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भारत-चीन विवाद: कर्ज में दबे इन देशों ने साधी चुप्पी, भारत के खिलाफ बना रहे ये प्लान

दक्षिण एशिया के तमाम देशों को चीन लंबे समय से लुभाने की कोशिश करता रहा है। तकरीबन सभी देशों में उसने बड़े पैमाने पर आर्थिक निवेश किया है। लिहाजा कोई भी देश चीन को नाराज नहीं करना चाहता। ऐसे मौके पर उन्हें लगता है कि चुप रहना ही बेहतर है।

SK Gautam
Published on: 19 Jun 2020 6:20 PM IST
भारत-चीन विवाद: कर्ज में दबे इन देशों ने साधी चुप्पी, भारत के खिलाफ बना रहे ये प्लान
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नई दिल्ली: चीन की कर्ज निति के शिकार पाकिस्तान और नेपाल भारत के पड़ोसी देश है और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के इन दोनों देशों ने चुप्पी साध रक्खी है। यही नहीं भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष के बाद पाकिस्तान और नेपाल दोनों देशों में ऐसी भारत विरोधी हरकतें बढ़ गई हैं। जिन पर भारत को चिंतित होना चाहिए।

कर्ज में दबे इन देशों ने शांत रहना ही बेहतर समझा

बता दें कि ये दोनों देशों ने भारत के विरोध में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। वहीं अन्य पड़ोसी देश भी चुप्पी साधकर बैठ गए हैं। किसी ने इस पूरे मामले पर कुछ नहीं बोला, चुप रहना ही बेहतर समझा है। ऐसा लगता है कि चीन के कर्ज में दबे इन देशों ने शांत रहना ही बेहतर समझा है।

पाकिस्तान सेनाओं को तैयार करने में जुट गया

पाकिस्तान में हालांकि कोई उग्र संकेत या प्रतिक्रिया नहीं है लेकिन ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान इस समय सेनाओं को तैयार रखने के काम में जुट गया है। नेपाल में जरूर ऐसे काम शुरू हो गए हैं, जिसे भारत के लिहाज से भड़काऊ कहा जा सकता है।

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यहां जानें क्या कर रहा है पाकिस्तान

भारत और चीन के बीच खूनी सैन्य संघर्ष के बाद पाकिस्तान के तीनों सैन्य प्रमुखों को इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के कराची स्थित मुख्यालय में बुलाया गया। माना जाता है कि उन्होंने भारत से मुकाबले के लिए पाकिस्तान की तैयारियों का विश्लेषण किया।

पाकिस्तान में दशकों बाद जिस तरह तीनों सैन्य प्रमुखों को आईएसआई के मुख्यालय पर बुलाया गया है, वो सामान्य बात नहीं लगती। इसे कोई अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता। खुद इमरान खान पिछले दो तीन महीने में दो बार आईएसआई के मुख्यालय पर जा चुके हैं।

1962 में भी जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था तब पाकिस्तान के पश्चिमी छोर से हमला करने की आशंका देश में जताई जा रही थी। जिसे रोकने के लिए अमेरिका ने अपनी ओर से पर्दे के पीछे राजनयिक पहल की थी।

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नेपाल ने भारत को भड़काने वाले काम किये

जिस दिन भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ा। उसके अगले दिन ही नेपाल के सैन्य प्रमुख कालापानी पर सीमा का निरीक्षण करने पहुंचे। इसे इतने नाजुक समय पर नेपाल का भड़काऊ कदम ही माना जाना चाहिए।

नेपाल ने सशस्त्र बलों की तैनाती कर दी

यही नहीं तीन भारतीय इलाकों को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद उन इलाकों के पास सीमा पर नेपाल ने सशस्त्र बलों की तैनाती कर दी है। उसने अपनी सीमा चौकी को अपग्रेड किया है। इसे स्थायी चौकी बना दिया गया है। जहां केवल अब सशस्त्र सैनिकों की तैनाती होगी। एक साल पहले तक यहां लाठी रखने वाले पुलिसकर्मी तैनात रहते थे।

नेपाल ने चीन तक जाने वाली सड़क का निर्माण किया

यहीं नहीं नेपाल ने धारचूला-टिंकर रोड प्रोजेक्ट के तहत 87 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण शुरू कर दिया है। ये काम सेना को सौंपा गया है। इससे चीन के साथ व्यापार शुरू करने की योजना है।

विवादित नक्शे पास करना

इससे पहले नेपाल ने अपने नए विवादित नए नक्शे को ऊपरी सदन से पास किया। फिर तुरत-फुरत राष्ट्रपति बिंदिया देवी भंडारी ने इस पर हस्ताक्षर करके मुहर लगा दी। चीन में एक नए किस्म के राष्ट्रवाद को सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी लगातार हवा दे रही है, जो भारत विरोध पर आधारित है।

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अऩ्य पड़ोसी देशों ने चुप्पी साधी

भारत के अन्य पड़ोसियों की ओर से इस तनाव और हिंसक झड़प पर कोई रिएक्शन नहीं आय़ा है। भारत के पड़ोसियों में बांग्लादेश और मालदीव को करीबी और बेहतर संबंधों वाला माना जाता है। लेकिन उन्होंने चुप्पी साधे रखी है। वहीं दूसरी ओर श्रीलंका और म्यांमार ने भी इस पूरे मामले पर चुप्पी बनाए रखी है। भूटान ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

दक्षिण एशिया के तमाम देशों चुप रहना बेहतर

दक्षिण एशिया के तमाम देशों को चीन लंबे समय से लुभाने की कोशिश करता रहा है। तकरीबन सभी देशों में उसने बड़े पैमाने पर आर्थिक निवेश किया है। लिहाजा कोई भी देश चीन को नाराज नहीं करना चाहता। ऐसे मौके पर उन्हें लगता है कि चुप रहना ही बेहतर है।



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