष्ट करने के बाद अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा है कि अंतरिक्ष सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उसे अभी लंबा सफर तय करना है।
वाशिंगटन: भारत के ‘एंटी सैटेलाइट मिसाइल’ के सफल परीक्षण के जरिये अंतरिक्ष में एक उपग्रह को नष्ट करने के बाद अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा है कि अंतरिक्ष सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उसे अभी लंबा सफर तय करना है।
बुधवार को किए गए इस सफल परीक्षण के बाद दुश्मन के उपग्रहों को नष्ट करने की क्षमता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। अब तक यह क्षमता अमेरिका, रूस और चीन के पास ही थी।
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कार्नेजी इंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के सीनियर फेलो एशले टी टेलीस ने कहा कि चीन के 2007 के ‘‘ए - सैट’’ मिसाइल परीक्षण के बाद से भारत ने भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष संपदा पर मुख्य तौर पर चीन के संभावित हमलों को रोकने के लिए अपने ‘ए - सैट’ परीक्षण का इरादा किया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह लक्ष्य पूरा हो गया है लेकिन जहां तक अंतरिक्ष सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात है , भारत को अब भी लंबा सफर तय करना है।’’
टेलीस ने पीटीआई-भाषा से कहा कि चीन के पास अंतरिक्ष में भीषण प्रतिरोधी क्षमताएं हैं और भारतीय अंतरिक्ष प्रणालियां शांतिकाल और युद्धकाल में अब भी अत्यधिक असुरक्षित हैं। बुधवार के ए - सैट परीक्षण ने इस बुनियादी हकीकत पर कोई असर नहीं डाला है।
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मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर विपिन नारंग ने कहा कि इस परीक्षण से क्षेत्र में शक्ति संतुलन में कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है।
क्या है खतरे
नारंग ने वायर्ड मैग्जीन से कहा, ‘‘यदि पाकिस्तान भारतीय उपग्रहों पर हमला करना शुरू करता है तो भारत पाकिस्तान के कुछ उपग्रहों को गिरा सकता है। वहीं, चीन भारत के सभी उपग्रहों को नष्ट कर सकता है जबकि भारत चीनी उपग्रहों के साथ ऐसा नहीं कर सकता है। ’’
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थिंक टैंक ऑर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के डेरील जी किम्बॉल ने एक ट्वीट में इसे खतरनाक और अस्थिर करने वाला कदम बताया। उन्होंने वैश्विक स्तर पर इस तरह के परीक्षण पर प्रतिबंध की जरूरत का जिक्र किया।
(भाषा)